‘वोटी चोरी’ पर ‘झूठ बोल रहा निर्वाचन आयोग, भाजपा से मिलीभगत : प्रियांक खरगे
वैभव मनीषा
- 19 Sep 2025, 03:36 PM
- Updated: 03:36 PM
बेंगलुरु, 19 सितंबर (भाषा) कर्नाटक सरकार के मंत्री प्रियांक खरगे ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग ने यह कहकर झूठ बोला है कि उसने ‘वोट चोरी’ के संबंध में सारी जानकारी उपलब्ध करा दी है, जबकि कर्नाटक के संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी का चार फरवरी, 2025 को भेजा गया पत्र कुछ और ही कहानी बयां करता है।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया था कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ‘वोट चोरों’ को संरक्षण दे रहे हैं।
बेंगलुरु में पत्रकारों को संबोधित करते हुए, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे ने कहा कि सीआईडी ने 18 पत्र लिखे हैं और सबसे ताजा पत्र एक फरवरी, 2025 को लिखा गया था, जिसमें मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को संबंधित पक्षों को जांच के लिए प्रासंगिक जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश देने को कहा गया था।
खरगे ने सीआईडी का पत्र पढ़ा, जिसमें कहा गया था, ‘‘जांच के दौरान, आईपी (इंटरनेट प्रोटोकॉल) लॉग उपलब्ध कराए गए हैं। गंतव्य स्थान की जांच करने पर, आईपी और गंतव्य पोर्ट गायब हैं। इसलिए, संबंधित लोगों को इसे उपलब्ध कराने और नीचे दिए गए प्रश्नों से संबंधित सूचना दस्तावेज भी उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया जाता है।’’
मंत्री के अनुसार, सीआईडी के पांच प्रश्न थे।
इनमें एक प्रश्न था कि ‘‘क्या राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल (एनवीएसपी), मतदाता हेल्पलाइन ऐप (वीएचए) प्लेटफॉर्म द्वारा ओटीपी/मल्टीफैक्टर प्रमाणीकरण सुविधा अपनाई गई है?, क्या ओटीपी प्रमाणीकरण सुविधा आवेदन अपलोड करने के लिए भी उपलब्ध है, यदि हां, तो विवरण प्रदान करें।
खरगे ने कहा कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने चार फरवरी को भारत के निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा।
निर्वाचन आयोग को लिखे पत्र में, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा, ‘‘जांच अधिकारी ने आलंद विधानसभा क्षेत्र में नाम हटाने के लिए ऑनलाइन आवेदन जमा करने से संबंधित कुछ जानकारी प्रदान करने का अनुरोध किया है। जांच अधिकारी ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65बी के तहत, उस व्यक्ति द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान करने का भी अनुरोध किया है, जिसका वैध नियंत्रण/उपयोगकर्ता है और जहां से उत्पन्न गतिविधियों के दौरान लॉग बनाए गए थे, ताकि उन्हें एलईए के समक्ष प्रस्तुत किया जा सके।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यदि ओटीपी जैसा प्रमाणीकरण मौजूद है, तो क्या ओटीपी लॉगिन के लिए इस्तेमाल किए गए मोबाइल नंबर पर या आवेदक द्वारा फॉर्म में दिए गए मोबाइल नंबर पर या दोनों पर भेजा जाएगा? वैध नियंत्रण रखने वाले व्यक्ति द्वारा भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65बी के तहत प्रमाण पत्र प्रदान करें, जहां से गतिविधियों के दौरान लॉग बनाए गए थे और कानून प्रवर्तन एजेंसी (एलईए) के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए तैयार किए गए थे।’’
भाषा वैभव