प्रधान न्यायाधीश ने लंबित मामलों के निपटारे के लिए अदालतों में बुनियादी ढांचा मजबूत करने पर जोर दिया
आशीष नेत्रपाल
- 10 Aug 2024, 06:32 PM
- Updated: 06:32 PM
चंडीगढ़, 10 अगस्त (भाषा) प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने लंबित मामलों से निपटने के लिए अदालतों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर शनिवार को जोर दिया। उन्होंने कहा कि अदालत में मुकदमों की संख्या कम करने के लिए लोक अदालत जैसे विभिन्न माध्यम अपनाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि लोगों की सुविधा के लिए अदालती फैसलों का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने को लेकर कृत्रिम मेधा (एआई) जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
प्रधान न्यायाधीश यहां स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पीजीआईएमईआर) के 37वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर संवाददाताओं से बात कर रहे थे।
लंबित मुकदमों के बारे में पूछे गए एक सवाल पर प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि अस्पतालों की तरह लोगों का अदालतों पर भी विश्वास है, जो मामलों की संख्या में वृद्धि का एक कारण है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अगर आप अस्पताल को देखें तो मरीजों की संख्या बढ़ती रहती है, इसी तरह अदालतों में भी मामलों की संख्या बढ़ती है। इसके पीछे क्या कारण है? लोगों का अस्पतालों पर विश्वास होता है, इसलिए मरीजों की संख्या बढ़ती है। लोगों का अदालतों पर भरोसा होता है, इसलिए संख्या बढ़ती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए हमें बुनियादी ढांचे को बढ़ाना होगा। जैसे अस्पतालों में बुनियादी ढांचे को बढ़ाना होगा, वैसे ही अदालतों में भी बुनियादी ढांचे को बढ़ाना होगा।’’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हमें नए माध्यम भी अपनाने होंगे। उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह एक विशेष लोक अदालत आयोजित की गई थी, जिसमें पांच दिन में लगभग 1,000 मामलों का फैसला किया गया था।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि इस साल गर्मी की छुट्टियों के दौरान उच्चतम न्यायालय की 21 पीठों ने काम किया और करीब 4,000 मामलों की सुनवाई की। उन्होंने कहा कि 4,000 मामलों में से 1,170 मामलों का निपटारा किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न माध्यम से हम मामलों की संख्या कम कर सकते हैं।’’
प्रधान न्यायाधीश ने एक अन्य मुद्दे पर कहा कि यह देखा गया है कि अदालतों में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा अंग्रेजी है। उन्होंने कहा कि आम लोगों को अपने मामलों के बारे में आसानी से समझने के लिए एआई की मदद से अदालती फैसलों का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘1950 से लेकर 2024 तक उच्चतम न्यायालय के करीब 37,000 फैसले हैं, जिनमें से 22,000 फैसलों का पंजाबी में अनुवाद किया जा चुका है। 36,000 से ज्यादा फैसलों का हिंदी में अनुवाद किया जा चुका है। हम सभी भाषाओं में फैसलों का अनुवाद कर रहे हैं।’’
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में सुनवाई का सीधा प्रसारण किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी के माध्यम से हमने कई पहल की हैं।’’
न्यायाधीशों की कमी पर एक सवाल का जवाब देते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इसके पीछे कई कारण हैं।
उन्होंने कहा कि जैसे कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या 160 है, और इस तरह के कई उच्च न्यायालय हैं जहां इतने न्यायाधीशों के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय में कोई पद रिक्त नहीं है और उनके कार्यकाल के दौरान 34 न्यायाधीश कार्यरत हैं।
हालांकि, उन्होंने जिला न्यायपालिका में रिक्तियों को भरने पर जोर दिया। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि उच्च न्यायालयों और राज्य सरकारों के लिए जिला न्यायपालिका में रिक्तियों को भरना महत्वपूर्ण है।
भाषा आशीष