अमेरिकी पुलिस की गोली से मारे गए तेलंगाना के व्यक्ति ने 'नस्लीय भेदभाव' का आरोप लगाया था
शुभम मनीषा
- 19 Sep 2025, 04:46 PM
- Updated: 04:46 PM
हैदराबाद, 19 सितंबर (भाषा) तेलंगाना के 30 वर्षीय जिस व्यक्ति की अमेरिकी पुलिस ने कथित तौर पर गोली मारकर जान ले ली उसने दावा किया था कि वह "नस्लीय घृणा और भेदभाव" का शिकार है।
मृतक के परिवार के सदस्यों ने बृहस्पतिवार को बताया कि महबूबनगर जिले के मोहम्मद निजामुद्दीन की अमेरिका में कथित तौर पर पुलिस द्वारा गोली मारे जाने के बाद मौत हो गई।
इस व्यक्ति का अमेरिका में उसके साथ रह रहे एक शख्स के साथ ‘‘झगड़ा’’ हुआ था जिसके बाद उसे पुलिस ने कथित तौर पर गोली मारी।
सोशल मीडिया पर हाल ही में एक पोस्ट में निजामुद्दीन ने कहा था, "मैं नस्लीय घृणा, नस्लीय भेदभाव, नस्लीय उत्पीड़न, यातना, वेतन-धोखाधड़ी, गलत तरीके से बर्खास्तगी और न्याय मिलने में रुकावटों का शिकार रहा हूं।"
उसने कहा था, "आज मैंने तमाम मुश्किलों के बावजूद अपनी आवाज उठाने का फैसला किया... कॉर्पोरेट तानाशाहों द्वारा किया जाने वाला उत्पीड़न बंद होना चाहिए और इसमें शामिल हर व्यक्ति को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।"
अपने बेटे के एक दोस्त से मिली जानकारी का हवाला देते हुए निजामुद्दीन के पिता मोहम्मद हसनुद्दीन ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि यह घटना तीन सितंबर को घटी थी, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि वास्तव में क्या हुआ था।
सांता क्लारा पुलिस द्वारा जारी एक वीडियो के अनुसार, उन्हें 911 (आपातकालीन कॉल) पर दो व्यक्तियों के बीच झगड़े की सूचना मिली। जब पुलिस मौके पर पहुंची तो उन्हें पता चला कि मामला बिगड़ गया था और संदिग्ध ने पीड़ित को चाकू मार दिया था।
सांता क्लारा के पुलिस प्रमुख मॉर्गन ने वीडियो में कहा, "अधिकारी ने स्थिति को शांत करने की कोशिश की। लेकिन संदिग्ध ने आदेशों को नजरअंदाज कर दिया... जब अधिकारी ने देखा कि संदिग्ध हाथ में चाकू लिए पीड़ित की ओर बढ़ रहा है तो उन्होंने चार बार गोली चलाई।"
संदिग्ध को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
निजामुद्दीन ने संदेश में यह भी लिखा कि जहां वह काम करता था वहां उसे काफी शत्रुता, अस्वीकार्य वातावरण, नस्लीय भेदभाव, नस्लीय उत्पीड़न और वेतन धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा।
उसने आरोप लगाया था, "उन्होंने पूरी तरह गलत तरीके से मेरी नौकरी समाप्त कर दी। यह यहीं खत्म नहीं हुआ। उन्होंने एक नस्लवादी जासूस और टीम की मदद से उत्पीड़न, भेदभाव और धमकी भरा व्यवहार जारी रखा।"
बाद में स्थिति और बिगड़ गई है। उन्होंने कहा था कि उनके खाने में जहर मिलाया गया था और अब उन्हें "अन्याय" के खिलाफ लड़ने के कारण उनके घर से बेदखल किया जा रहा है।
पीड़ित के पिता ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह वाशिंगटन डीसी स्थित भारतीय दूतावास और सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास से उनके बेटे का पार्थिव शरीर महबूबनगर लाने में मदद करने का अनुरोध करे।
इस बीच, ‘मजलिस बचाओ तहरीक’ (एमबीटी) के प्रवक्ता अमजद उल्लाह खान ने विदेश मंत्री जयशंकर से इस मामले में परिवार की मदद करने का आग्रह किया है।
हसनुद्दीन ने कहा कि उनका बेटा एमएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिका में सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल के तौर पर काम कर रहा था।
भाषा
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