उषा ने आरआईएल के साथ दोषपूर्ण समझौते के यादव के दावों को खारिज कर कानूनी कार्रवाई की धमकी दी
आनन्द मोना
- 08 Oct 2024, 05:54 PM
- Updated: 05:54 PM
नयी दिल्ली, आठ अक्टूबर (भाषा) भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष पीटी उषा ने मंगलवार को सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) रिपोर्ट को लेकर कोषाध्यक्ष सहदेव यादव के दावों का खंडन किया कि रिलायंस इंडिया लिमिटेड (आरआईएल) के साथ दोषपूर्ण प्रायोजन समझौते के कारण इस शीर्ष खेल संघ को 24 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
उषा ने यहां जारी बयान में कहा कि यह उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने की एक चाल है। उन्होंने ‘भ्रामक जानकारी’ देने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी दी।
आईओए से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, ‘‘ डॉ. उषा ने सीएजी रिपोर्ट में सहदेव यादव द्वारा किए गए दावों का जोरदार खंडन किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने आईओए कार्यकारी परिषद की जानकारी के बिना काम किया। उनके अनुसार ये दावे उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और आईओए को बदनाम करने के जानबूझकर किए गए प्रयास का हिस्सा हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इससे जुड़ी बातचीत का प्रस्ताव नौ सितंबर 2023 को कार्यकारी परिषद के सभी सदस्यों के साथ साझा किया गया था। इसके बाद कार्यवाहक सीईओ ने पांच अक्टूबर 2023 को इससे जुड़े पत्र को आगे बढ़ाया। प्रायोजन समिति का प्रतिनिधित्व करने वाले रोहित राजपाल उन बैठकों में उपस्थित थे जहां प्रायोजन को लेकर चर्चा हुई थी।’’
आईओए और आरआईएल के बीच एक अगस्त 2022 के प्रायोजन समझौते की शर्तों के अनुसार आरआईएल को एशियाई खेलों (2022, 2026), राष्ट्रमंडल खेलों (2022, 2026), 2024 पेरिस ओलंपिक और 2028 लॉस एंजिलिस ऑलंपिक के लिए आधिकारिक प्रमुख भागीदार के रूप में आईओए के साथ जुड़ने की अनुमति दी गई थी।
समझौते ने आरआईएल को इन खेलों के दौरान ‘इंडिया हाउस’ बनाने का अधिकार भी दिया।
सीएजी की रिपोर्ट में हालांकि कहा गया कि पांच दिसंबर 2023 को एक संशोधित समझौते के जरिए शीतकालीन ओलंपिक खेलों (2026, 2030) और युवा ओलंपिक खेलों (2026, 2030) के अतिरिक्त अधिकार भी आरआईएल को दिए गए। इसका कारण अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) द्वारा किसी भी प्रायोजक को ‘एनओसी (राष्ट्रीय ओलंपिक समिति) हाउस’ के नामकरण अधिकार की अनुमति देने से इनकार करना था।
उषा ने कहा कि आरआईएल के साथ सौदे को दोबारा तैयार करते समय उचित प्रक्रिया का पालन किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘समझौते का परिशिष्ट भारत के प्रमुख खेल वकीलों में से एक नंदन कामथ (एनके लॉ , बैंगलोर) के मार्गदर्शन में तैयार किया गया था। कार्यवाहक सीईओ को इसकी जानकारी दी गयी थी। उनके साथ इससे जुड़े सभी प्रासंगिक ईमेल को साझा किया गया था।’’
इस बयान के मुताबिक, ‘‘डॉ. उषा ने आश्चर्य व्यक्त किया कि संशोधित समझौते के तुरंत बाद आईओए की वित्त समिति और कोषाध्यक्ष ने मई 2003 में आईओए के कानूनी सलाहकार के रूप में नियुक्ति के बावजूद कामथ की सेवाओं को समाप्त करने का फैसला किया।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘ इससे जुड़े सभी निर्णय आईओए और भारतीय एथलीटों के सर्वोत्तम हित में थे। यह सुनिश्चित किया गया था कि कोई वित्तीय नुकसान न हो। जनता को गुमराह करने या आईओए के प्रयासों को कमजोर करने के किसी भी प्रयास पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।’’
भाषा आनन्द