न्यायालय ने दिल्ली में हरित क्षेत्र बढ़ाने के लिए विशेष मॉड्यूल बनाने की सीईसी की सिफारिश स्वीकार की
प्रशांत नरेश
- 06 Sep 2024, 04:12 PM
- Updated: 04:12 PM
नयी दिल्ली, छह सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया, जिसमें एक अनुकूलित (कस्टमाइज्ड) मॉड्यूल बनाना भी शामिल है।
इस मॉड्यूल में पेड़ों की कटाई की आवश्यकता वाली परियोजनाओं का विवरण, काटे जाने वाले या स्थानांतरित किए जाने वाले पेड़ों की संख्या और राष्ट्रीय राजधानी में घटते हरित क्षेत्र से निपटने के लिए प्रतिपूरक वृक्षारोपण शामिल होगा।
न्यायालय दिल्ली में हरित क्षेत्र को बढ़ाने और इसके लिए एक तंत्र बनाने से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा था।
शीर्ष अदालत में दाखिल अपनी रिपोर्ट में, सीईसी ने एक अनुकूलित प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) मॉड्यूल बनाने की सिफारिश की है, जिस पर परियोजना के संचालकों द्वारा नियमित आधार पर आंकड़ा अपलोड किया जाएगा ताकि दिल्ली रिज से संबंधित मुद्दों पर अदालत द्वारा पारित आदेशों का उचित और समय पर अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।
रिज दिल्ली में अरावली पर्वत श्रृंखला का विस्तार है और यह एक चट्टानी, पहाड़ी और वन क्षेत्र है। प्रशासनिक कारणों से इसे चार जोन में बांटा गया है - दक्षिण, दक्षिण-मध्य, मध्य और उत्तर। इन चार जोन का कुल क्षेत्रफल करीब 7,784 हेक्टेयर है।
न्यायमूर्ति ए.एस. ओका और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की पीठ ने समिति की रिपोर्ट देखने के बाद कहा, “हम सिफारिशों को स्वीकार करते हैं और सीईसी को सिफारिशों पर कार्रवाई करने का निर्देश देते हैं।”
पीठ ने कहा, “हमें उम्मीद है कि दिल्ली सरकार ने वृक्ष प्राधिकरण की शक्तियों का प्रयोग करना बंद कर दिया है।” उसने कहा कि पहले यह देखा गया था कि इस तरह की शक्ति का प्रयोग सरकार द्वारा किया जा रहा था।
सीईसी की रिपोर्ट में कहा गया, “यह भी सिफारिश की गई है कि सभी परियोजना प्रस्तावकों को अपनी परियोजनाओं के लिए पेड़ों की कटाई की अनुमति देते समय इस अदालत द्वारा लगाई गई शर्तों का पालन करने के लिए छह महीने की छूट अवधि दी जाए और तब तक उनके नए प्रस्ताव लंबित रखे जाएं।”
रिपोर्ट में कहा गया कि यदि परियोजना प्रस्तावक आवंटित छूट अवधि के बाद भी शर्तों का पालन करने में विफल रहते हैं तो उच्चतम न्यायालय उनके खिलाफ उपयुक्त दंडात्मक कार्रवाई कर सकता है।
पीठ ने कहा कि सीईसी ने 15 ऐसे मामले बताए हैं, जिनमें न्यायालय ने विभिन्न शर्तों के अनुपालन के अधीन पेड़ों की कटाई की अनुमति दी है। हालांकि, शर्तों का अनुपालन नहीं किया गया है।
सीईसी की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए, पीठ ने समिति को उन सभी आवेदकों या परियोजना समर्थकों को नोटिस भेजने की अनुमति दे दी, जिन्हें पहले पेड़ों की कटाई की अनुमति दी गई थी, तथा उनसे तीन महीने के भीतर एमआईएस पर अनुपालन संबंधी आंकड़ा अपलोड करने को कहा गया।
पीठ ने चेतावनी दी कि यदि अदालत को विश्वास हो गया कि परियोजना प्रस्तावक तीन महीने के भीतर अनुपालन संबंधी आंकड़ा अपलोड करने में विफल रहे हैं, तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
भाषा प्रशांत