मुख्यमंत्री आतिशी के सामने जन कल्याण से जुड़ी लंबित योजनाओं पर तेजी से काम करने की चुनौती
शफीक माधव
- 21 Sep 2024, 08:54 PM
- Updated: 08:54 PM
नयी दिल्ली, 21 सितंबर (भाषा) आतिशी का नाम 21 सितंबर को दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के साथ ही इतिहास के पन्नों पर अंकित हो गया क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सुषमा स्वराज और कांग्रेस की शीला दीक्षित के बाद दिल्ली में इस पद पर पहुंचने वालीं वह तीसरी महिला बन गयीं हैं।
सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद आतिशी (43वर्ष) दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनी हैं। वह दिल्ली की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री हैं। दीक्षित ने जब मुख्यमंत्री का पदभार संभाला था तब वह 60 साल की थीं। सुषमा स्वराज दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने के समय 46 साल की थीं।
आम आदमी पार्टी (आप) ने एक अहम मोड़ पर आतिशी को शीर्ष पद प्रदान किया है, क्योंकि पार्टी अगले साल की शुरुआत में दिल्ली विधानसभा चुनाव में ना केवल सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है, बल्कि वह चाहती है कि दिल्ली सरकार जन कल्याण से जुड़े लंबित नीतियों और योजनाओं पर तेजी से काम करे।
ऐसे में अब आतिशी को पद संभालने के बाद कड़ी मेहनत करनी होगी और मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना, इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2.0 और द्वार पर सेवाओं की डिलीवरी जैसी अन्य योजनाओं के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए तेज गति से काम करना होगा।
हालांकि, आतिशी के लिए ऐसी परिस्थितियों से जूझना कोई नई बात नहीं है। कैबिनेट में उनका शामिल होना भी तब हुआ जब पिछले साल केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा आबकारी नीति मामले में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद सरकार मुश्किल दौर से गुजर रही थी।
सिसोदिया और सत्येन्द्र जैन के इस्तीफे के बाद आतिशी, सौरभ भारद्वाज के साथ दिल्ली सरकार में शामिल हो गईं।
आतिशी ने केजरीवाल सरकार में वित्त, राजस्व, शिक्षा और लोक निर्माण विभाग सहित 13 प्रमुख विभागों का नेतृत्व करते हुए शामिल हुईं।
यहां मंगलवार को विधायक दल की बैठक के दौरान उन्हें सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री मनोनीत किया गया था।
आतिशी वर्ष 2013 में आप में शामिल हुईं और वह पर्दे के पीछे रहकर शिक्षा संबंधी नीतियों पर सरकार की सलाहकार के रूप में काम करती रहीं। लेकिन वर्ष 2019 में उन्होंने चुनावी राजनीति में कदम रखा, तब उन्होंने पूर्वी दिल्ली से भाजपा के गौतम गंभीर के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा। लेकिन, वह यह चुनाव हार गईं।
सक्रिय राजनीति में आने से पहले आतिशी ने अपना उपनाम मार्लेना, जो कि मार्क्स और लेनिन का प्रतीक था, हटा दिया था क्योंकि वह चाहती थीं कि उनकी राजनीतिक संबद्धता को गलत तरीके से नहीं समझा जाना चाहिए।
वर्ष 2020 में आतिशी ने विधानसभा चुनाव लड़ा और कालकाजी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बनीं।
आतिशी के माता-पिता विजय सिंह और तृप्ता वाही दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर थे। आतिशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से सर्वोच्च स्थान के साथ इतिहास में स्नातक की डिग्री हासिल की। उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से शिक्षा एवं इतिहास में परास्नातक की डिग्री हासिल की है।
भाषा शफीक