तेल, गैस की ढुलाई लागत को कम करने के लिए पीएसयू की मांगों को जोड़ा जाएगाः पुरी
प्रेम प्रेम अजय
- 29 Oct 2025, 03:31 PM
- Updated: 03:31 PM
मुंबई, 29 अक्टूबर (भाषा) सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों (पीएसयू) की ढुलाई मांग को एकसाथ जोड़कर भारतीय जहाजरानी कंपनियों के लिए दीर्घकालिक अनुबंध सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रही है। इससे पेट्रोलियम उत्पादों की ढुलाई लागत को कम करने में मदद मिलेगी।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने यहां आयोजित ‘इंडिया मैरीटाइम वीक 2025’ सम्मेलन में कहा कि सरकार घरेलू स्वामित्व बढ़ाने के लिए ‘पोत स्वामित्व एवं पट्टा इकाई मॉडल’ को भी आगे बढ़ा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘पेट्रोलियम विपणन कंपनियां कच्चे तेल के आयात के लिए जहाजों का इस्तेमाल करती हैं। हम भारतीय जहाजरानी कंपनियों के लिए दीर्घकालिक अनुबंध सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों की ढुलाई मांग को एकसाथ मिला रहे हैं ताकि जहाजों के स्वामित्व के जरिये बार-बार की ढुलाई पर आने वाली लागत को कम किया जा सके।’’
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जहाजरानी क्षेत्र के विकास के लिए ‘समुद्री क्षेत्र विकास कोष’ और ‘पोत निर्माण वित्तीय सहायता योजना’ जैसी योजनाओं को भी लागू किया जा रहा है।
पुरी ने ऊर्जा और पोत परिवहन को अर्थव्यवस्था के दो अभिन्न स्तंभ बताते हुए कहा, “हमारी ऊर्जा जरूरतों के लिए जहाजों की भारी मांग है लेकिन जहाज निर्माण की क्षमता मुख्यतः चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों तक सीमित है। उनके पास अगले छह वर्षों के ऑर्डर पहले से ही हैं।’’ इसलिए समझदारी भरा कदम यही होगा कि हम उन्हें भारत में निवेश के लिए आमंत्रित करें और यहीं पर जहाज निर्माण शुरू करें।”
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि फिलहाल भारत केवल 20 प्रतिशत तेल और गैस की ही ढुलाई भारतीय-ध्वज वाले जहाजों से करता है।
उन्होंने कहा, “तेल एवं गैस क्षेत्र भारत के कुल व्यापार का 28 प्रतिशत हिस्सा है। अगर हमें आत्मनिर्भर और प्रतिस्पर्धी बनना है तो अपने जहाज बेड़े को भी बढ़ाना अनिवार्य है।”
भारत कच्चे तेल की 88 प्रतिशत और गैस की 51 प्रतिशत जरूरतों को आयात के जरिये पूरी करता है।
पुरी ने कहा, “हमारा समुद्री क्षेत्र 2047 तक आठ लाख करोड़ डॉलर तक का निवेश आकर्षित करने की क्षमता रखता है।”
उन्होंने कहा कि ‘भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा’ (आईएमईसी) भारतीय बंदरगाहों को यूरोप और अमेरिका से जोड़ेगा, जिससे समुद्री व्यापार में भारत की भूमिका और मजबूत होगी।
इस सम्मेलन में पोत, नौवहन और जलमार्ग सचिव विजय कुमार ने कहा कि भारत का मात्रा के लिहाज से 95 प्रतिशत व्यापार और मूल्य के लिहाज से 70 प्रतिशत व्यापार समुद्री मार्ग से होता है। सरकार पोत निर्माण क्लस्टर बनाने और 180 नए जहाजों की मांग को एकत्रित करने पर काम कर रही है।
भाषा प्रेम प्रेम