सेबी ने अधिक परमार्थ संस्थाओं को सोशल स्टॉक एक्सचेंज के दायरे में शामिल किया
प्रेम प्रेम रमण
- 19 Sep 2025, 07:53 PM
- Updated: 07:53 PM
नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) बाजार नियामक सेबी ने शुक्रवार को सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) का दायरा बढ़ाते हुए अधिक परमार्थ संस्थाओं को इस मंच के जरिये धन जुटाने की अनुमति दी।
सोशल स्टॉक एक्सचेंज पूंजी बाजार का एक विशेष मंच है जिसे सेबी ने सामाजिक उद्यमों एवं गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) को पारदर्शी तरीके से धन जुटाने की सुविधा देने के लिए शुरू किया है।
इस मंच के जरिये ट्रस्ट, सोसाइटी और सेक्शन-आठ में आने वाली कंपनियां दान-आधारित साधनों और सामाजिक उद्यम इक्विटी या ऋण साधनों से पूंजी जुटा सकती हैं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की तरफ से जारी नवीनतम परिपत्र के मुताबिक, अब उन एनपीओ को भी पात्र माना जाएगा जो भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 के तहत पंजीकृत ट्रस्ट हैं, राज्य सरकारों के सोसाइटी पंजीकरण कानूनों के तहत पंजीकृत परमार्थ सोसाइटी हैं या फिर कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के तहत गठित कंपनियां हैं।
सेबी ने इन संस्थाओं की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए वार्षिक प्रभाव रिपोर्ट (एआईआर) पेश करना भी अनिवार्य कर दिया है।
जिन एनपीओ ने कोई प्रतिभूति सूचीबद्ध नहीं की है, उन्हें खुद ही यह रिपोर्ट तैयार करनी होगी। यदि कोई गतिविधि या परियोजना सूचीबद्ध प्रतिभूति से जुड़ी है तो एआईआर में उसका विवरण अनिवार्य रूप से शामिल करना होगा।
नियामक ने वार्षिक प्रकटीकरण की समयसीमा भी तय की है। सामान्य और सुशासन संबंधी खुलासे वित्त वर्ष समाप्त होने के 60 दिन के भीतर करने होंगे जबकि वित्तीय आंकड़े 31 अक्टूबर तक या आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि (जो भी बाद में हो) तक प्रस्तुत करने होंगे।
एसएसई के जरिये पूंजी जुटाने वाले सभी सामाजिक उद्यमों को निर्धारित समयसीमा के भीतर सामाजिक प्रभाव आकलनकर्ता द्वारा सत्यापित एआईआर दाखिल करना होगा।
नवीनतम संशोधनों में यह भी प्रावधान किया गया है कि किसी सामाजिक उद्यम को पंजीकरण की तारीख से दो वर्ष के भीतर एसएसई के जरिये पूंजी जुटानी होगी अन्यथा उसका पंजीकरण अपने-आप निरस्त हो जाएगा।
भाषा प्रेम प्रेम