उच्चतम न्यायालय ने अभियोजकों को छत्तीसगढ़ न्यायिक सेवा परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी
सुभाष माधव
- 19 Sep 2025, 08:55 PM
- Updated: 08:55 PM
नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कुछ अभ्यर्थियों को 21 सितंबर को होने वाली छत्तीसगढ़ न्यायिक सेवा परीक्षा में अस्थायी रूप से शामिल होने की अनुमति दे दी।
प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन तथा न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की पीठ ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) को निर्देश दिया कि वह उन्हें प्रवेश स्तर की न्यायिक सेवाओं के लिए आयोजित प्रारंभिक परीक्षा में अस्थायी रूप से शामिल होने की अनुमति दे।
याचिकाकर्ताओं को प्रवेश पत्र जारी नहीं किये गए थे क्योंकि परीक्षा की अधिसूचना में अभ्यर्थियों के लिए रिक्तियों के विज्ञापन की तिथि पर राज्य बार काउंसिल में शामिल अधिवक्ता होना अनिवार्य था।
जिन लोगों को लोक अभियोजक नियुक्त किया गया है, उन्हें बार काउंसिल में अपना पंजीकरण निलंबित करना होगा और इसके परिणामस्वरूप, आयोग ने उन्हें प्रवेश पत्र जारी नहीं किए थे।
पीठ ने कहा, ‘‘अंतरिम आदेश के रूप में, हम निर्देश देते हैं कि सीजीपीएससी ऐसे याचिकाकर्ताओं को अनुमति दे, जो उक्त खंड के तहत निर्धारित योग्यता को छोड़कर अपेक्षित पात्रता रखते हैं। यह अधिवक्ता अधिनियम 1961 के तहत वकील के रूप में पंजीकरण है। हालांकि, हम स्पष्ट करते हैं कि परीक्षाओं में याचिकाकर्ताओं की उपस्थिति उनके पक्ष में कोई समानता नहीं बनाएगी।’’
अदालत ने राज्य लोक सेवा आयोग से यह भी कहा कि वह वकील के रूप में तीन साल की प्रैक्टिस की शर्त पर जोर न दे क्योंकि अधिसूचना शीर्ष अदालत के 20 मई के फैसले से पहले जारी की गई थी।
प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने 20 मई को नये विधि स्नातकों को प्रवेश स्तर की न्यायिक सेवा परीक्षा में शामिल होने पर रोक लगा दी थी और न्यूनतम तीन साल वकालत करने का मानदंड तय किया था।
हालांकि, फैसले में यह स्पष्ट किया गया था कि यह उन भर्ती प्रक्रियाओं पर लागू नहीं होगा जो इसके सुनाए जाने से पहले शुरू हुई थी।
याचिकाकर्ताओं, जिनमें लोक अभियोजक, सरकारी वकील और सरकारी नौकरी कर रहे अन्य विधि स्नातक शामिल हैं, को इस आधार पर प्रवेश पत्र देने से मना कर दिया गया था कि वे भर्ती के लिए विज्ञापन की तिथि, यानी 23 दिसंबर 2024 को ‘‘पंजीकृत अधिवक्ता’’ नहीं थे।
छत्तीसगढ़ अवर न्यायिक सेवा (भर्ती और सेवा की शर्तें) नियम, 2006 के तहत, जैसा कि 5 जुलाई 2024 के राजपत्र अधिसूचना द्वारा संशोधित किया गया था, अभ्यर्थियों के पास कानून की डिग्री होना और विज्ञापन की तिथि तक अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत होना आवश्यक है।
हालांकि, लोक अभियोजक और सरकारी वकील के रूप में नियुक्त अभ्यर्थियों को ऐसे पदों पर नियुक्त होने पर बार में अपने पंजीकरण को निलंबित करना कानूनन आवश्यक है।
परिणामस्वरूप, राज्य लोक सेवा आयोग ने उन्हें प्रवेश पत्र जारी करने से इनकार कर दिया और यह तर्क कि वे पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करते।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 16 सितंबर को उनकी याचिकाएं खारिज कर दीं, जिसके बाद पीड़ित अभ्यर्थियों ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।
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