दो मुस्लिम संगठनों ने वक्फ संबंधी मसौदा विधेयक के एक खंड को हटाने पर आपत्ति जताई
आशीष जितेंद्र
- 20 Sep 2024, 12:54 AM
- Updated: 12:54 AM
नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) दो प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने बृहस्पतिवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति के समक्ष उपस्थित होकर विधेयक के एक खंड को हटाये जाने पर कड़ी आपत्ति जताई।
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज (एआईपीएमएम) और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के प्रतिनिधि पिछले महीने लोकसभा में पेश किए गए वक्फ संशोधन विधेयक पर संयुक्त समिति के समक्ष उपस्थित हुए।
संसदीय समिति के एक सदस्य ने बताया कि एआईपीएमएम के प्रतिनिधियों ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इससे पिछड़े वर्गों के मुसलमानों को फायदा होगा।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रतिनिधियों ने विधेयक का विरोध किया और इसे मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ बताया।
एआईएमपीएलबी ने विधेयक के उन प्रावधानों पर आपत्ति जताई है, जो पांच साल तक मुस्लिम धर्म का पालन करने वाले व्यक्ति को वक्फ बनाने का अधिकार देने की बात कहते हैं।
समिति की बैठक में तीखी बहस हो गई, जब राज्यसभा में एक विपक्षी सदस्य ने भाजपा सदस्य मेधा कुलकर्णी पर कुछ ‘‘आहत करने वाली टिप्पणियां’’ कीं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सदस्य मेधा कुलकर्णी समिति के सामने पेश हुए कानूनी विशेषज्ञ फैजान मुस्तफा से वक्फ संचालन परिषद की संरचना पर सवाल पूछ रही थीं।
सूत्रों के अनुसार, जब कुलकर्णी मुस्तफा से स्पष्टीकरण मांग रही थीं तो हंगामा हुआ। विशेष रूप से विपक्ष के एक राज्यसभा सदस्य द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों को लेकर बैठक में नोकझोंक हुई।
कुलकर्णी ने विपक्षी सदस्य से माफी की मांग की, जिसे संबंधित सांसद ने तत्काल नहीं माना, हालांकि बाद में विपक्षी सदस्य ने समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल और भाजपा सदस्य अपराजिता सारंगी की उपस्थिति में कुलकर्णी से खेद व्यक्त किया।
सूत्रों का कहना है कि कुलकर्णी ने इस बात पर जोर दिया कि माफी समिति की बैठक के दौरान मांगी जाए जहां कथित रूप से आहत करने वाली टिप्पणियां की गई थीं।
भाषा आशीष