बंगाल में विरोध-प्रदर्शन वामपंथी, लोकतांत्रिक विपक्ष की आवश्यकता को दर्शाता है : दीपांकर भट्टाचार्य
पारुल दिलीप
- 21 Sep 2024, 08:58 PM
- Updated: 08:58 PM
नयी दिल्ली, 21 सितंबर (भाषा) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक प्रशिक्षु महिला चिकित्सक से कथित दुष्कर्म और हत्या की घटना के खिलाफ पश्चिम बंगाल में विरोध-प्रदर्शन “अभूतपूर्व” हैं और इसने राज्य में वामपंथी, लोकतांत्रिक विपक्ष की गुंजाइश एवं आवश्यकता को भी रेखांकित किया है।
‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में भट्टाचार्य ने कहा कि विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे नागरिक संस्थाओं के सदस्यों ने राजनीतिक दलों, खासकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को दूर रखा है।
उन्होंने कहा कि यह आंदोलन दर्शाता है कि पश्चिम बंगाल में एक “तीसरी ताकत” की आवश्यकता है।
नौ अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की 31 वर्षीय प्रशिक्षु चिकित्सक से बलात्कार और हत्या की घटना के खिलाफ पूरे राज्य में एक महीने तक चले कनिष्ठ चिकित्सकों के आंदोलन में समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने हिस्सा लिया।
यह पूछे जाने पर कि क्या इस आंदोलन का पश्चिम बंगाल की राजनीति पर कोई असर पड़ेगा, भट्टाचार्य ने कहा, “मुझे लगता है कि इसका निश्चित तौर पर असर पड़ेगा। ये विरोध-प्रदर्शन अभूतपूर्व हैं।”
उन्होंने कहा, “हमने पश्चिम बंगाल या देश के किसी अन्य हिस्से में हाल के समय में इतने बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन नहीं देखा है। यह मुख्य रूप से नागरिक समाज का प्रदर्शन है, जिसका एजेंडा (पीड़िता के लिए) न्याय और न सिर्फ पश्चिम बंगाल में, बल्कि पूरे देश में स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार लाना है।”
भट्टाचार्य के मुताबिक, चिकित्सक के साथ दुष्कर्म-हत्या की घटना ने राज्य की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार के खिलाफ लोगों के गुस्से को उजागर किया है।
उन्होंने कहा, “आरजी कर अस्पताल की घटना सिर्फ एक कारक थी। हमें लगता है कि सरकार के खिलाफ कई अन्य मुद्दे हैं। लोगों में असंतोष व्याप्त है।”
भाकपा (माले) महासचिव ने कहा, “इस बात पर गौर फरमाना जरूरी है कि नागरिक संगठनों ने राजनीतिक दलों, खासकर भाजपा को अपने विरोध-प्रदर्शन में दखल देने की इजाजत नहीं दी है। इससे साबित होता है कि बंगाल का नागरिक समाज भी देश को लेकर चिंतित है।”
उन्होंने कहा, “इसलिए पश्चिम बंगाल में अब एक तीसरी ताकत की जरूरत है। भाजपा, जो मुख्य विपक्षी दल बन गई है, उसकी जगह वामपंथी, लोकतांत्रिक और मजबूत विपक्ष को खड़ा किया जाना चाहिए। हमें लगता है कि इसकी गुंजाइश है और यह मौजूदा समय की जरूरत भी है।”
भट्टाचार्य ने कहा कि जूनियर डॉक्टर के विरोध-प्रदर्शन ने स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार को खत्म करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य प्रणाली और उसमें (भ्रष्टाचार की) जांच की व्यवस्था में जो भ्रष्टाचार व्याप्त है, उसकी जड़ें बहुत गहरी हैं। इसलिए स्वास्थ्य प्रणाली में पारदर्शिता लाना और भ्रष्टाचार को खत्म करना दो मुख्य मुद्दे हैं।”
भट्टाचार्य ने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में सुधार के अलावा विरोध-प्रदर्शन को कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर भी ध्यान आकर्षित करना चाहिए।
उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय इसे सिर्फ चिकित्सकों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे के रूप में नहीं देखेगा। चिकित्सकों की सुरक्षा के साथ-साथ सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि निर्भया कांड, वर्मा कमेटी की रिपोर्ट और कानून में कुछ बदलावों के इतने दिन बाद भी देश में बलात्कार की घटनाओं में कमी नहीं आई है। हर 16 मिनट में (बलात्कार की) एक वारदात की सूचना मिलती है। दोषसिद्धि दर नहीं बढ़ी है, यह अभी भी 27 फीसदी के आसपास है।”
भाकपा (माले) नेता ने कहा, “इसलिए यह कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा का भी मुद्दा है और शीर्ष अदालत को इस दिशा में भी ध्यान देना चाहिए।”
भट्टाचार्य ने महिलाओं को रात की पाली में काम करने से रोकने वाले आदेश और विधानसभा में पारित बलात्कार विरोधी अपराजिता विधेयक को लेकर भी पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना की।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रस्तावित कानून में कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है, लेकिन यह पीड़िताओं के लिए न्याय सुनिश्चित करने में मदद नहीं करेगा।
भट्टाचार्य ने कहा, “बंगाल सरकार जिस तरह से कुछ प्रस्ताव लेकर आई, उससे लगा कि वे सुरक्षा के नाम पर महिलाओं पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें रात की पाली में काम करने से रोक रहे हैं। आप सुरक्षा के नाम पर किसी व्यक्ति के अधिकारों में कटौती नहीं कर सकते।”
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को ममता सरकार की ‘रात्रियर साथी’ योजना पर आपत्ति जताई थी, जिसके तहत महिलाओं के लिए काम के घंटे 12 घंटे से अधिक नहीं करने और उनकी रात की ड्यूटी नहीं लगाने का प्रावधान किया गया है।
भट्टाचार्य ने कहा, “इसी तरह, जो अपराजिता विधेयक पारित किया गया, वह बलात्कार पीड़िताओं को न्याय दिलाने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय कड़ी सजा, मौत की सजा का प्रावधान करके लोगों को गुमराह करने की कोशिश करता है। ऐसा देखा गया है कि अगर किसी कानून में ज्यादा कड़ी सजा का प्रावधान किया जाता है, तो पीड़िता की न्याय पाने की उम्मीद कम हो जाती है और बलात्कार तथा हत्या की घटनाएं बढ़ जाती हैं। इसलिए यह सही दिशा में उठाया गया कदम नहीं है।”
भाषा पारुल