भूटान पर्यटकों की संख्या पर कोई सीमा नहीं लगाता: सीएमओ भूटान पर्यटन कैरिसा निमाह
सिम्मी माधव
- 14 Sep 2024, 05:57 PM
- Updated: 05:57 PM
(माणिक गुप्ता)
थिंपू, 14 सितंबर (भाषा) भूटान में पर्यटन की मुख्य विपणन अधिकारी (सीएमओ) कैरिसा निमाह ने आश्वासन दिया है कि आम धारणा के विपरीत भूटान में ‘‘पर्यटकों की संख्या पर कोई सीमा तय नहीं की गई है।’’
भूटान में आने वाले लोगों के निरंतर प्रवाह पर सतत विकास शुल्क (एसडीएफ) का भी असर नहीं पड़ा है।
भूटान पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता को प्राथमिकता देते हुए ‘‘उच्च मूल्य, निम्न मात्रा’’ नीति को सफलतापूर्वक प्रोत्साहित कर रहा है। भूटान में भारत से आने वाले पर्यटकों को छोड़कर हर विदेशी पर्यटक से प्रति रात्रि 100 अमेरिकी डॉलर शुल्क लिया जाता है जबकि भारत से आने वाले पर्यटकों से प्रति रात्रि 1,200 रुपये लिए जाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पर्यटन और पर्यटन रणनीतियों के मामले में भूटान का दृष्टिकोण हमेशा थोड़ा अलग रहा है... इसलिए भूटान की पर्यटन रणनीति ‘उच्च मूल्य, कम मात्रा’ है। भूटान ऐसा पर्यटन स्थल नहीं है जहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हों। वह कभी भी ऐसा पर्यटन स्थल नहीं रहा और न ही वह ऐसा बनना चाहता है।’’
मालदीव और थाईलैंड में कई ‘लक्जरी’ आतिथ्य ब्रांड के साथ काम कर चुकीं निमाह ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘हमारा ध्यान सही संख्या में लोगों को आकर्षित करने और यह सुनिश्चित करने पर होता है कि जब लोग आएं तो उनका अनुभव अच्छा रहे। उन्हें उच्च गुणवत्ता वाला आतिथ्य सत्कार मिले।’’
एसडीएफ के माध्यम से अर्जित धन का उपयोग कई कार्यों में किया जाता है, जिनमें भूटानी नागरिकों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य सेवा और मुफ्त शिक्षा, स्थिरता और संरक्षण परियोजनाओं तथा बुनियादी ढांचे का उन्नयन शामिल है।
उन्होंने स्वीकार किया कि एसडीएफ भूटान आने वाले लोगों की संख्या को स्वाभाविक रूप से सीमित कर देता है, लेकिन उन्होंने भूटान द्वारा पर्यटकों की संख्या पर सीमा लगाए जाने से संबंधित ‘‘आम गलत धारणा’’ को लेकर स्पष्टीकरण दिया।
निमाह ने कहा, ‘‘कोई सीमा नहीं है। यह एक गलत धारणा है कि हम यहां आने वाले लोगों की संख्या सीमित करते हैं। यह सच नहीं है। हम सभी का स्वागत करते हैं। वर्ष 2019 भूटान में पर्यटन के लिहाज से सबसे व्यस्त वर्ष था और उस वर्ष हमने हमने लगभग 3.5 लाख लोगों का स्वागत किया और 7.5 लाख की आबादी के लिए यह एक बड़ी संख्या है। फिर भी, हमने भूटान आने वाले लोगों की संख्या पर कोई सीमा नहीं लगाई।’’
भूटान साम्राज्य अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए अपनी सीमाएं खोलने की इस वर्ष 50वीं वर्षगांठ मना रहा है। भूटान ने अपनी अनूठी आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को साझा करने के लिए 1974 में अंतरराष्ट्रीय आगंतुकों का स्वागत करना शुरू किया था।
इसका पर्यटन उद्योग भूटान के सकल घरेलू उत्पाद का पांच प्रतिशत से भी कम है। भूटान के पर्यटन उद्योग में भारतीय पर्यटकों की संख्या सबसे अधिक (60 प्रतिशत) है, जिसके बाद अमेरिका और ब्रिटेन का स्थान आता है।
भूटान में यात्रा के लिए दोबारा आने वाले पर्यटकों की संख्या 10 प्रतिशत से भी कम है। निमाह ने उनकी संख्या बढ़ने की उम्मीद जताते हुए कहा। उन्होंने कहा कि यह धारणा बदलना चुनौती है कि भूटान ऐसा गंतव्य स्थल है जहां पर्यटक अपने जीवनकाल में केवल एक बार देखने आना चाहते हों।
उन्होंने कहा, ‘‘ जब पर्यटक भूटान को ‘बकेट लिस्ट’ (पर्यटकों की ऐसे स्थानों सूची जहां वे एक बार जाना चाहते हों) गंतव्य के रूप में देखते हैं, तो क्या होता है? वे आते हैं, इस सूची के आगे ‘टिक’ का निशान लगाते हैं और लौट चले जाते हैं तथा फिर कभी वापस नहीं आते।’’
निमाह ने दावा किया कि भूटान में पर्यटकों की संख्या अगले साल कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘भूटान को 50 साल पहले ही पर्यटन के लिए खोला गया है इसलिए इसकी संस्कृति संरक्षित है। मुझे नहीं लगता कि दुनिया में ऐसे कई स्थान हैं जहां संस्कृति को इतना संरक्षित किया गया है।’’
उन्होंने भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘माइंडफुलनेस सिटी’ के बारे में भी बात की, जिसे भारत से लगती सीमा के पास दक्षिणी भूटान के गेलेफू शहर में बनाने की योजना बनाई गई है। इस परियोजना की घोषणा पिछले साल 17 दिसंबर को की गई थी और इसे सिंगापुर से भी अधिक क्षेत्र में बनाए जाने की संभावना है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह शहर अगले पांच से आठ साल में बनकर तैयार हो जाएगा। ’’
भाषा सिम्मी