बांग्ला, मराठी और असमिया को मिला शास्त्रीय भाषा का दर्जा, ममता, फडणवीस और शर्मा ने किया स्वागत
रंजन जोहेब
- 04 Oct 2024, 12:58 AM
- Updated: 12:58 AM
कोलकाता/ गुवाहाटी/मुंबई (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा समेत विभिन्न नेताओं ने मराठी, बांग्ला और असमिया समेत विभिन्न भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के सरकार के कदम की बृहस्पतिवार को सराहना की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुयी केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मराठी, बांग्ला और असमिया के अलावा पाली एवं प्राकृत भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने को मंजूरी दी गई।
बांग्ला को यह दर्जा दिये जाने की मंजूरी के बाद बनर्जी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘मुझे यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने अंतत: बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दे दिया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से यह दर्जा प्राप्त करने का प्रयास कर रहे थे और हमने अपने दावे के पक्ष में शोध निष्कर्षों के तीन खंड प्रस्तुत किए थे। केंद्र सरकार ने आज शाम हमारे शोधपूर्ण दावे को स्वीकार कर लिया है और हम अंततः भारत में भाषाओं के समूह में सांस्कृतिक शिखर पर पहुंच गए हैं।’’
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा कि बंगाली समुदाय के लिये यह एक ऐतिहासिक क्षण है।
केंद्रीय मंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘ कैबिनेट ने बांग्ला को शास्त्रीय भाषा घोषित किया है, जो बंगाली समुदाय के लिए ऐतिहासिक क्षण है। यह प्रत्येक बंगाली के लिए बहुत गर्व व सम्मान की बात है।’’
असमिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिये जाने पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘असम के लोगों की ओर से, मैं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और पूरे केंद्रीय मंत्रिमंडल को असमिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के ऐतिहासिक फैसले के लिए अपना आभार व्यक्त करता हूं।’’
उन्होंने कहा कि असमिया उन चुनिंदा भाषाओं के समूह में शामिल हो गई है जिन्हें यह दर्जा मिला है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘आज के फैसले से हम अपनी प्रिय मातृभाषा को बेहतर तरीके से संरक्षित कर पाएंगे, जो न केवल हमारे समाज को एकजुट करती है बल्कि असम के संतों, विचारकों, लेखकों और दार्शनिकों के प्राचीन ज्ञान से एक अटूट जुड़ाव रखती है।’’
मराठी को यह दर्जा दिये जाने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस तथा अजित पवार ने केन्द्र के फैसले की सराहना की और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया।
प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को धन्यवाद देते हुए शिंदे ने कहा कि उनकी सरकार ने इस मुद्दे पर लगातार काम किया है।
शाह ने कहा, ‘‘केंद्रीय कैबिनेट ने पाली और प्राकृत भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देकर सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण-संवर्द्धन के संकल्प के प्रति कटिबद्धता को दर्शाया है। पाली और प्राकृत हमारे विस्तृत इतिहास, दर्शन, अध्यात्म और हजारों वर्ष पुरानी ज्ञान परंपरा की भाषाएं हैं।’’
फडणवीस ने कहा, ‘‘यह एक स्वर्णिम दिन है। महाराष्ट्र के 12 करोड़ लोगों की ओर से मैं प्रधानमंत्री को इस फैसले के लिए धन्यवाद देता हूं।’’
फडणवीस ने कहा कि जब वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे, तब उनके नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का मुद्दा केंद्र के समक्ष उठाया था।
फडणवीस ने कहा कि शिंदे के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार ने भी इस दिशा में प्रयास जारी रखे।
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि यह फैसला "ऐतिहासिक" है। उन्होंने कहा कि मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलाने के लिए दशकों से संघर्ष चल रहा था।
राकांपा (शरदचंद्र प्रवार) के प्रवक्ता अनीश गावंडे ने केंद्र के फैसले की सराहना की और सवाल किया कि शिंदे सरकार पूरे राज्य में मराठी को बढ़ावा देने में विफल क्यों रही।
गावंडे ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने 2012 में मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के लिए रंगनाथ पठारे की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी और ‘‘12 साल तक चले बृहस्पति परिभ्रमण के बाद’’ सरकार ने आखिरकार समिति की सिफारिशों पर काम किया है।
महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने 2014 में प्रोफेसर रंगनाथ पठारे की अध्यक्षता में मराठी विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी, जिसके बाद केंद्र को एक रिपोर्ट सौंपी गई थी।
इस कदम की सराहना करते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के विधायक प्रमोद पाटिल ने कहा कि उनकी पार्टी के प्रमुख राज ठाकरे ने 2024 के लोकसभा चुनावों में मोदी को समर्थन देते हुए मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग की थी।
राज्य विधानसभा चुनावों से पहले मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग ने राजनीतिक जोर पकड़ लिया था। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि पिछले दस सालों से मराठी को शास्त्रीय भाषा घोषित करने की मांग केंद्र सरकार के पास लंबित है।
इससे पहले केंद्र सरकार ने कहा कि शास्त्रीय भाषाएं भारत की गहन और प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की संरक्षक हैं, जो प्रत्येक समुदाय के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक उपलब्धियों का सार प्रस्तुत करती हैं।
सरकारी बयान में कहा गया है कि शास्त्रीय भाषा के रूप में भाषाओं को शामिल करने से विशेष रूप से शैक्षणिक और शोध क्षेत्रों में महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
भाषा रंजन जोहेब