पंजाब में बीते पांच दिनों में पराली जलाने के 27 मामले सामने आए
राखी माधव
- 20 Sep 2025, 05:04 PM
- Updated: 05:04 PM
चंडीगढ़, 20 सितंबर (भाषा) पंजाब में पिछले पांच दिनों में पराली जलाने के 27 मामले सामने आए हैं। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि इस समस्या को रोकने के लिए विभिन्न जिलों के पराली जलाने वाले ‘हॉटस्पॉट’ में किसानों को जागरूक करने के लिए गहन अभियान शुरू किया गया है।
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को अक्टूबर और नवंबर में धान की कटाई के बाद दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने की एक प्रमुख वजह माना जाता है।
धान की कटाई के बाद गेहूं की बुवाई के लिए समय बहुत कम होता है। इस कारण कुछ किसान खेत खाली करने के लिए पराली जला देते है।
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, 15 सितंबर से अब तक चार जिलों में पराली जलाने के कुल 27 मामले सामने आएं।
पीपीसीबी के अनुसार, अमृतसर में पराली जलाने की सर्वाधिक 18 घटनाएं सामने आई हैं। इसके बाद तरनतारन में पांच, पटियाला में तीन और फिरोजपुर में एक घटना दर्ज की गई है।
पीपीसीबी के अनुसार, पराली जलाने वाले किसानों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
उच्चतम न्यायालय ने 17 सितंबर को पंजाब सरकार से यह पूछा था कि पराली जलाने वाले कुछ किसानों को सख्त संदेश देने के लिए गिरफ्तार क्यों न किया जाए।
न्यायालय ने यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में रिक्तियां भरने से संबंधित स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई के दौरान की।
इस बीच, संगरूर, तरनतारन, फिरोजपुर, मोगा, बठिंडा और बरनाला के कई गांवों को पराली जलाने की घटनाओं के आधार पर हॉटस्पॉट के रूप में चिह्नित किया गया है।
पीपीसीबी के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि हॉटस्पॉट गांवों के किसानों से कहा जाएगा कि वे पराली न जलाएं। किसानों को पराली जलने से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में जागरूक किया जाएगा।
एक अधिकारी ने कहा कि किसानों को पराली प्रबंधन के लिए ‘इन-सिटू’ (पराली को खेत में मिलाना) और ‘एक्स-सिटू’ (पराली को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करना) जैसे तरीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि संगरूर जिले में जिला प्रशासन ने पराली जलाने पर विशेष जागरूकता अभियान शुरू किया है। अभियान के तहत पांच मोबाइल वैन 18 दिनों तक 397 गांवों में जाकर किसानों से पराली न जलाने की अपील करेंगी।
संगरूर के उपायुक्त राहुल चाबा ने कहा कि धान की कटाई के बाद कोई भी किसान पराली न जलाए बल्कि पराली के साथ खेत की जुताई करके ‘प्रकृति प्रेमी’ होने का प्रमाण दें।
उन्होंने कहा कि जिले में किसानों के लिए कई कृषि मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं।
चाबा ने बताया कि यदि कोई किसान पराली प्रबंधन के लिए कृषि मशीनें किराए पर लेना चाहता है तो वह ‘‘आई-खेत’’ मोबाइल ऐप डाउनलोड कर मशीनों की उपलब्धता की जानकारी ले सकता है।
संगरूर के मुख्य कृषि अधिकारी धर्मिंदरजीत सिंह सिद्धू ने कहा कि पराली जलाने से न केवल पर्यावरण प्रदूषित होता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता पर भी असर पड़ता है क्योंकि जलाने से मिट्टी के 'माइक्रोन्यूट्रिएन्टस' नष्ट हो जाते हैं।
सिद्धू ने कहा कि यदि किसान पराली को खेतों में मिलाते हैं तो वे कई मूल्यवान तत्वों और जैविक पदार्थों को संरक्षित करते हैं, जिससे फसल की उपज बढ़ती है और रासायनिक उर्वरक की लागत भी बचती है।
इस बीच, राज्य सरकार ने अब तक किसानों से प्राप्त 16,837 आवेदनों में से 15,613 पराली प्रबंधन मशीनें मंजूर कर दी हैं।
अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार ने पराली के प्रभावी प्रबंधन के लिए 500 करोड़ रुपये की कार्य योजना तैयार की थी ताकि टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दिया जा सके और पराली जलाने से होने वाले पर्यावरणीय प्रभावों को कम किया जा सके।
पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड़ीयां ने पहले किसानों से पराली न जलाने की अपील करते हुए कहा था कि इसका पर्यावरण, वायु गुणवत्ता और मिट्टी की सेहत पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रशासनिक सचिव बसंत गर्ग ने कहा कि राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों के चलते पिछले साल पराली जलाने की घटनाओं में 70 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी आई थी।
उन्होंने बताया कि राज्य में वर्ष 2024 में कुल 10,909 पराली जलाने के मामले सामने आए, जबकि 2023 में 36,663 घटनाएं हुई। इस तरह पराली जलाने की घटनाओं में 70 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई।
राज्य में वर्ष 2022 में 49,922, वर्ष 2021 में 71,304, वर्ष 2020 में 76,590, वर्ष 2019 में 55,210 और वर्ष 2018 में 50,590 पराली जलाने के मामले सामने आए थे।
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