एमयूडीए मामला: कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष अपील दायर की
संतोष माधव
- 24 Oct 2024, 10:23 PM
- Updated: 10:23 PM
गलुरु, 24 अक्टूबर (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने एमयूडीए भूखंड आवंटन मामले के संबंध में एकल न्यायाधीश वाली पीठ के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष अपील दायर की है।
न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की पीठ ने 24 सितंबर को मामले में उनके खिलाफ जांच के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत की मंजूरी को चुनौती देने वाली मुख्यमंत्री की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि राज्यपाल का आदेश कहीं से भी ‘‘विवेक के इस्तामाल के अभाव से ग्रस्त नहीं है।’’
मुख्यमंत्री ने एक प्रमुख इलाके में मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा उनकी पत्नी पार्वती बी एम को 14 भूखंडों के आवंटन में कथित अनियमितताओं में उनके खिलाफ जांच के लिए गहलोत की मंजूरी की वैधता को चुनौती दी थी।
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अगले ही दिन यहां की एक विशेष अदालत ने सिद्धरमैया के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस को जांच का आदेश दिया था और 24 दिसंबर तक जांच रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
पूर्व और निर्वाचित सांसदों/विधायकों से संबंधित आपराधिक मामलों से निपटने के लिए विशेष अदालत ने आदेश जारी कर मैसुरु में लोकायुक्त पुलिस को सूचना का अधिकार कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दायर शिकायत पर जांच शुरू करने का निर्देश दिया था।
सिद्धरमैया, उनकी पत्नी, बहनोई मल्लिकार्जुन स्वामी और देवराजू (जिनसे स्वामी ने एक जमीन खरीदी थी और उसे पार्वती को उपहार में दिया था) और अन्य को 27 सितंबर को मैसुरु स्थित लोकायुक्त पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में नामित किया गया है।
इसके बाद पार्वती ने उन्हें आवंटित 14 भूखंडों का आवंटन रद्द करने के लिए एमयूडीए को लिखा था और एमयूडीए ने इसे स्वीकार कर लिया था।
लोकायुक्त की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 30 सितंबर को मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए एक प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दायर की थी।
एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे।
भाषा संतोष