कोयला घोटाला: मधु कोड़ा की दोषसिद्धि पर रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिका न्यायालय ने खारिज की
अमित पवनेश
- 25 Oct 2024, 07:16 PM
- Updated: 07:16 PM
नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की उस याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कोयला घोटाला मामले में अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने का अनुरोध किया था ताकि वह आगामी राज्य विधानसभा चुनाव लड़ सकें।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की एक पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 18 अक्टूबर के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था। उनकी दोषसिद्धि से संबंधित आदेश 2017 में जारी हुआ था।
सुनवाई के दौरान कोड़ा की ओर से अदालत में पेश हुए वकील ने कहा कि यदि उनकी सजा पर रोक नहीं लगाई गई और उन्हें अगले महीने चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी गई तो उनके साथ ऐसा गलत (कृत्य) होगा जिसे ठीक नहीं किया जा सकेगा।
वकील ने कहा कि कोड़ा को 2017 में दोषी ठहराया गया था और उन्हें तीन साल की सजा सुनाई गई थी, जो उन्होंने काट ली है।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि उनकी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील उच्च न्यायालय में लंबित है।’’
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) का संज्ञान लेते हुए पीठ ने कहा कि एक बार किसी को दोषी ठहराए जाने और कम से कम दो साल की जेल की सजा सुनाये जाने के बाद, उसकी रिहाई के बाद छह साल तक चुनाव लड़ने से रोक दिया जाएगा।
पीठ ने कहा, ‘‘इस मामले में अपीलकर्ता के चुनाव लड़ने पर नौ साल तक रोक होगी।’’ उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए पीठ ने आदेश पारित किया।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आर एस चीमा ने कहा कि कोड़ा की इसी तरह की याचिका को अदालत ने पहले भी खारिज कर दिया था।
81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा के लिए मतदान दो चरणों में क्रमशः 13 नवंबर और 20 नवंबर को होगा और मतों की गिनती 23 नवंबर को होगी।
तेरह दिसंबर, 2017 को कोड़ा, पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता, झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव ए के बसु और कोड़ा के करीबी सहयोगी विजय जोशी को राज्य में राजहरा नॉर्थ कोल ब्लॉक को कोलकाता की कंपनी विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड (वीआईएसयूएल) को आवंटित करने में कथित भ्रष्ट आचरण और आपराधिक साजिश के लिए एक निचली अदालत ने तीन साल जेल की सजा सुनायी थी।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) शासन काल के कोयला घोटाले में वीआईएसयूएल, कोड़ा और गुप्ता पर क्रमश: 50 लाख, 25 लाख और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था। बसु पर भी एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था।
हालांकि, दोषियों को उनकी अपील लंबित रहने के दौरान जमानत दे दी गई थी।
कोड़ा ने झारखंड चुनाव लड़ने के लिए दिसंबर 2017 के दोषसिद्धि आदेश को निलंबित करने का अनुरोध किया था।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) के तहत, किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए और कम से कम दो साल जेल की सजा पाने वाले व्यक्ति को तुरंत सांसद, विधायक या राज्य विधान परिषद (एमएलसी) के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। जेल से रिहा होने के बाद व्यक्ति छह साल तक अयोग्य रहता है।
सीबीआई ने प्रस्तुत किया था कि कोड़ा द्वारा दायर एक समान आवेदन को मई 2020 में उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था और उसी राहत का अनुरोध वाली उनकी नयी याचिका विचारणीय नहीं है।
मई 2020 में, उच्च न्यायालय ने कोड़ा की दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि जब तक उन्हें अंतिम रूप से बरी नहीं कर दिया जाता, तब तक उन्हें किसी भी सार्वजनिक पद के लिए चुनाव लड़ने की अनुमति देना उचित नहीं होगा।
भाषा अमित