उप्र:रेलवे ने दिवाली-छठ पर भीड़ प्रबंधन के लिए महाकुंभ से मिले सबक का उपयोग किया
संतोष
- 29 Oct 2025, 07:07 PM
- Updated: 07:07 PM
लखनऊ, 29 अक्टूबर (भाषा) महाकुंभ में भारी भीड़ को संभालने के अपने अनुभव का लाभ उठाते हुए पूर्वोत्तर रेलवे ने दिवाली-छठ अवधि के दौरान भी यात्रियों की बड़ी संख्या को प्रबंधित करने के लिए विभिन्न रणनीतियां अपनाईं। इस दौरान यात्रियों की संख्या का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अकेले लखनऊ मंडल से एक करोड़ से अधिक यात्रियों ने यात्रा की।
पूर्वोत्तर रेलवे का लखनऊ मंडल, जो लखनऊ से गोरखपुर तक विस्तृत है, दिवाली-छठ अवधि के दौरान भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्त खंड में से एक रहा, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर से आने-जाने वाले लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण संपर्क मार्ग के रूप में कार्य करता है।
लखनऊ मंडल के मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) गौरव अग्रवाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रमुख स्टेशनों, विशेष रूप से गोरखपुर, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार से आने वाली विभिन्न ट्रेन के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करता है, पर विशेष भीड़ प्रबंधन व्यवस्था लागू की गई थी।
अग्रवाल ने अनुमान लगाया कि लगभग एक से दो करोड़ यात्री 15 अक्टूबर से पांच नवंबर के बीच लखनऊ मंडल से यात्रा करेंगे जिससे रेलवे प्रणाली पर असाधारण दबाव पड़ेगा।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘महाकुंभ से लिए गए सबक के आधार पर हमने महसूस किया कि यात्रियों के लिए ठहरने के स्थान आरामदायक, सभी सुविधाओं से युक्त और आसानी से सुलभ होने चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि गोरखपुर को इस अवधि के दौरान एक प्रमुख ‘होल्डिंग जोन’ के रूप में नामित किया गया जहां यात्रियों के लिए सेवाओं और सुविधाओं को बढ़ा दिया गया है।
डीआरएम ने बताया कि गोरखपुर में हमने ऐसे पांच ‘होल्डिंग क्षेत्र’ बनाए हैं जो एक बार में लगभग 5,000 लोगों को समायोजित कर सकते हैं।
ये जोन कालीन, बिस्तर, पीने के पानी, पंखे, शौचालय और यहां तक कि मुफ्त नाश्ते की सुविधा से लैस हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यात्री ट्रेन पर सवार होने से पहले सुरक्षित और आरामदायक रूप से इंतजार कर सकें।
उन्होंने कहा कि यात्रियों की संख्या में वृद्धि के मद्देनजर पूरे मंडल में रोजाना लगभग 30 से 45 अतिरिक्त ट्रेन चलाई जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि यात्रियों को वास्तविक समय में ट्रेन की आवाजाही के बारे में अद्यतन जानकारी देने के लिए इन ‘होल्डिंग जोन’ के अंदर ‘डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड’ स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा टिकट खिड़की और प्लेटफॉर्म पर अनावश्यक भीड़ को रोकने के लिए मोबाइल टिकटिंग काउंटर स्थापित किए गए थे।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि महाकुंभ से एक और महत्वपूर्ण सबक यह मिला कि बेहतर प्लेटफार्म आवंटन के माध्यम से यात्री प्रवाह को नियंत्रित किया जा सकता है।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हमारे स्टेशनों से बनकर चलने वाली या यहां यात्रा समाप्त करने वाली विभिन्न ट्रेन अब अधिकतर सबसे अंत वाले प्लेटफॉम पर खड़ी की जाती हैं ताकि यात्रियों को पैदल पुल को पार करने की आवश्यकता को कम किया जा सके, जो भीड़ के घंटों के दौरान अड़चन बिंदु बन जाते हैं।’’
यात्रियों की सुविधा को प्राथमिकता देने के लिए, मंडल ने अस्थायी रूप से माल यातायात को भी कम कर दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस अवधि के दौरान केवल आवश्यक वस्तुओं और खराब होने वाले सामानों को मंजूरी दी जा रही है ताकि यात्री ट्रेन बिना देरी के आगे बढ़ सकें।’’
उन्होंने कहा कि पूरे मंडल में लगभग 15,000 रेलवे कर्मी संचालन, यात्री सहायता और भीड़ विनियमन के प्रबंधन में लगे हुए थे।
उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे लिए वर्ष के सबसे बड़े समन्वित प्रयासों में से एक है, और अब तक के परिणाम बहुत संतोषजनक रहे हैं।
त्योहारों के दौरान बहुत से लोगों के पास प्रतीक्षा सूची वाले या कन्फर्म न होने वाले टिकट होने और जनरल डिब्बों में भीड़भाड़ के बारे में पूछे जाने पर, अग्रवाल ने कहा कि अन्य साधनों की उपलब्धता के बावजूद ट्रेन यात्रा पर निरंतर निर्भरता रेलवे में जनता के विश्वास को दर्शाती है।
उन्होंने कहा, ‘‘त्योहारों के मौसम में हवाई किराए और सड़क यात्रा से जुड़े किराए में भारी वृद्धि होने पर यात्रियों को ट्रेन अधिक किफायती, विश्वसनीय और आरामदायक लगती है।’’
इस साल प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं पहुंचे थे।
भाषा किशोर जफर