न्यायालय ने सीवर की हाथ से सफाई के लिए पीडब्ल्यूडी पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया
नेत्रपाल देवेंद्र
- 18 Sep 2025, 08:57 PM
- Updated: 08:57 PM
नयी दिल्ली, 18 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग पर शीर्ष अदालत के ठीक बाहर एक नाबालिग सहित सफाईकर्मियों से सीवर की हाथ से सफाई कराए जाने को लेकर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया।
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने पीडब्ल्यूडी के जवाब पर नाराजगी व्यक्त की।
न्यायालय ने जुर्माना लगाने की कार्रवाई इन खबरों के बाद की कि शीर्ष अदालत के गेट एफ के बाहर बिना सुरक्षा उपकरणों के मजदूरों को ‘मैनुअल’ तरीके से सीवर की सफाई के काम में लगाया गया।
पीठ ने कहा कि उसके अक्टूबर 2023 के निर्देशों का उल्लंघन किया गया है। इसने भविष्य में उल्लंघन करने पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश देने की चेतावनी दी।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘इस आवेदन के साथ संलग्न तस्वीरों से प्रमाणित इस तरह के काम के लिए जुर्माना लगाना उचित होगा। इसलिए, हम लोक निर्माण विभाग को चार हफ्तों के भीतर राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग में पांच लाख रुपये जमा करने का निर्देश देते हैं।’’
न्यायालय ने चेतावनी देते हुए कहा कि न केवल लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को बल्कि अन्य अधिकारियों को भी नींद से जागने की जरूरत है ताकि उसके निर्देशों का अक्षरशः पालन सुनिश्चित किया जा सके।
इसने कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट करते हैं कि यदि ऐसी घटनाएं दोबारा होती हैं तो यह न्यायालय बीएनएस और बीएनएसएस के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने के लिए बाध्य होगा।’’
न्यायमित्र के रूप में पीठ की सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने कहा कि यह घटना स्पष्ट रूप से न्यायालय के बाध्यकारी निर्देशों के प्रति उपेक्षा को दर्शाती है।
उन्होंने बताया कि वीडियो साक्ष्य में नाबालिग को काम में लगाए जाने का दस्तावेजीकरण किया गया है तथा शारीरिक श्रम के लिए मजबूर किए गए लोगों का विशिष्ट विवरण भी उपलब्ध कराया गया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘नाबालिग को काम पर लगाया गया और यह वीडियो में साफ़ तौर पर रिकॉर्ड हुआ है। तिलक मार्ग थाने में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की गई, लेकिन न तो पुलिस और न ही लोक निर्माण विभाग ने उचित कार्रवाई की। यह सिर्फ़ श्रम क़ानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि संवैधानिक दायित्वों का उल्लंघन है। जुर्माना अधिकारियों से ही वसूला जाए।’’
पीठ ने अपने आदेश में 20 अक्टूबर, 2023 को जारी अपने निर्देशों का हवाला दिया। न्यायालय पीडब्ल्यूडी के वकील की इस दलील से सहमत नहीं हुआ कि मानसून को ध्यान में रखते हुए केवल ढके हुए नालों से गाद निकालने का काम किया जा रहा था और इसमें अधिकारियों की कोई गलती नहीं थी।
भाषा नेत्रपाल