मिजोरम के दो किशोर म्यांमा के उग्रवादियों के चंगुल से बचकर घर लौटे
जोहेब प्रशांत
- 08 Sep 2024, 09:05 PM
- Updated: 09:05 PM
आइजोल, आठ सितंबर (भाषा) असम राइफल्स के एक अधिकारी ने रविवार को बताया कि दो किशोर करीब एक सप्ताह तक पड़ोसी म्यांमा के चिन राज्य में उग्रवादियों द्वारा बंदी बनाए जाने के बाद मिजोरम में अपने घर लौट आए और उनके सिर मुंडे हुए हैं जबकि शरीर पर सिगरेट से जलाए जाने के निशान हैं।
अधिकारी ने बताया कि चिन डिफेंस फोर्स (सीडीएफ) की हुआलंगोरम इकाई ने कथित तौर पर एक सितंबर को भारतीय सीमा के पास पड़ोसी देश के एक पर्यटक स्थल रिह डिल झील से 16 और 15 साल के दो लड़कों को अगवा किया था।
चिन डिफेंस फोर्स (सीडीएफ) म्यांमा में सैन्य शासन से लड़ने वाले कई उग्रवादी संगठनों में से एक है।
उन्होंने बताया, "मिजोरम के जोखावथर गांव के पांच लड़कों का एक समूह एक सितंबर को मोटरसाइकिल पर रिह डिल झील गया था। वहां पहुंचने पर उन्हें सीडीएफ के कार्यकर्ताओं ने रोक लिया और जोखावथर के कुछ अन्य लड़कों के साथ हुई पिछली हाथापाई के कारण उनकी पिटाई कर दी।"
असम राइफल्स के अधिकारी ने बताया कि पांच में से तीन लड़के भागकर भारत लौट आए, जबकि दो को सीडीएफ ने बंधक बना लिया।
अधिकारी ने बताया, "दोनों लड़कों को दो दिन तक रिह डिल इलाके में रखा गया और फिर तीन सितंबर को म्यांमा के सेइक गांव के लियांडो कैंप में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उन्हें जेल में रखकर प्रताड़ित किया गया।"
उन्होंने कहा, "उनके सिर मुंडवा दिए गए, उनके सिर व शरीर पर सिगरेट के जले के निशान हैं और एक लड़के के सामने के दांत भी टूटे हुए हैं।"
उन्होंने कहा कि सीडीएफ ने छह सितंबर की शाम उन्हें छोड़ दिया।
अधिकारी ने कहा कि हो सकता है कि उग्रवादियों ने सीमा क्षेत्र में अधिकार या प्रभुत्व दिखाने और क्षेत्र में ग्राम परिषद के नेताओं व अन्य स्थानीय नेताओं पर हावी होकर सीमा क्षेत्रों के मामलों में अपनी बात आगे बढ़ाने के लिए दोनों लड़कों का अपहरण और उत्पीड़न किया हो।
उन्होंने दावा किया कि सीडीएफ चिन नेशनल आर्मी (सीएनए) के संरक्षण में भारत से आने-जाने वाले सभी सामानों पर कर वसूलता है।
उन्होंने बताया कि सीएनए चिन राज्य में केंद्रित सशस्त्र समूह है।
ग्राम परिषद के अध्यक्ष लालमुआनपुइया के अनुसार इससे पहले, इस घटना से जोखावथर में तनाव फैल गया था और स्थानीय लोगों ने दोनों लड़कों की तत्काल रिहाई की मांग की थी।
स्थानीय लोगों ने उग्रवादियों को यह भी याद दिलाया था कि कैसे मिजो लोगों ने म्यांमा में हिंसा की वजह से भागकर आए चिन लोगों का स्वागत किया और उन्हें शरण दी थी।
भाषा जोहेब