जुबिन गर्ग : विभिन्न शैलियों के गीतों को आवाज देने वाले असम के संगीत सितारे
शफीक अविनाश
- 19 Sep 2025, 07:43 PM
- Updated: 07:43 PM
गुवाहाटी, 19 सितंबर (भाषा) गिटार बजाते हुए अपनी अनोखी शैली में एक के बाद एक गीतों को अपनी सुरीली आवाज से सजाने वाले असम के जुबिन गर्ग ने लगभग तीन दशकों तक अपने गीतों और फिल्मों से युवाओं और बुजुर्गों को मंत्रमुग्ध किया। दुनिया भर में प्रशंसक उनकी आवाज के दीवाने थे।
गायक, संगीतकार, फिल्म निर्देशक और अभिनेता जुबिन को 40 से ज्यादा भाषाओं और बोलियों में गाने का श्रेय है। फिल्म ‘‘गैंगस्टर’’ के गाने ‘या अली’ ने उन्हें पूरे देश में प्रसिद्धि दिलाई और 2006 में ग्लोबल इंडियन फिल्म अवार्ड्स (जीआईएफए) में उन्होंने सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक का पुरस्कार जीता।
तीन साल की उम्र से गाना शुरू करने वाले गायक जुबिन उन बच्चों और युवाओं की कई पीढ़ियों के लिए एक आदर्श थे, जो उनके गाने गुनगुनाते हुए बड़े हुए।
‘...या अली’ और ‘जाने क्या चाहे मन बावरा...’ जैसे प्रसिद्ध बॉलीवुड गानों को अपनी आवाज देने वाले और युवा दिलों की धड़कन जुबिन गर्ग की सिंगापुर में ‘स्कूबा डाइविंग’ के दौरान मौत हो गई। वह 52 वर्ष के थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी हैं।
चाहे असमिया हो या वेस्टर्न, लोकगीत हों या शास्त्रीय संगीत पर आधारित गीत, जुबिन गर्ग ने संगीत की विविध शैलियों को स्वर दिया और सभी में अपने हुनर का लोहा मनवाया। बाद के वर्षों में कई गायकों ने उनकी संगीत और गायन शैली का अनुकरण किया।
जुबिन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर भी अपने विचार व्यक्त करने से कभी नहीं हिचकिचाए।
जुबिन ने अपने पेशेवर संगीत करियर की शुरुआत अपने पहले असमिया एल्बम ‘‘अनामिका’’ से की, जो नवंबर 1992 में रिलीज हुआ और आज भी काफी लोकप्रिय बना हुआ है। उनके पहले रिकॉर्ड किए गए गाने 1993 के ‘‘ऋतु’’ में सुनाई दिए। जुबिन के कई अन्य संगीत एल्बम भी खासे पसंद किए गए।
बॉलीवुड संगीत उद्योग ने 1990 के दशक के मध्य में जुबिन को आकर्षित किया, जहां उन्होंने संगीत एल्बम ‘‘चांदनी रात’’ से शुरुआत की। बाद में, उन्होंने कुछ हिंदी एल्बम रिकॉर्ड किए और ‘‘गद्दार’’, ‘‘दिल से’’, ‘‘डोली सजा के रखना’’, ‘‘फिजा’’, ‘‘कांटे’’ और ‘‘जिंदगी’’ जैसी फिल्मों के लिए भी गाने गाए।
जुबिन ने 27 असमिया फिल्मों में अभिनय और तीन फिल्मों का निर्देशन भी किया।
अठारह नवंबर, 1972 को एक नौकरशाह पिता और गृहिणी-गायिका मां के घर जन्मे जुबिन गर्ग राजनीतिक मुद्दों पर अपनी राय स्पष्ट रूप से व्यक्त करने के लिए भी जाने जाते थे।
दृढ़ विश्वास वाले जुबिन ने प्रतिबंधित संगठन उल्फा द्वारा बिहू समारोहों के दौरान हिंदी गीत गाने पर लगाए गए प्रतिबंध को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उन्हें कलाकारों को आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है। गर्ग संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) के खिलाफ आंदोलन में भी अग्रणी भूमिका में थे।
भाषा शफीक