गोहाना की मशहूर ‘जलेबी’ हरियाणा चुनावों में घोल रही सियासी मिठास
प्रशांत नरेश
- 04 Oct 2024, 06:28 PM
- Updated: 06:28 PM
(संजय गंजू)
चंडीगढ़, चार अक्टूबर (भाषा) गोहाना की विशाल ‘जलेबी’ और हरियाणा चुनावों के बीच एक ‘मीठा संबंध’ है, और ऐसा कम ही होता है कि चुनावों के दौरान विभिन्न दलों के शीर्ष राजनेताओं के भाषणों में प्रसिद्ध मातू राम हलवाई का नाम न आए।
पार्टियां और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ कड़वाहट भरे अंदाज में प्रचार कर सकते हैं, लेकिन जब उनमें से कुछ के भाषणों में विशाल ‘जलेबी’ का नाम आता है, तो उनके भावों में मिठास आ ही जाती है।
हरियाणा में शनिवार को विधानसभा चुनावों के लिये मतदान होना है और इसके लिये चुनाव प्रचार बृहस्पतिवार शाम थम गया।
रमन गुप्ता ने गोहाना की मशहूर जलेबी के बारे में बताया कि इस बड़ी मिठाई को 1958 में उनके दादा मातू राम गोहाना में लेकर आए थे। अब इसे मातू राम की तीसरी पीढ़ी चला रही है।
रमन ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “मैं और मेरा भाई नीरज अब दुकान चलाते हैं।”
उन्होंने कहा, “जलेबी शुद्ध देसी घी से बनाई जाती है, कुरकुरी और रसभरी होती है और प्रत्येक का वजन लगभग 250 ग्राम होता है। एक किलो वजन वाले चार जलेबियों के डिब्बे की कीमत 320 रुपये है। मिठाई एक हफ्ते से अधिक समय तक रखी जा सकती है।”
चुनावों के दौरान राजनीतिक नेताओं की ओर से भारी ऑर्डर आते हैं, जबकि उनमें से कुछ लोग मिठाई खाने के लिए गोहाना की दुकान पर जाना पसंद करते हैं।
मंगलवार को गोहाना में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रसिद्ध जलेबी निर्माता मातू राम हलवाई का डिब्बा दिखाते हुए इस बात पर जोर दिया कि उनकी जलेबी पूरे देश में बेची जानी चाहिए और निर्यात की जानी चाहिए जिससे अधिक रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
रैली में अपने भाषण के दौरान गांधी ने कहा कि उन्होंने कार में प्रसिद्ध मातू राम हलवाई की जलेबी का स्वाद चखा और अपनी बहन और पार्टी नेता प्रियंका गांधी वाद्रा को संदेश भेजा कि “आज मैंने अपने जीवन की सबसे अच्छी जलेबी खाई है”।
उन्होंने कहा, “मैं आपके लिए भी जलेबी का एक डिब्बा ला रहा हूं।”
उन्होंने रैली में कहा, “फिर मैंने (कांग्रेस नेताओं) दीपेंद्र और बजरंग पुनिया जी से कहा कि यह जलेबी पूरी दुनिया में जानी चाहिए।”
इससे पहले मई में गोहाना में लोकसभा चुनाव के लिए एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधने के लिए “मातू राम की जलेबी” का जिक्र किया था।
विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन पर हमला करते हुए मोदी ने तब कहा था कि अगर वे सत्ता में आते हैं तो उनके पास पांच साल में पांच प्रधानमंत्री बनाने का फार्मूला है।
“उनसे पूछो क्या प्रधानमंत्री का पद हमारी मातू राम की जलेबी है?”
गोहाना में इस प्रसिद्ध दुकान के अस्तित्व में आने के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए रमन गुप्ता ने बताया कि शुरू में विशाल आकार की जलेबी की दुकान के पीछे का विचार किसानों की जरूरतों को पूरा करना था।
उन्होंने कहा, “गोहाना में अनाज की बहुत बड़ी मंडी है। किसान खेतों में बहुत मेहनत करते थे, यहां तक कि मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी। शुद्ध देसी घी से बनी बड़ी जलेबी से उन्हें न केवल ज़रूरी कैलोरी मिलती थी, बल्कि यह कई दिनों तक चलती थी और वे इसे कभी भी खा सकते थे।”
उन्होंने कहा, “शुरुआत में यह एक छोटी सी दुकान थी और बाद के वर्षों में जब यह प्रसिद्ध हो गई तो गोहाना से गुजरने वाले शीर्ष राजनेता भी मिठाई का स्वाद लेने के लिए समय निकालते थे।”
रमन गुप्ता (37) कहते हैं कि पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवी लाल भी मातू राम की जलेबियों के शौकीन थे।
उन्होंने कहा, “हरियाणा में चल रहे चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री नायब सैनी जी और कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा कुछ देर के लिए हमारी दुकान पर रुके थे।”
उन्होंने यह भी कहा कि परिवार को पहले उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा और कई व्यापारियों के खिलाफ मुकदमा दायर करना पड़ा जो मातू राम के नाम पर जलेबी तैयार कर रहे हैं और बेच रहे हैं। वे इस प्रकार कॉपीराइट ट्रेडमार्क का उल्लंघन कर रहे हैं।
भाषा प्रशांत