हर व्यक्ति के लिए तानाशाह बनना संभव नहीं: पुस्तक
संतोष दिलीप
- 15 Sep 2024, 07:35 PM
- Updated: 07:35 PM
नयी दिल्ली, 15 सितंबर (भाषा) कोई भी और हर व्यक्ति तानाशाह नहीं बन सकता, क्योंकि संभावित तानाशाह के लिए सबसे पहली जरूरत यह है कि उसका उदय ऐसे युग में हुआ हो, जब देश की राजनीतिक स्थिति अस्थिर हो। यह बात पूर्व राजनयिक राजीव डोगरा ने अपनी नई पुस्तक में कही है।
‘ऑटोक्रेट: करिश्मा, पावर एंड देयर लाइव्स’ नामक पुस्तक में डोगरा वास्तविक जीवन की स्थितियों को रेखांकित करते हुए बताते हैं कि कैसे अधिनायकवादी विचार अपनी पकड़ बनाता है, बढ़ता है और खुद को बनाए रखता है।
‘रूपा’ द्वारा प्रकाशित पुस्तक में उनके व्यक्तित्व, उनके मनोविज्ञान और उनके निजी जीवन का रोचक वर्णन किया गया है। यह पुस्तक इन ताकतवर लोगों के अंदर के आसुरी गुणों, उनकी घबराहट और बेचैनी तथा उनके भय को भी उजागर करती है।
तो क्या सभी स्वेच्छाचारी नेताओं को तानाशाह की श्रेणी में रखा जा सकता है? इसका जवाब लेखक ना में देता है।
वे लिखते हैं, ‘‘किसी भी व्यक्ति और हर किसी के लिए तानाशाह होना संभव नहीं है। सबसे पहली आवश्यकता यह है कि एक संभावित तानाशाह को ऐसे युग में होना चाहिए, जब उसके देश की राजनीतिक व्यवस्था अस्थिर हो।’’
उन्होंने कहा कि तानाशाह के उत्थान को सुनिश्चित करने के लिए कई अन्य घटनाओं की भी आवश्यकता होती है।
वे कहते हैं, ‘‘सबसे पहले एक व्यक्ति को क्रूर व्यक्तित्व के लक्षण विकसित करने की क्षमता के साथ पैदा होना चाहिए। इन लक्षणों में आत्ममुग्धता, सनक और नियंत्रण की अत्यधिक इच्छा शामिल है। एक संभावित तानाशाह के मुश्किल हालात में पले-बढ़े होने की संभावना रहती है। हो सकता है कि उसने बचपन में शारीरिक और मनोवैज्ञानिक शोषण का सामना किया हो। उसकी युवावस्था असामाजिक व्यवहार से प्रभावित रही होगी।’’
ऐसे व्यक्ति में देखने लायक अन्य लक्षण क्या हैं?
इसके जवाब में लेखक कहता है, ‘‘एक प्रारंभिक संकेतक एक तानाशाह की उत्साह को प्रेरित करने की क्षमता है। आत्ममुग्ध नेता आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त करने का वादा करते हैं। वे खुद को और अपने विचारों को प्रस्तुत करने में अच्छे होते हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उनके भाषण लोगों को मंत्रमुग्ध करके यह विश्वास दिला देते हैं कि आखिरकार जिस मसीहा का वे इंतजार कर रहे थे, वह आ गया है।’’
डोगरा का कहना है कि लीबिया के तानाशाह मुअम्मर कज्जाफी का मामला आत्ममुग्धता की प्रवृत्ति को अच्छी तरह से दर्शाता है।
कई तानाशाह आत्ममुग्ध होते हैं, तो क्या हम इस विशेषता का उपयोग करके यह अनुमान लगा सकते हैं कि किसके तानाशाह बनने की संभावना है?
डोगरा का कहना है कि इसकी पूर्ण पुष्टि करना मुश्किल है, क्योंकि सभी तानाशाह एक ही तरीके से या समान परिस्थितियों में सत्ता में नहीं आते हैं।
कराची में भारत के महावाणिज्यदूत रहने के अलावा और इटली, रोमानिया, मोल्दोवा, अल्बानिया और सैन मैरिनो में भारत के राजदूत के रूप में काम कर चुके डोगरा इसके पहले कई अन्य पुस्तकें लिख चुके हैं।
भाषा संतोष