राष्ट्रपति मुर्मू ने राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भरने के बाद इसे अविस्मरणीय अनुभव बताया
                        
                            
                                
                                देवेंद्र रंजन
                                
                                    - 29 Oct 2025, 10:48 PM
- Updated: 10:48 PM
 
                            
                         
                        
                     
                    
                        (फोटो के साथ)
	 अंबाला, 29 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को हरियाणा के अंबाला में स्थित वायुसेना स्टेशन से राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भरी और इसे ‘अविस्मरणीय’ अनुभव बताते हुए कहा कि इससे उनके अंदर देश की रक्षा क्षमताओं के प्रति गर्व की एक नयी भावना जगी है।
	 मुर्मू दो लड़ाकू विमानों में उड़ान भरने वाली भारत की पहली राष्ट्रपति बन गई हैं। अप्रैल 2023 में, सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर मुर्मू ने असम के तेजपुर वायुसेना स्टेशन पर सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में उड़ान भरी थी।
	 राफेल विमान में सवार होने से पहले राष्ट्रपति ने ‘जी-सूट’ पहना था। हाथ में हेलमेट लिए और धूप का चश्मा लगाए मुर्मू ने एयर चीफ मार्शल और वायुसेना के कुछ अधिकारियों के साथ फोटो खिंचवाईं।
	 पूर्वाह्न 11 बजकर 27 मिनट पर विमान के उड़ान भरने से पहले राष्ट्रपति ने विमान के अंदर से हाथ हिलाकर अभिवादन किया। विमान ने लगभग 30 मिनट तक उड़ान भरी और लगभग 200 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद वापस वायुसेना स्टेशन पर लौटा।
	 राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि विमान 17वीं स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन अमित गेहानी ने उड़ाया। 
	 बयान में कहा गया है कि राफेल विमान ने समुद्र तल से लगभग 15,000 फुट की ऊंचाई पर और लगभग 700 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरी।
	 एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने भी इसी एयरबेस से एक अलग विमान में उड़ान भरी।
	 राष्ट्रपति ने बाद में आगंतुक पुस्तिका (विजिटर बुक) में लिखा, “अंबाला स्थित वायुसेना स्टेशन पर पहुंचकर वायुसेना के राफेल विमान में अपनी पहली उड़ान को लेकर मैं बहुत प्रसन्न हूं। राफेल में उड़ान भरना मेरे लिए एक अविस्मरणीय अनुभव रहा।”
	 उन्होंने लिखा, “इस शक्तिशाली विमान में पहली उड़ान ने मेरे अंदर देश की रक्षा क्षमताओं के प्रति गर्व की एक नयी भावना जगाई है। मैं भारतीय वायुसेना और अंबाला स्थित वायुसेना स्टेशन की पूरी टीम को इस सफल आयोजन के लिए बधाई देती हूं।”	
	 बाद में, मुर्मू ने शाम को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में राफेल उड़ान के अपने अनुभव के बारे में अधिक जानकारी दी। 
	 राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘राफेल की यह उड़ान मेरे लिए एक अविस्मरणीय अनुभव है। इस आधुनिक विमान में आज मैं इस प्राचीन भूमि (हरियाणा की) और ब्रह्मसरोवर (कुरुक्षेत्र में) को देख रही हूं, जो हमारी सांस्कृतिक विविधता और ऐतिहासिक यात्रा का प्रतीक है। हमारी सैन्य क्षमता पर मेरा विश्वास और अधिक दृढ़ हो रहा है।’’
	 पोस्ट के साथ एक वीडियो भी साझा किया गया, जिसमें दो राफेल लड़ाकू विमानों को उड़ान भरने और बाद में यहां एयर बेस पर उतरते हुए देखा जा सकता है।
	 वीडियो में एयर चीफ मार्शल सिंह, मुर्मू को लड़ाकू विमान के बारे में जानकारी देते हुए भी दिखाई दे रहे हैं। पास में ही वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी और हरियाणा के मंत्री अनिल विज भी मौजूद थे, जो अंबाला छावनी से विधायक हैं।	 
	 इससे पहले आज सुबह वायुसेना के अड्डे पर पहुंचने पर राष्ट्रपति को औपचारिक ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया।
	 राष्ट्रपति के विमान में उड़ान भरने से ठीक पहले देश की पहली महिला राफेल लड़ाकू जेट पायलट, स्क्वाड्रन लीडर शिवांगी सिंह ने उनके साथ फोटो खिंचवाई।	 
	 पाकिस्तान समर्थक सोशल मीडिया हैंडल पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान राफेल लड़ाकू विमान उड़ाने वाली देश की पहली महिला पायलट शिवांगी सिंह के पकड़े जाने का दावा किया गया था। पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) के ‘फैक्ट चेक’ में यह दावा फर्जी पाया गया था। 
	 पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम एवं प्रतिभा पाटिल ने क्रमशः 8 जून, 2006 और 25 नवंबर, 2009 को पुणे के पास लोहेगांव स्थित वायुसेना स्टेशन से सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में उड़ान भरी थी।
	 फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी दसॉ एविएशन द्वारा निर्मित राफेल लड़ाकू विमान को सितंबर 2020 में अंबाला स्थित वायुसेना स्टेशन पर भारतीय वायुसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया गया था।
	 पहले पांच राफेल विमानों को 17वें स्क्वाड्रन 'गोल्डन एरो’ में शामिल किया गया था। ये विमान 27 जुलाई, 2020 को फ्रांस से यहां लाए गए थे।
	 पाकिस्तान के नियंत्रण वाले इलाकों में आतंकी ढांचों को नष्ट करने के लिए सात मई को शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में राफेल विमानों का इस्तेमाल किया गया था। इन हमलों के बाद चार दिन तक भीषण सैन्य झड़प हुईं, जो सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनने के बाद 10 मई को समाप्त हुईं।
	 भाषा
 देवेंद्र