पश्चिमी उप्र में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से जुड़ी जमीन की नीलामी
रंजन
- 06 Sep 2024, 05:12 PM
- Updated: 05:12 PM
बागपत (उप्र), छह सितंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश कि बागपत जिले के कोताना में स्थित शत्रु संपत्ति के अंतर्गत आने वाली दो हेक्टेयर जमीन को 1.38 करोड़ रुपये में नीलाम कर दिया गया। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी।
जिन जमीनों की नीलामी की गयी है वह पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से जुड़ी बताई गयी है।
अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि यह संपत्ति बागपत की बड़ौत तहसील के कोटाना गांव में स्थित है, और इसे 2010 में शत्रु संपत्ति घोषित किया गया था।
शत्रु संपत्ति का वर्गीकरण भारत में पाकिस्तानी नागरिकों के स्वामित्व वाली संपत्तियों से संबंधित है, जिसका प्रबंधन केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आने वाले विभाग शत्रु संपत्ति संरक्षक द्वारा किया जाता है।
पाकिस्तान में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सरकार का तख्तापलट करने के बाद 1999 में देश की सत्ता हथियाने वाले पाकिस्तान के पूर्व सैन्य प्रमुख मुशर्रफ का 2023 में निधन हो गया था। उनका जन्म विभाजन से पहले दिल्ली में हुआ था।
बड़ौत के उप जिलाधिकारी अमर वर्मा ने पुष्टि की कि मुशर्रफ के दादा कोताना में रहते थे। उन्होंने बताया कि जहां तक पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति का सवाल है, उनका जन्म दिल्ली में हुआ था और वे यहां कभी नहीं आए, लेकिन उन लोगों की यहां संयुक्त जमीन हुआ करती थी।
वर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मुशर्रफ के माता-पिता यहां कभी नहीं आये लेकिन उनके चाचा हुमायूं लंबे समय तक यहां रहे थे।
उन्होंने कहा, "गांव में एक घर भी है, जहां हुमायूं आजादी से पहले रहा करते थे। 2010 में इस जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया था और बृहस्पतिवार रात 10.30 बजे इसकी नीलामी पूरी हो गई।"
बागपत प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नीलामी की गई जमीन की शुरुआती कीमत 39.06 लाख रुपये थी और यह 1.38 करोड़ रुपये से अधिक में बिकी।
उन्होंने बताया कि बिक्री से प्राप्त राशि गृह मंत्रालय के खाते में जमा की जाएगी।
जिले के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) पंकज वर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, "यह जमीन हमारे राजस्व रिकॉर्ड में 'नुरू' नाम से दर्ज है। इस नुरू और परवेज मुशर्रफ के बीच कोई दस्तावेजी संबंध नहीं है। रिकॉर्ड में केवल इतना दिखाया गया है कि नुरू एक निवासी था, जो 1965 में पाकिस्तान चला गया था।"
पंकज ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित किया था और इसकी नीलामी स्थापित नियमों के अनुसार की गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि बड़ौत तहसील से करीब आठ किलोमीटर दूर कोताना गांव में स्थित यह जमीन आवासीय श्रेणी में नहीं आती।
भाषा सं किशोर जफर