राहुल को राजाजी बाघ अभयारण्य के निदेशक पद से हटाया गया
दीप्ति नोमान
- 04 Sep 2024, 09:02 PM
- Updated: 09:02 PM
देहरादून, चार सितंबर (भाषा) भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी राहुल को राजाजी बाघ अभयारण्य का निदेशक नियुक्त किए जाने के एक माह से भी कम समय में पद से हटा दिया गया है ।
यहां मंगलवार को जारी तबादला आदेश के अनुसार, राहुल को मुख्य वन संरक्षक, अनुश्रवण, मूल्यांकन, सूचना प्रोद्यौगिकी और आधुनिकीकरण के पद पर नयी तैनाती दी गयी है ।
उधर, उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को प्रदेश के वन मंत्री और मुख्य सचिव की सलाह को दरकिनार करते हुए राहुल को राजाजी बाघ अभयारण्य का निदेशक बनाने पर फटकार लगाई ।
कॉर्बेट बाघ अभयारण्य के कोर क्षेत्र में अवैध रूप से पेड़ों को काटे जाने और पांखरो बाघ सफारी के निर्माण में हुई अनियमितताओं के दौरान राहुल अभयारण्य के निदेशक थे । मामले के उजागर होने के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया था । मामले में उनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही है ।
हालांकि, जांच के बीच राज्य सरकार ने पिछले माह राहुल को राजाजी बाघ अभयारण्य के निदेशक पद पर तैनात कर दिया जिसे लेकर विवाद पैदा हो गया ।
इसके बाद इस मुद्दे पर उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने एक बयान जारी कर कहा था कि राहुल को राजाजी राष्ट्रीय उद्यान में नयी तैनाती दिए जाने का निर्णय 'सर्वसम्मति' से लिया गया था ।
उनियाल ने कहा था, 'मीडिया में ऐसी खबरें आयी हैं कि मुख्यमंत्री ने राजाजी बाघ अभयारण्य के निदेशक की नियुक्ति के लिए मंत्री, मुख्य सचिव और अन्य सभी को नजरअंदाज कर दिया । यह पूरी तरह से गलत है । यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया है । मुख्यमंत्री और मेरी सहमति के बाद यह निर्णय लिया गया है ।'
इस बीच, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी राहुल को राजाजी बाघ अभयारण्य के निदेशक पद पर नियुक्त किए जाने के फैसले को गलत ठहराया है ।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने धामी सरकार की मनमानी पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि यह राजशाही का दौर नहीं है । माहरा ने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारी को निलंबित करने की बजाय उसका स्थानांतरण करना कतई उचित कदम नहीं है ।
माहरा ने शीर्ष अदालत का आभार व्यक्त करते हुए कहा, 'जिस प्रकार से उच्चतम न्यायालय राज्य सरकार के गलत फैसलों को रोकने का काम कर रहा है, वह लोकतंत्र व पुरानी परंपराओं को बरकरार रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है । '
भाषा दीप्ति