जनचेतना जागृत करने का समय आ गया है, ताकि महिलाओं के प्रति सम्मान बढ़े: मुर्मू
अमित पवनेश
- 16 Sep 2024, 09:15 PM
- Updated: 09:15 PM
नयी दिल्ली, 16 सितंबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि देश की असली ताकत महिलाओं के सशक्तीकरण में निहित है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि ऐसी जन चेतना जागृत की जाए जिसमें महिलाओं के प्रति सम्मान बढ़े और कोई भी महिला किसी भी समय, किसी भी स्थान पर असुरक्षित महसूस न करे।
राष्ट्रपति मुर्मू ने न्यूज18 शी-शक्ति सम्मेलन-2024 में एक वीडियो संदेश में कहा कि देश में महिला सुरक्षा को लेकर सख्त कानून बनाए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘फिर भी, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि असुरक्षा की भावना अभी भी मौजूद है। महिलाओं का निरंतर संघर्ष सामाजिक संकीर्णता और रूढ़िवाद के खिलाफ है जो उन्हें कमजोर समझते हैं।’’
आयोजकों द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में राष्ट्रपति के हवाले से कहा गया कि यद्यपि कई परिवर्तन हुए हैं, फिर भी कुछ सामाजिक पूर्वाग्रह अभी भी गहराई से जड़ें जमाये हुए हैं, जो महिलाओं की समानता में बाधाएं उत्पन्न कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘एक समाज के रूप में, हम सभी को अपने भीतर झांकने और कुछ कठिन प्रश्न पूछने की आवश्यकता है। हमसे कहां गलती हुई है? हम सुधार के लिए क्या कर सकते हैं? महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान किसी भी राष्ट्र के विकास और सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। यह हम सभी के लिए आवश्यक हो गया है कि हम एकजुट होकर अपने देश में महिलाओं के सम्मान और गरिमा की रक्षा करने और उनकी प्रगति सुनिश्चित करने का संकल्प लें।’’
मुर्मू ने कहा कि महिलाएं शक्ति की सच्ची अभिव्यक्ति हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश की असली ताकत महिलाओं के सशक्तीकरण में निहित है। हमारी महिलाओं ने हमेशा लचीलापन, शक्ति और साहस का परिचय दिया है और सभी बाधाओं के बावजूद आगे बढ़ी हैं।’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि हम ऐसी जन चेतना जगाएं, जिसमें महिलाओं के प्रति सम्मान बढ़े और कोई भी महिला किसी भी समय, किसी भी स्थान पर असुरक्षित महसूस न करे।’’
उन्होंने कहा कि भारत में महिलाओं को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत की सदियों पुरानी संस्कृति में, हमारे देश को मातृभूमि का दर्जा दिया गया है। हम अपनी जन्मभूमि को मां मानते हैं और धरती को भी मां कहते हैं। इस तरह, भारतीय धरती में महिलाओं को सर्वोच्च सम्मान देने की परंपरा है।’’
इस साल के शी-शक्ति सम्मेलन का विषय ‘बाधाओं को तोड़ना’ है और यह इसका दूसरा संस्करण है जो, इस बारे में बात करता है कि महिलाएं किस तरह सफलता को फिर से परिभाषित कर रही हैं और परिवर्तनकारी बदलाव ला रही हैं।
भाषा अमित