भारत, चीन पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त से जुड़े समझौते पर सहमत हुए
पारुल नरेश
- 21 Oct 2024, 06:24 PM
- Updated: 06:24 PM
नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर (भाषा) भारत ने सोमवार को घोषणा की कि भारतीय और चीनी वार्ताकार पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध वाले बाकी बिंदुओं पर गश्त के लिए एक समझौते पर सहमत हुए हैं।
इस समझौते को पूर्वी लद्दाख में लगभग चार वर्षों से जारी सैन्य गतिरोध के समाधान की दिशा में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संकेत दिए कि यह समझौता विवादित बिंदुओं से सैनिकों की वापसी का मार्ग प्रशस्त करेगा, जिससे 2020 में पैदा हुए गतिरोध का समाधान होगा।
समझा जाता है कि यह समझौता देपसांग और डेमचोक इलाकों में गश्त से संबंधित है।
मिस्री ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘भारत और चीन के राजनयिक एवं सैन्य वार्ताकार पिछले कई हफ्तों से विभिन्न मंचों पर एक-दूसरे के करीबी संपर्क में रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इन चर्चाओं के परिणामस्वरूप, भारत-चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त व्यवस्था पर सहमति बनी है, जिससे 2020 में इन क्षेत्रों में उत्पन्न हुए गतिरोध का समाधान और सैनिकों की वापसी संभव हो सकेगी।’’
मिस्री ने कहा, ‘‘हम इस संबंध में आगे के कदम उठाएंगे।’’
हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या मौजूदा समझौता गश्त को लेकर उन अधिकारों को बहाल करता है, जो गतिरोध से पहले मौजूद थे।
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच मई 2020 से सैन्य गतिरोध बरकरार है। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का पूर्ण समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। हालांकि, वे टकराव वाले कई बिंदुओं से पीछे हट चुके हैं।
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद भारत और चीन के बीच संबंध निचले स्तर पर पहुंच गए थे। यह झड़प पिछले कुछ दशकों में दोनों पक्षों के बीच हुई सबसे गंभीर सैन्य झड़प थी।
भारत लगातार कहता आ रहा है कि जब तक सीमावर्ती इलाकों में शांति बहाल नहीं होती, तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते।
भारत गतिरोध शुरू होने के बाद से हुई सभी वार्ताओं में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पर देपसांग और डेमचोक से अपने सैनिक हटाने का दबाव डाल रहा है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले महीने कहा था कि चीन के साथ ‘सैन्य वापसी से जुड़ी लगभग 75 प्रतिशत समस्याएं’ सुलझा ली गई हैं, लेकिन बड़ा मुद्दा सीमा पर बढ़ता सैन्यीकरण है।
भाषा पारुल