पोलियो विश्व मानचित्र से मिटने के कगार पर : विशेषज्ञ
नेत्रपाल मनीषा
- 24 Oct 2024, 03:47 PM
- Updated: 03:47 PM
(सुदीप्तो चौधरी)
कोलकाता, 24 अक्टूबर (भाषा) पोलियो वायरस की जटिलताओं के बावजूद भले ही इसे फैलने से रोकना मुश्किल है, लेकिन अब यह बीमारी वैश्विक मानचित्र से मिटने के कगार पर है। यह बात बृहस्पतिवार को एक विशेषज्ञ ने कही।
पोलियो से प्रभावी ढंग से निपटने में अनुकरणीय भूमिका निभाने के लिए भारत की प्रशंसा करते हुए अनुसंधानकर्ता डॉ. आनंद शंकर बंद्योपाध्याय ने आगाह किया कि किसी भी तरह की लापरवाही इस बीमारी को दोबारा लौटने में मदद कर सकती है।
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन से संबंधित पोलियो रोधी टीम में प्रौद्योगिकी, अनुसंधान और विश्लेषण मामलों के उपनिदेशक बंद्योपाध्याय ने बृहस्पतिवार को विश्व पोलियो दिवस के अवसर पर पीटीआई-भाषा के साथ विशेष वार्ता में यह बात कही।
उन्होंने कहा, ‘‘पोलियो के तीन सीरोटाइप हैं- टाइप 1, टाइप 2 और टाइप 3...। इनमे से टाइप 2 और 3 को दुनिया से ख़त्म कर दिया गया है। पोलियो वायरस टाइप 1 मुख्य रूप से दो देशों- पाकिस्तान और अफगानिस्तान में मौजूद है। अत: वैश्विक स्थिति के बारे में हम कह सकते हैं कि पोलियो उन्मूलन के कगार पर है।’’
बंद्योपाध्याय ने कहा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अलावा, मुख्य रूप से लगभग 15 देशों वाले अफ्रीकी क्षेत्र में हाल ही में पोलियो वायरस जैसे एक स्वरूप का प्रकोप देखा गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘यह वास्तव में अच्छी खबर है कि अधिकतर देशों में पोलियो मौजूद नहीं है।’’
बंद्योपाध्याय ने भारत की भी प्रशंसा करते हुए कहा कि देश ने पोलियो उन्मूलन में सराहनीय काम किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह तथ्य कि भारत अपनी पोलियो मुक्त स्थिति को बरकरार रख सकता है, वास्तव में एक अद्भुत उपलब्धि है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए। अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के संदर्भ में इसका बहुत बड़ा प्रभाव है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या दुनिया से पोलियो को स्थायी रूप से खत्म करना संभव है, विशेषज्ञ ने कहा, ‘‘वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, पोलियो एक वायरस के रूप में हांफ रहा है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान में ‘वाइल्ड टाइप’ का पोलियो वायरस मौजूद है, जबकि अफ्रीकी क्षेत्र के कुछ देशों में ‘वैरिएंट पोलियो वायरस’ मौजूद है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके आधार पर, आप कह सकते हैं कि उन्मूलन संभव है क्योंकि अधिकतर देशों ने पोलियो को निर्णायक रूप से रोक दिया है लेकिन निश्चित रूप से चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं।’’
विशेषज्ञ ने इस बीमारी को पूरी तरह खत्म करने में आने वाली दिक्कतों के बारे में कहा कि कुछ देशों में सभी बच्चों को हर समय टीका लगाना मुश्किल है।
पूर्व में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) में काम कर चुके बंद्योपाध्याय ने कहा, ‘‘ये इन देशों के कुछ हिस्सों में युद्ध, अशांति और विद्रोह से प्रभावित क्षेत्र हैं। इसलिए बच्चे दुर्भाग्य से असुरक्षित हैं और उन्हें वह टीकाकरण नहीं मिल पा रहा है जिसके वे हकदार हैं।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या कोरोना वायरस की तरह पोलियो के भी एक अलग रूप में उभरने की संभावना है, जिससे दुनिया इस समय अनजान है, डब्ल्यूएचओ के पूर्व अनुसंधानकर्ता ने कहा कि पोलियो वायरस की आनुवंशिक संरचना नए उप-स्वरूपों में विकसित होने की प्रवृत्ति रखती है।
उन्होंने कहा, ‘‘हां... एक जोखिम है कि पोलियो वायरस के नए उप-स्वरूप विकसित हो सकते हैं और हमने इसे विभिन्न क्षेत्रों में देखा भी है...।”
विश्व पोलियो दिवस हर साल 24 अक्टूबर को मनाया जाता है ताकि इस जानलेवा बीमारी से बचाने के लिए हर बच्चे के टीकाकरण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ पोलियो उन्मूलन के लिए दुनिया भर में किए जा रहे प्रयासों पर जोर दिया जा सके।
भाषा नेत्रपाल