भारत में जनसांख्यिकीय लाभांश का पूरा उपयोग नहीं होने का खतरा: रिपोर्ट
धीरज अविनाश
- 29 Oct 2025, 05:48 PM
- Updated: 05:48 PM
नयी दिल्ली, 29 अक्टूबर (भाषा) एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत को अपने जनसांख्यिकीय लाभांश के कम उपयोग के ‘‘गंभीर जोखिम’’ का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि करीब 1.20 करोड़ युवा हर साल कार्यबल से जुड़ रहे हैं लेकिन इनमें से केवल 10 प्रतिशत ही ‘ग्रीन स्किल’ से युक्त होते हैं।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत में 2047 तक 3.5 करोड़ हरित नौकरियां पैदा हो सकती हैं।
‘ग्रीन स्किल’ वह ज्ञान, योग्यताएं, मूल्य और दृष्टिकोण हैं जो संसाधन-कुशल समाज में रहने, उसे विकसित करने और समर्थन देने के लिए आवश्यक हैं।
यूनिसेफ युवा ने ‘सतत भारत के लिए युवा: हरित कौशल और रोजगार पथ’ नाम से रिपोर्ट जारी की है। इसे कैपजेमिनी, सेक्टर स्किल काउंसिल फॉर ग्रीन जॉब्स (एससीजीजे), काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) और सत्व के सहयोग से तैयार किया गया है।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि 2022 और 2023 के बीच वैश्विक स्तर पर कम से कम एक ‘ग्रीन स्किल’ की आवश्यकता वाली नौकरियों का अनुपात 22.4 प्रतिशत बढ़ा है, लेकिन ऐसे कौशल वाले श्रमिकों की हिस्सेदारी केवल 12.3 प्रतिशत बढ़ी है, जिससे मांग और प्रतिभा के बीच असंतुलन बढ़ रहा है।
भारत में 80.8 करोड़ लोगों की उम्र 35 वर्ष से कम हैं। अध्ययन के मुताबिक 2047 तक 3.5 करोड़ तक हरित रोजगार सृजित किये जा सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘हालांकि, भारत में प्रतिवर्ष लगभग 1.2 करोड़ युवा कार्यबल से जुड़ते हैं जिनमें से केवल 10 प्रतिशत को ही किसी प्रकार का ‘ग्रीन स्किल’ प्राप्त होता है, जिससे इसके जनसांख्यिकीय लाभांश का पूरा उपयोग न हो पाने का जोखिम बना रहता है।’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह अंतर कई संरचनात्मक चुनौतियों में निहित है।
इसके मुताबिक पहली चुनौती ‘ग्रीन स्किल’ का असमान वितरण है। दिल्ली और मुंबई जैसे टियर-1 शहरों में हरित रोज़गार सृजन का दबदबा है, जबकि जयपुर, इंदौर, विशाखापत्तनम, अहमदाबाद, कोयंबटूर, भुवनेश्वर और चंडीगढ़ जैसे टियर-2 और टियर-3 शहरों के वित्त वर्ष 2028 तक हरित रोजगार में 40 प्रतिशत तक योगदान देने का अनुमान है।
रिपोर्ट में कहा गया कि दूसरी चुनौती, पारंपरिक कौशल कार्यक्रम भी विरासत क्षेत्रों पर केंद्रित रहते हैं।
इसके मुताबिक तीसरी चुनौती ग्रामीण, निम्न आय या हाशिए पर रहने वाले समुदायों के युवाओं में हरित करियर अपनाने के लिए जागरूकता, पहुंच और अनुकूल परिस्थितियों (जैसे परिवहन, वजीफा या उद्योग संपर्क) का अभाव है।
रिपोर्ट में कृषि, निर्माण, वस्त्र, अपशिष्ट प्रबंधन और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को हरित रोजगार सृजन के लिए प्राथमिकता वाले पांच क्षेत्रों के रूप में पहचाना गया है। इसमें नीति निर्माताओं, उद्योग और नागरिक समाज से आग्रह किया गया है कि वे न्यायसंगत और समावेशी हरित परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षण, वित्तपोषण और रोजगार रणनीतियों को संरेखित करें।
अध्ययन के तहत 18-29 वर्ष की आयु के 670 प्रतिभागियों के बीच एक सर्वेक्षण किया गया जिसमें पाया गया कि केवल 37 प्रतिशत लोग ही हरित क्षेत्रों या स्थिरता से संबंधित क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों के बारे में जानते थे।
रिपोर्ट के मुताबिक चर्चाओं के दौरान महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले युवाओं के सामने अतिरिक्त बाधाओं के बारे में जानकारी मिली, जैसे कि आवाजाही पर रोक, सीमित मार्गदर्शन के अवसर और सामाजिक मानदंड जो प्रशिक्षण और रोजगार तक पहुंच को प्रतिबंधित करते हैं।
भाषा धीरज