चिकित्सा पाठ्यक्रम के संशोधन में दिव्यांगजन, ट्रांसजेंडर के अधिकारों की अनदेखी से कार्यकर्ता नाराज
संतोष सुभाष
- 14 Sep 2024, 05:34 PM
- Updated: 05:34 PM
नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) संशोधित चिकित्सा पाठ्यक्रम में दिव्यांगों और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों की अनदेखी किये जाने को लेकर कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताई है।
दिव्यांग जन अधिकार कार्यकर्ताओं और ट्रांसजेंडर वर्ग की वकालत करने वालों ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) के संशोधित योग्यता-आधारित चिकित्सा शिक्षा (सीबीएमई) पाठ्यक्रम में, दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम (आरपीडीए)-2016 और ट्रांसजेंडर जन (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम (टीपीए) 2019 में उल्लिखित प्रावधानों को शामिल नहीं किए जाने पर चिंता जताई है।
केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार को संबोधित एक पत्र में दिव्यांग और ट्रांसजेंडर समुदायों के पैरोकारों ने अपनी निराशा व्यक्त की है।
केंद्रीय दिव्यांगता सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सतेंद्र सिंह और ‘एसोसिएशन फॉर ट्रांसजेंडर हेल्थ इन इंडिया’ के सीईओ एयर कमोडोर (सेवानिवृत्त) डॉ. संजय शर्मा द्वारा लिखे गए पत्र में यह रेखांकित किया गया है कि 31 अगस्त, 2024 को जारी किया गया नया पाठ्यक्रम हाशिये पर मौजूद इन समूहों को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों की सुध लेने में कैसे विफल रहा।
पत्र में कहा गया है, ‘‘पाठ्यक्रम को उच्चतम न्यायालय के फैसलों और पिछले दिशानिर्देशों के विपरीत पुरातन और अप्रचलित माना गया है।’’
इस विवाद के कारण व्यापक मीडिया कवरेज और सार्वजनिक प्रतिक्रिया के चलते पांच सितंबर 2024 को जारी पाठ्यक्रम को वापस ले लिया गया और संशोधित पाठ्यक्रम गत बृहस्पतिवार को फिर से जारी किया गया था।
यह दस्तावेज 466 पृष्ठों का है, जिनमें ‘गरिमा’ और ‘ट्रांसजेंडर’ जैसे प्रमुख शब्दों को शामिल करने में विफल रहना सबसे बड़ी चूकों में से एक है।
पाठ्यक्रम ‘फाउंडेशन कोर्स’ के दौरान खेल के लिए आठ घंटे का प्रावधान करता है लेकिन दिव्यांग जन की दक्षता के लिए पूर्व में प्रावधान किये गए सात घंटे को पूरी तरह से हटा दिया गया है।
इसके अलावा ‘लैंगिक पहचान विकार’ जैसे शब्द का मनोचिकित्सा में इस्तेमाल जारी है, जबकि शरीर विज्ञान में ‘इंटरसेक्स विविधताओं’ को ‘असामान्यता’ के रूप में वर्णित किया जाना जारी है।
कार्यकर्ताओं ने डॉ. कुमार से हस्तक्षेप कर यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि 14 अक्टूबर को नये एमबीबीएस सत्र की शुरुआत से पहले दिव्यांग जन दक्षता को फिर से लागू किया जाए।
भाषा संतोष