अमेरिकी पुलिस की गोली लगने से मारे गए भारतीय युवक ने किया था ‘नस्लीय भेदभाव’ का दावा
गोला मनीषा
- 19 Sep 2025, 01:04 PM
- Updated: 01:04 PM
हैदराबाद, 19 सितंबर (भाषा) अमेरिका में पुलिस की गोली लगने से मारे गए तेलंगाना के 30 वर्षीय व्यक्ति ने मौत से पहले दावा किया था कि वह ‘‘नस्लीय घृणा और भेदभाव’’ का शिकार था।
तेलंगाना के महबूबनगर जिले के मोहम्मद निजामुद्दीन की अमेरिका में उसके साथ रह रहे एक शख्स के साथ ‘‘झगड़े’’ के बाद कथित तौर पर पुलिस द्वारा गोली मारे जाने से मौत हो गई। व्यक्ति के परिवार के सदस्यों ने बृहस्पतिवार को यह दावा किया।
सोशल मीडिया पर हाल ही में एक पोस्ट में निज़ामुद्दीन ने कहा था, ‘‘मैं नस्लीय घृणा, नस्लीय भेदभाव, नस्लीय उत्पीड़न, यातना, वेतन धोखाधड़ी, गलत तरीके से नौकरी से निकालने और न्याय में बाधा का शिकार रहा हूं।’’
उसने कहा था, ‘‘आज मैंने सभी बाधाओं के बावजूद अपनी आवाज उठाने का फैसला किया...कॉरपोरेट तानाशाहों द्वारा किया जाने वाला उत्पीड़न बंद होना चाहिए और इसमें शामिल सभी लोगों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।’’
मोहम्मद निजामुद्दीन के पिता मोहम्मद हसनुद्दीन ने अपने बेटे के एक दोस्त से मिली जानकारी के हवाले से ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि यह घटना तीन सितंबर को हुई थी। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि वास्तव में क्या हुआ था।
सांता क्लारा पुलिस द्वारा जारी एक वीडियो के अनुसार, उन्हें एक ही कमरे में रहने वाले दो लोगों के बीच झगड़े से संबंधित सूचना मिली थी। जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो उन्हें पता चला कि संदिग्ध ने पीड़ित को चाकू मारकर ज़मीन पर गिरा दिया है।
सांता क्लारा पुलिस प्रमुख मॉर्गन ने वीडियो में कहा, ‘‘अधिकारी ने मौखिक आदेशों से स्थिति को शांत करने का प्रयास किया। लेकिन संदिग्ध ने आदेशों को अनसुना कर दिया... जब अधिकारी ने देखा कि चाकू पकड़े हुए संदिग्ध पीड़ित की ओर बढ़ रहा है, तो अधिकारी ने चार बार गोली चलाई।’’
संदिग्ध को एक स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
निज़ामुद्दीन ने संदेश में यह भी लिखा था कि जहां वह काम करता था, वहां उसे बहुत ज़्यादा शत्रुता, खराब और अस्वीकार्य माहौल, नस्लीय भेदभाव, नस्लीय उत्पीड़न और वेतन में धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा।
उसने आरोप लगाया था, ‘‘उन्होंने पूरी तरह से गलत तरीके से मेरी नौकरी खत्म कर दी। बात यहीं खत्म नहीं हुई। उन्होंने एक नस्लवादी जासूस और उनकी टीम की मदद से उत्पीड़न, भेदभाव और डराना-धमकाना जारी रखा।’’
उसने कहा था कि बाद में हालात और बिगड़ गए। उसके खाने में ज़हर मिलाया गया था और अब ‘‘अन्याय’’ के ख़िलाफ़ लड़ने की वजह से उसे उसके घर से बेदखल किया जा रहा है।
निजामुद्दीन के पिता ने विदेश मंत्री से अनुरोध किया कि वह वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास और सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास से उनके बेटे के पार्थिव शरीर को महबूबनगर लाने में मदद करने का अनुरोध करें।
‘मजलिस बचाओ तहरीक’ (एमबीटी) के प्रवक्ता अमजद उल्लाह खान ने मीडिया के साथ पत्र साझा करते हुए विदेश मंत्री से इस मामले में परिवार की मदद करने का आग्रह किया।
हसनुद्दीन ने बताया कि उनका बेटा वहां एमएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद सॉफ्टवेयर पेशेवर के तौर पर काम कर रहा था।
भाषा गोला