वक्फ विधेयक पर संसदीय समिति की पहली बैठक, विपक्षी सदस्यों ने कई प्रावधानों पर उठाए सवाल
हक ब्रजेन्द्र हक नेत्रपाल
- 22 Aug 2024, 08:24 PM
- Updated: 08:24 PM
नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार के लिए गठित संसद की संयुक्त समिति ने बृहस्पतिवार को मैराथन बैठक की जिसमें कई विपक्षी सांसदों ने इस प्रस्तावित कानून के कई प्रावधानों को लेकर आपत्ति जताई।
समिति की इस पहली बैठक के दौरान अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की ओर से एक प्रस्तुति दी गई।
सूत्रों ने बताया कि भाजपा के सांसदों ने विधेयक में संशोधनों-खासकर महिलाओं को सशक्त बनाने संबंधी प्रावधान की सराहना की।
बैठक के दौरान कई बार तीखी बहस हुई लेकिन विभिन्न दलों के सदस्यों ने कई घंटे तक बैठकर विधेयक के प्रावधानों पर अपने विचार दर्ज कराए, सुझाव दिए और स्पष्टीकरण मांगा।
पत्रकारों के साथ संक्षिप्त बातचीत में समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बैठक को ‘‘सार्थक’’ बताया।
यह बैठक भोजनावकाश के साथ छह घंटे से अधिक समय तक चली।
समिति के एक सदस्य ने दावा किया कि यह हाल के दिनों में किसी संसदीय समिति द्वारा आयोजित सबसे लंबी बैठकों में से एक थी।
सूत्रों का कहना है कि समिति की अगली बैठक 30 अगस्त को होगी तथा समिति कई राज्य वक्फ इकाइयों के विचार भी सुन सकती है।
समिति के कुछ सदस्यों ने कहा कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय बैठक में उठाए गए प्रश्नों का समाधान करने के लिए ‘‘पर्याप्त रूप से तैयार’’ नहीं था और जो प्रस्तुति दी गई वह आशा के अनुरूप नहीं थी।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने कहा कि मुस्लिम समुदाय की चिंताओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए और उन्हें व्यापक विचार-विमर्श के लिए बुलाया जाना चाहिए। भाजपा की प्रमुख सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) ने भी व्यापक विचार-विमर्श करने की पैरवी की।
बैठक में भाग लेने वाले सदस्यों में भाजपा के संजय जायसवाल, अपराजिता सारंगी, तेजस्वी सूर्या, दिलीप सैकिया और गुलाम अली शामिल थे। वहीं, कांग्रेस पार्टी के गौरव गोगोई और नासिर हुसैन, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, वाईएसआर कांग्रेस के वी. विजयसाई रेड्डी, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के असदुद्दीन ओवैसी, द्रमुक के ए राजा, लोजपा (रामविलास) के अरुण भारती और तेदेपा के लावु श्रीकृष्ण देवरायलू शामिल थे।
कई विपक्षी सदस्यों ने विधेयक के ऐसे खंडों और उनके औचित्य पर सवाल उठाया, जिनमें विवादित संपत्ति के स्वामित्व पर निर्णय लेने में जिलाधिकारियों को सशक्त बनाने और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान भी शामिल है।
वाईएसआर कांग्रेस के सांसद रेड्डी ने बाद में ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उन्होंने विभिन्न हितधारकों द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं के कारण विधेयक का विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक अपने मौजूदा स्वरूप में स्वीकार्य नहीं है और वह अपना ‘‘असहमति’’ नोट समिति को सौंपेंगे।
सूत्रों ने कहा कि ओवैसी ने प्रस्तावित कानून की तीखी आलोचना की और दावा किया कि अगर यह लागू हुआ तो सामाजिक अस्थिरता पैदा होगी।
कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने उम्मीद जताई कि समिति सभी दृष्टिकोणों पर विचार करेगी और सुनिश्चित करेगी कि संवैधानिक मूल्यों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अतिक्रमण न हो।
समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने सदस्यों को आश्वासन दिया कि समिति विभिन्न मुस्लिम संगठनों सहित सभी हितधारकों से बात करेगी।
संसद ने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सदस्य जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय समिति को विवादास्पद विधेयक की पड़ताल करने का काम सौंपा है। विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने इस विधेयक का विरोध किया है।
यह विधेयक भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार की पहली बड़ी पहल है, जिसका उद्देश्य एक केंद्रीकृत पोर्टल के माध्यम से वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की प्रक्रिया में सुधार करना है।
यह कई सुधारों का प्रस्ताव करता है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिम प्रतिनिधियों के प्रतिनिधित्व के साथ राज्य वक्फ बोर्डों समेत एक केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना शामिल है।
विधेयक का एक विवादास्पद प्रावधान, जिलाधिकारी को यह निर्धारित करने के लिए प्राथमिक प्राधिकरण के रूप में नामित करने का प्रस्ताव है कि क्या संपत्ति को वक्फ या सरकारी भूमि के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
विधेयक को गत आठ अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था और चर्चा के बाद संसद की एक संयुक्त समिति को भेजा गया था। सरकार ने इस बात पर जोर दिया था कि प्रस्तावित कानून मस्जिदों के कामकाज में हस्तक्षेप करने का इरादा नहीं रखता है जबकि विपक्ष ने इसे मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए उठाया गया कदम और संविधान पर हमला बताया था।
भाषा हक ब्रजेन्द्र हक