केंद्रीय मंत्री खट्टर ने दिल्ली के लिए 57,000 करोड़ रु के जल निकासी मास्टर प्लान की शुरुआत की
शुभम नरेश
- 19 Sep 2025, 05:52 PM
- Updated: 05:52 PM
नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शुक्रवार को दिल्ली के लिए जल निकासी मास्टर प्लान की शुरुआत की।
अगले 30 वर्षों में शहर की जल निकासी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार की गई इस मास्टर प्लान का उद्देश्य तेजी से हो रहे शहरी विकास और बार-बार होने वाली जलभराव की समस्याओं के मद्देनजर वर्तमान चुनौतियों और भविष्य की मांगों पर ध्यान देना है।
केंद्रीय मंत्री खट्टर ने कहा, "केंद्र सरकार जल निकासी मास्टर प्लान को लागू करने में राज्य सरकार की मदद करेगी।"
योजना के तहत शहर को तीन बेसिन (नजफगढ़ बेसिन, बारापुला बेसिन और ट्रांस-यमुना बेसिन) में विभाजित किया गया है तथा जल निकासी नेटवर्क को पुनः डिजाइन करने के लिए सलाहकारों को नियुक्त किया गया है, जिसकी अनुमानित लागत 57,000 करोड़ रुपये है।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि केंद्र सरकार इस योजना के वित्तपोषण में सहायता करेगी।
गुप्ता ने कहा, "हमने अपने शासन की शुरुआत नालों और पुराने जलभराव वाले स्थानों के दौरे से की। हमारी टीमवर्क बहुत अच्छी है; हम वातानुकूलित कमरों से काम नहीं करते।"
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि पिछली सरकारों ने शहर की सीवर और जल निकासी की समस्याओं का कोई समाधान नहीं निकाला। उन्होंने कहा, "वे सिर्फ लॉलीपॉप देने में रुचि रखते थे।"
आम आदमी पार्टी की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
भाजपा नेता प्रवेश वर्मा ने कहा, "हमारी सरकार के कार्यकाल की शुरुआत से ही हमने यह उदाहरण दिया है कि हम शहर में जलभराव की समस्या को हल करने के लिए गंभीर हैं। मिंटो ब्रिज अंडरपास इसका एक उदाहरण है - हमने वहां समस्या का समाधान किया है।"
उन्होंने कहा कि जल निकासी मास्टर प्लान शहर में जलभराव न होने का "गारंटी कार्ड" है।
उन्होंने कहा, "अब तक दिल्ली में अनियोजित विकास हुआ है जिसके कारण गंभीर समस्याएं पैदा हुई हैं।"
वर्मा ने कहा, "अब से दिल्ली में जल निकासी से संबंधित कोई भी कार्य मास्टर प्लान के आधार पर किया जाएगा।"
पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए वर्मा ने आरोप लगाया, "पिछली सरकार ने कोई अध्ययन नहीं कराया। वे केवल शीशमहल बनाने में व्यस्त थे और अपना घर भरने में रुचि रखते थे।"
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