यूपीएससी ने अभ्यथीं सत्यापन के लिए एआई युक्त चेहरा पहचानने वाली प्रौद्योगिकी का परीक्षण किया
संतोष माधव
- 19 Sep 2025, 04:39 PM
- Updated: 04:39 PM
नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के अध्यक्ष अजय कुमार ने शुक्रवार को घोषणा की कि उम्मीदवारों के त्वरित और सुरक्षित सत्यापन के वास्ते कृत्रिम मेधा (एआई) युक्त चेहरे की पहचान करने वाली प्रौद्योगिकी का परीक्षण करने के लिए एक प्रायोगिक कार्यक्रम सफलतापूर्वक संचालित किया गया है।
कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग (एनईजीडी) के साथ साझेदारी से विकसित इस पहल का उद्देश्य परीक्षा प्रक्रिया की शुचित को मजबूत करना और परीक्षा केंद्रों पर अभ्यर्थियों के प्रवेश अनुभव को बेहतर बनाना है।
कुमार ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यूपीएससी आगे चलकर सिविल सेवा परीक्षाओं सहित अपनी सभी परीक्षाओं में उम्मीदवारों के लिए चेहरे की पहचान करने वाली तकनीक का उपयोग करने की योजना बना रहा है।’’
आयोग सरकारी नौकरियों के लिए विभिन्न भर्ती परीक्षाएं आयोजित करता है, जिनमें भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारियों का चयन करने के लिए आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा भी शामिल है।
कुमार ने बताया कि वाई-फाई की उपलब्धता और चेहरे की पहचान में शामिल कर्मियों के लिए प्रशिक्षण जैसी रसद व्यवस्थाएं प्रमुख विचारणीय बिंदु हैं। इस संबंध में आवश्यक मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) वर्तमान में विकसित की जा रही हैं।
उन्होंने बताया कि यूपीएससी ने 14 सितंबर, 2025 को आयोजित एनडीए (राष्ट्रीय रक्षा अकादमी) और एनए (नौसेना अकादमी) द्वितीय परीक्षा, 2025 और सीडीएस (संयुक्त रक्षा सेवा) द्वितीय परीक्षा, 2025 के दौरान यह प्रयोगिक परीक्षण किया।
यूपीएससी अध्यक्ष ने बताया कि यह प्रयोगिक परीक्षण गुरुग्राम के चुनिंदा केंद्रों पर किया गया, जहां अभ्यर्थियों के चेहरे की तस्वीरों का उनके पंजीकरण फॉर्म में जमा की गई तस्वीरों से डिजिटल रूप से मिलान किया गया।
उन्होंने बताया कि नई प्रणाली ने सत्यापन समय को प्रति उम्मीदवार औसतन केवल 8 से 10 सेकंड तक कम कर दिया, जिससे प्रवेश प्रक्रिया में उल्लेखनीय रूप से सुगमता आई और सुरक्षा का एक अतिरिक्त स्तर भी जुड़ गया है।
कुमार ने कहा, ‘‘ प्रयोगिक परीक्षण में शामिल सभी केंद्रों पर विभिन्न सत्रों में 1,129 उम्मीदवारों के लगभग 2,700 सफल स्कैन पूरे किए गए। यह सफल परीक्षण अधिक स्मार्ट, सुरक्षित और परीक्षाओं के आयोजन संबंधी कौशल के लिए उन्नत तकनीक का लाभ उठाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।’’
भाषा संतोष