एआईबीए अध्यक्ष ने प्रधान न्यायाधीश को लिखा पत्र, शिष्टाचार संबंधी दिशानिर्देश का अनुरोध किया
अविनाश नरेश
- 08 Oct 2024, 06:22 PM
- Updated: 06:22 PM
नयी दिल्ली, आठ अक्टूबर (भाषा) सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता आदिश अग्रवाल ने प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर न्यायिक कार्यवाही के दौरान वकीलों से बातचीत करते समय न्यायाधीशों के लिए शिष्टाचार संबंधी दिशानिर्देश तैयार करने का अनुरोध किया है।
ऑल इंडिया बार एसोसिएशन (एआईबीए) के अध्यक्ष अग्रवाल ने उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा "निगरानी तंत्र" बनाने का भी प्रस्ताव किया।
अग्रवाल ने सात अक्टूबर को प्रधान न्यायाधीश को लिखे अपने पत्र में एक हालिया घटना का उल्लेख किया जिसमें मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के एक वरिष्ठ न्यायाधीश और वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन के बीच ऑनलाइन सुनवाई के दौरान टकराव हुआ था।
उन्होंने दावा किया कि वरिष्ठ वकील पीठ में शामिल न्यायाधीशों में से एक के हितों के संभावित टकराव को उजागर कर रहे थे। पत्र में कहा गया है कि उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश को "ऑनलाइन कार्यवाही के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता विल्सन और एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के प्रति चिल्लाते और अनुचित भाषा का प्रयोग करते हुए देखा गया।’’
अग्रवाल ने दावा किया, "वरिष्ठ अधिवक्ता की स्पष्ट मंशा थी कि कनिष्ठ न्यायाधीश के सुनवाई से अलग होने की अपील किए बिना संभावित हितों के टकराव को उजागर किया जाए लेकिन वरिष्ठ न्यायाधीश ने आक्रामक व्यवहार किया।"
उन्होंने कहा कि न्यायाधीश ने अधिवक्ताओं को ‘फटकार लगायी’ जबकि विल्सन ने विनम्रतापूर्वक बार-बार अपनी स्थिति स्पष्ट की। वरिष्ठ वकील ने माहौल को सामान्य बनाने के प्रयास के तहत माफ़ी भी मांगी।
पूर्व एससीबीए अध्यक्ष ने अधिवक्ताओं के साथ बातचीत करते समय न्यायाधीशों के शिष्टाचार पर स्पष्ट दिशानिर्देश तैयार किए जाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि दिशानिर्देशों में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि न्यायाधीश अधिवक्ताओं के प्रति अनुचित और अपमानजनक टिप्पणी करने से परहेज करें और कार्यवाही के विपरीत बयान दर्ज नहीं करें।
भाषा अविनाश