शाह ने सेना के खिलाफ टिप्पणी के लिए फारूक अब्दुल्ला पर निशाना साधा
नेत्रपाल माधव
- 16 Sep 2024, 08:45 PM
- Updated: 08:45 PM
जम्मू, 16 सितंबर (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला पर तीखा हमला करते हुए कहा कि वह हताशा में इतने नीचे गिर गए हैं कि उन्होंने भारतीय सेना के आतंकवादियों से संबंध होने के निराधार आरोप लगा दिए हैं।
शाह ने कहा कि आतंकवाद को इतनी गहराई में दफना दिया जाएगा कि यह सात पीढ़ियों तक वापस नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि एक प्रमुख सुरक्षा व्यवस्था विकसित की जा रही है और ग्राम रक्षा गार्ड (वीडीजी) तथा विशेष पुलिस अधिकारियों (एसपीओ) का पुनर्गठन किया जा रहा है।
उन्होंने सोमवार को किश्तवाड़ में एक सार्वजनिक रैली में कहा, ‘‘चुनाव जीतने की चाह में फारूक अब्दुल्ला नियंत्रण खो चुके हैं। हाल ही में उन्होंने एक बयान में कहा कि सेना और आतंकवादी आपस में मिले हुए हैं। चुनाव जीतने के लिए हर कोई चुनाव लड़ता है, लेकिन जीत हासिल करने की कोशिश में फारूक अब्दुल्ला किस हद तक गिर सकते हैं?’’
पार्टी उम्मीदवारों शगुन परिहार और तारक कीन के लिए प्रचार करने आए शाह ने याद दिलाया कि सेना ने तीन युद्धों में जम्मू-कश्मीर की रक्षा की और सैनिक अब भी अकसर अपनी कुर्बानी देकर अपने लोगों की रक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सेना का अपमान अस्वीकार्य है।
शाह ने कहा कि सेना अत्यंत विषम परिस्थितियों तथा शून्य से 43 डिग्री नीचे के तापमान में भी काम करती है।
उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव आते-जाते रहते हैं, लेकिन हमारे सशस्त्र बलों को बदनाम करना उनके (फारूक) कद के व्यक्ति को शोभा नहीं देता।’’
अगस्त में फारूक अब्दुल्ला ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि सेना देश में घुसपैठ कर रहे आतंकवादियों के साथ मिली हुई हो सकती है।
अब्दुल्ला ने कहा था, ‘‘हमारी सीमाओं पर भारी संख्या में सैन्य तैनाती है। आतंकवादी भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करते रहते हैं। ऐसा कैसे हो सकता है? ये सब मिले हुए हैं।’’
शाह ने मतदाताओं से अब्दुल्ला, गांधी और मुफ्ती परिवार के ‘‘वंशवाद को हराने’’ का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, ‘‘एक बार इन तीन परिवारों को हरा दो, और मैं तुमसे वादा करता हूं कि आतंकवाद को इतनी गहराई में दफन कर दिया जाएगा कि सात पीढ़ियों तक वापस नहीं आएगा।’’
शाह ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला के उस बयान को लेकर भी निशाना साधा जिसमें उन्होंने कहा था कि संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी नहीं दी जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा, ‘‘इससे पता चलता है कि अगर वे सत्ता में आए तो क्या होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उमर अब्दुल्ला कहते हैं कि अफजल गुरु को फांसी नहीं दी जानी चाहिए थी। अगर यही स्थिति है तो उनकी सरकार बनने के बाद क्या होगा? पत्थरबाजी फिर से शुरू हो जाएगी, आतंकवादियों के जनाजे निकाले जाएंगे, हमले बढ़ेंगे और निवेश रुक जाएगा।’’
शाह ने कहा, ‘‘अब्दुल्ला-गांधी परिवार आतंकवाद को संरक्षण देने के लिए वापस आ सकते हैं और ऐसा करने में उन्हें कोई शर्म भी नहीं है। लेकिन नरेन्द्र मोदी की सरकार के सत्ता में रहते हुए ऐसा कुछ नहीं होगा।’’
उन्होंने नेकां-कांग्रेस गठबंधन की भी आलोचना की तथा मतदाताओं को चेतावनी दी कि इन दलों की योजनाएं क्षेत्र की सुरक्षा को खतरे में डाल सकती हैं।
शाह ने कहा, ‘‘वे दावा करते हैं कि अगर वे सत्ता में आए तो वे सभी आतंकवादियों को जेलों से रिहा कर देंगे। क्या आप यही चाहते हैं? यह क्षेत्र 1990 के दशक में आतंकवाद का सबसे बुरा दौर झेल चुका है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी उम्मीदवार शगुन परिहार ने आतंकवाद के कारण अपने पिता और चाचा दोनों को खो चुकी हैं। नेकां या कांग्रेस चाहे जो भी योजना बनाएं, नरेन्द्र मोदी की सरकार के तहत कोई भी ताकत पीर पंजाल क्षेत्र में आतंकवाद को पुनर्जीवित नहीं कर सकती।’’
गृह मंत्री ने स्थानीय सुरक्षाबलों को मजबूत करने के लिए सरकार के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें विशेष पुलिस अधिकारियों (एसपीओ) और ग्राम रक्षा गार्ड (वीडीजी) के लिए हथियारों का आधुनिकीकरण भी शामिल है।
शाह ने कहा, ‘‘हम एसपीओ और वीडीजी का पुनर्गठन कर रहे हैं, उन्हें पुराने 303 मॉडल की जगह एसएलआर राइफलें दे रहे हैं। हमारी प्राथमिकता उनके मुद्दों को हल करना और आतंकवाद को दूर रखने के लिए एक मजबूत सुरक्षा घेरा बनाना है।’’
आतंकवादियों को चेतावनी देते हुए शाह ने कहा, ‘‘अगर आप आतंक फैलाने की योजना बना रहे हैं, तो अब पुनर्विचार करने और यहां से चले जाने का समय है। भारतीय सेना और अन्य बल आपको यहीं दफनाने के लिए तैयार हैं।’’
अब्दुल्ला-गांधी गठबंधन के इतिहास का जिक्र करते हुए शाह ने याद दिलाया कि कैसे कांग्रेस नेताओं ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख अब्दुल्ला को जेल में डाल दिया था। उन्होंने कहा, ‘‘इंदिरा गांधी ने शेख अब्दुल्ला को वर्षों तक जेल में रखा और अब उनके पोते उमर अब्दुल्ला राहुल गांधी के साथ गठबंधन में हैं।’’
शाह ने चुनौती देते हुए कहा, ‘‘अगर राहुल गांधी में साहस है तो उन्हें जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अब्दुल्ला के खिलाफ कांग्रेस द्वारा पेश किया गया श्वेतपत्र वापस लाना चाहिए।’’
उन्होंने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि कैसे ‘‘सत्ता के लालच’’ ने कांग्रेस और नेकां को एक साथ ला खड़ा किया है।
शाह ने कहा, ‘‘मैं इस बात से हैरान हूं कि सत्ता का लालच क्या-क्या कर सकता है। कांग्रेस परिवार, जिसने शेख अब्दुल्ला को राष्ट्र-विरोधी करार दिया और उन्हें वर्षों तक जेल में रखा, अब मोदी जी से मुकाबला करने के लिए उमर अब्दुल्ला के साथ गठबंधन कर रहा है। यह गठबंधन जनसेवा के लिए नहीं, बल्कि सत्ता हासिल करने के लिए है।’’
उन्होंने मतदाताओं को आश्वासन दिया कि मोदी सरकार आतंकवाद को खत्म करने, अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण को बरकरार रखने तथा आरक्षण की रक्षा के लिए अपने प्रयास जारी रखेगी।
शाह ने कहा, ‘‘चिंता मत कीजिए। न तो वे जीतेंगे, न ही आतंकवाद वापस आएगा, न ही अनुच्छेद 370 वापस आएगा और न ही आरक्षण समाप्त होगा।’’
भाजपा उम्मीदवार शगुन परिहार के बारे में शाह ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उनके परिवार के बलिदान की प्रशंसा की।
शाह ने कहा, ‘‘जब लोगों ने कहा कि वह इस उम्मीदवारी के लिए बहुत छोटी हैं, तो मैंने उन्हें उनके परिवार की शहादत की याद दिलाई - उनके पिता और चाचा इस देश के लिए बलिदान हो गए। वह न केवल विकास का प्रतिनिधित्व करेंगी, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत आवाज भी बनेंगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘शगुन के लिए वोट देना सिर्फ देश की सुरक्षा या विकास के लिए वोट नहीं है, बल्कि उनके पिता और चाचा को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया।’’
शाह ने पैरा-एथलीट शीतल देवी को भी बधाई दी, जिन्होंने हाल ही में पेरिस पैरालिंपिक में कांस्य पदक जीता और जिन्हें भारत को गौरवान्वित करने के लिए अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
भाषा नेत्रपाल