चालू वित्त वर्ष में बैंकों की ऋण वृद्धि घटकर 12 प्रतिशत रहने का अनुमानः इक्रा
निहारिका प्रेम
- 25 Oct 2024, 06:52 PM
- Updated: 06:52 PM
नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर (भाषा) नियामकीय उपायों और घरेलू बाजारों में सख्त वित्तपोषण शर्तों की वजह से बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए ऋण वृद्धि में लगातार नरमी रहने की आशंका है। एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024-25 में वृद्धिशील बैंक ऋण वृद्धि धीमी होकर करीब 12 प्रतिशत की बढ़त के साथ 19-20.5 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी। वित्त वर्ष 2023-24 में यह 16.3 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 22.3 लाख करोड़ रुपये थी।
इक्रा ने कहा कि एनबीएफसी के लिए प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) में वृद्धि चालू वित्त वर्ष में तेजी से धीमी होकर 16-18 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो 2023-24 में 25 प्रतिशत थी।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ बैंकिंग इकाइयों पर हाल में की गई नियामकीय कार्रवाइयों से अन्य कंपनियों को भी अपने कारोबारी तौर-तरीकों और प्रणालियों में समायोजन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिसका निकट भविष्य में वृद्धि पर असर पड़ेगा।
इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं सह-समूह प्रमुख (वित्तीय क्षेत्र रेटिंग) अनिल गुप्ता ने कहा कि ब्याज दरों में कटौती का चक्र शुरू हो जाने पर बैंकों के लिए अपनी जमा दरों में कटौती करने हेतु बैंक ऋण वृद्धि को धीमा करने के लिए विनियामक उपाय महत्वपूर्ण होंगे। यह मुनाफे को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होगा क्योंकि 2025 की पहली छमाही में अपेक्षित नीतिगत दरों में कटौती से ऋण दरों पर दबाव पड़ेगा।
रेटिंग एजेंसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष तथा सह-समूह प्रमुख (वित्तीय क्षेत्र रेटिंग) ए एम कार्तिक ने कहा, ‘‘चूंकि एनबीएफसी के कुल वित्तपोषण में बैंक कोष का हिस्सा बड़ा है, लिहाजा बैंकों से एनबीएफसी को धीमा ऋण प्रवाह भी उनकी एयूएम वृद्धि को कम करेगा। असुरक्षित तथा डिजिटल ऋण कारोबार में एनबीएफसी को दूसरों की तुलना में वित्तपोषण में अधिक कमी का सामना करना पड़ेगा।’’
इक्रा ने कहा कि लघु वित्त, व्यक्तिगत ऋण, क्रेडिट कार्ड या असुरक्षित व्यावसायिक ऋण खंड में पहले से ही चूक के मामले बढ़ रहे हैं। आशंका है कि बड़े पैमाने पर असुरक्षित ये क्षेत्र निकट भविष्य में चिंता का विषय बना रहेंगे।
भाषा निहारिका