इस्मा ने एथनॉल का कोटा बढ़ाने की मांग की
राजेश राजेश अजय
- 29 Oct 2025, 06:58 PM
- Updated: 06:58 PM
नयी दिल्ली, 29 अक्टूबर (भाषा) चीनी उद्योग ने वर्ष 2025-26 सत्र के लिए एथनॉल आपूर्ति अनुबंधों में बड़ी हिस्सेदारी की मांग की है। उद्योग के एक निकाय ने बुधवार को यह जानकारी दी।
भारतीय चीनी एवं जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (इस्मा) ने कहा कि चीनी मिलों को केवल 289 करोड़ लीटर एथनॉल आवंटित किया गया है - जो कुल 1,050 करोड़ लीटर की आवश्यकता का 28 प्रतिशत है, जबकि अनाज आधारित भट्टियों को 760 करोड़ लीटर या 72 प्रतिशत एथनॉल मिला है।
इस्मा ने कहा कि चीनी क्षेत्र द्वारा 900 करोड़ लीटर से अधिक एथनॉल क्षमता बनाने के लिए 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करने के बावजूद आवंटन कम है।
इस्मा के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जहां तक तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) का सवाल है, नीतिगत और नियोजन संबंधी कुछ खामियां रही हैं, जिसके कारण चीनी उद्योग के लिए एथनॉल के आवंटन में असामान्यता और व्यवधान उत्पन्न हुआ है।’’
बल्लानी ने कहा कि एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम चीनी उद्योग को चक्रीय अतिआपूर्ति से बचाने और गन्ना उत्पादकों के बकाया भुगतान को रोकने में मदद करने के लिए शुरू किया गया था, लेकिन अनाज-आधारित एथनॉल, विशेष रूप से मक्का से प्राप्त एथनॉल की ओर नीतिगत बदलाव ने इस योजना को बाधित कर दिया है।
इस्मा चीनी-आधारित फीडस्टॉक्स के लिए कम से कम 50 प्रतिशत आवंटन की मांग कर रहा है और वर्ष 2025-26 सत्र (नवंबर-अक्टूबर) के लिए पूरक निविदा में लगभग 150 करोड़ लीटर आवंटन की उम्मीद कर रहा है।
उद्योग ने चीनी के न्यूनतम विक्रय मूल्य (एमएसपी) में भी वृद्धि की मांग की है, जो फरवरी 2019 से 31 रुपये प्रति किलोग्राम पर अपरिवर्तित है, जबकि सरकार द्वारा निर्धारित गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 29 प्रतिशत बढ़कर 355 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।
भारत के प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश ने विपणन वर्ष 2025-26 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए अपने राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) में 30 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की है, जिससे मिलों का लाभ और कम हो गया है।
इस्मा के उपाध्यक्ष नीरज शिरगावकर ने कहा कि चीनी उत्पादन की लागत बढ़कर 40.24 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। उन्होंने चेतावनी दी कि गिरती बाजार कीमतें दिसंबर तक उत्पादन लागत से भी नीचे आ सकती हैं।
शिरगावकर ने कहा, ‘‘जब तक चीनी मिलों को उचित राजस्व प्राप्त नहीं होता, किसानों को गन्ने का भुगतान करना बहुत मुश्किल होगा।’’
इस्मा का अनुमान है कि घरेलू खपत 2.85 करोड़ टन के मुकाबले उत्पादन अधिशेष मात्रा में होगा, जिसमें केवल 34 लाख टन चीनी का उपयोग एथनॉल में किया जाएगा, जिससे संभावित अति उत्पादन पैदा होगा जिससे कीमतें और गिर सकती हैं।
उद्योग निकाय ने विपणन वर्ष 2025-26 (अक्टूबर-सितंबर) में 20 लाख टन निर्यात की अनुमति मांगी है, जिसमें अप्रैल में ब्राज़ील से आपूर्ति आने से पहले दिसंबर से मार्च तक कम गुणवत्ता वाली सफेद चीनी के लिए समय सीमा का हवाला दिया गया है।
भाषा राजेश राजेश