दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में 12वीं कक्षा में साल दर साल घट रही ‘टॉपर्स’ की संख्या
जितेंद्र नरेश जितेंद्र
- 09 Oct 2024, 03:21 PM
- Updated: 03:21 PM
(जितेंद्र गुप्ता)
नयी दिल्ली, नौ अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में पिछले पांच वर्ष से ‘टॉपर्स’ यानी 95 से 100 फीसदी अंक लाने वाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार घटती जा रही है।
वर्ष 2020 में जहां 95 से 100 फीसदी अंक लाने वाले विद्यार्थियों की संख्या 442 थी वहीं 2024 में घटकर यह 67 रह गयी।
दिल्ली शिक्षा निदेशालय के मुताबिक, 100 अंक लाने वाले विद्यार्थियों की फेहरिस्त में दिल्ली सरकार के स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के सिर्फ आठ विद्यार्थी शामिल हैं, जिनमें से सात ने पेंटिंग में और एक छात्र ने साइकोलॉजी में ये अंक हासिल किये हैं।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने 2021-22 में स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की शुरुआत की थी और फिलहाल राष्ट्रीय राजधानी में इस तरह के 38 स्कूल हैं, जहां बच्चों की पढ़ाई के लिए उच्च स्तरीय सुविधाएं हैं।
‘पीटीआई-भाषा’ द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत दायर एक आवेदन में यह जानकारी सामने आयी है।
दिल्ली शिक्षा निदेशालय द्वारा आरटीआई के जवाब में मुहैया कराई गई जानकारी के मुताबिक, इस वर्ष 100 में से 100 अंक लाने वाले विद्यार्थियों की संख्या 153 रही, जिनमें से 33 विद्यार्थी ही मुख्य विषयों में 100 अंक ला सके जबकि 93 विद्यार्थियों ने सिर्फ पेंटिंग में 100 अंक प्राप्त किये।
आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, अकाउंट्स में आठ, बायोलॉजी में दो, केमिस्ट्री में आठ, कंप्यूटर साइंस में एक, अर्थशास्त्र में एक, इंजीनियरिंग ग्राफिक्स में एक, भूगोल में तीन, इंफॉर्मेटिक्स प्रैक्टिस में दो, ऑफिस प्रोसीजर एंड प्रैक्टिस में दो, गृह विज्ञान में सात, इतिहास में तीन, गणित में दो, राजनीति विज्ञान में तीन, पेंटिंग में 93, फिजिकल एजुकेशन में पांच, साइकोलॉजी में एक, रिटेल में एक, संस्कृत में दो, टेक्सटाइल डिजाइन में छह और उर्दू में एक बच्चे को 100 में से 100 अंक प्राप्त हुए।
‘पीटीआई-भाषा’ ने जब 12वीं कक्षा में ‘टॉपर्स’ की कम होती संख्या के बारे में दिल्ली शिक्षा निदेशालय के उच्च अधिकारियों से संपर्क किया तो जानकारी देने में टालमटोल करते नजर आए और निदेशालय की ओर से कोई जानकारी मुहैया नहीं कराई गयी।
आरटीआई के मुताबिक, 2024 में 12वीं की परीक्षा में बैठने वाले 1,51,429 विद्यार्थियों में से 67 छात्र, 95 से 100 फीसदी अंक लाने में सफल रहे जबकि 943 विद्यार्थियों को 90 से 95 अंक, 18,419 को 75 से 90 फीसदी, 61,492 छात्रों को 60 से 75 फीसदी, 57,904 विद्यार्थियों को 50 से 60 फीसदी और 12,604 विद्यार्थियों को 50 फीसदी से कम अंक प्राप्त हुए थे।
2023 में 12वीं की परीक्षा में बैठने वाले 2,27,020 विद्यार्थियों में से 105 छात्र 95 से 100 फीसदी अंक लाने में सफल रहे।
आरटीआई के मुताबिक, 2022 में 12वीं की परीक्षा देने वाले कुल 1,64,641 छात्रों में से 161 छात्र 95 से 100 फीसदी अंक लाने में सफल रहे।
इसी प्रकार 2021 में 12वीं कक्षा के कुल 1,61,484 छात्रों में से 95 से अधिक अंक लाने वाले छात्रों की संख्या 936 थी।
दिल्ली शिक्षा निदेशालय के मुताबिक, 2020 में कुल 1,11,413 बच्चे 12वीं की परीक्षा में बैठे जिसमें से 442 छात्र 95 से अधिक अंक लाने में सफल रहे
आरटीआई के मुताबिक, 2019 में 95 फीसदी से ज्यादा अंक लाने वाले विद्यार्थियों की संख्या 49 रही थी।
पेंटिंग जैसे विषय में ज्यादातर बच्चों के 100 अंक आने के प्रश्न पर ‘ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन’ के अध्यक्ष एवं दिल्ली उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने ‘पीटीआई-भाषा’से कहा, “पेंटिंग, गृह विज्ञान और ‘फिजिकल एजुकेशन’ जैसे विषय केवल कुल अंकों को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले विषय हैं।’’
उन्होंने दावा किया कि इनका कोई मतलब नहीं होता क्योंकि अगर आप कॉलेज में दाखिला लेने के लिए जाएंगे तो वहां पर इन अंकों पर गौर नहीं किया जाएगा।
अग्रवाल कहा कि इन विषयों में अच्छे अंक लाने का सिर्फ यही मकसद है कि स्कूल का रिजल्ट 100 में से 100 फीसदी हो जाता है और कुछ नहीं।
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