पोप लियो ने अपने पहले साक्षात्कार में ट्रंप, यौन शोषण मामलों और चीन पर रखी राय
एपी प्रशांत अविनाश
- 18 Sep 2025, 06:35 PM
- Updated: 06:35 PM
रोम, 18 सितंबर (एपी) पोप लियो 14वें ने इतिहास के पहले अमेरिकी पोप के रूप में अपने प्रथम साक्षात्कार में कहा कि उनका अमेरिकी राजनीति में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन वह आव्रजन सहित कैथोलिक चर्च के लिए चिंता के मुद्दों पर अपनी आवाज उठाएंगे।
बृहस्पतिवार को प्रकाशित साक्षात्कार में लियो ने ट्रंप प्रशासन से लेकर पादरी यौन शोषण संकट, ‘एलजीबीटीक्यूप्लस’ कैथोलिकों का स्वागत और वेटिकन-चीन संबंधों सहित विभिन्न विषयों पर बात की।
यह साक्षात्कार समाचार साइट ‘क्रक्स’ की वेटिकन संवाददाता एलिस एन एलन द्वारा लिया गया, जो लियो की जीवनी पर आधारित था। यह साक्षात्कार बृहस्पतिवार को पेरू में प्रकाशित हुई, जहां लियो कई वर्षों तक बिशप रहे थे।
लियो ने ‘एलजीबीटीक्यूप्लस’ कैथोलिकों के लिए पोप फ्रांसिस के संदेश को स्वीकार किया कि कैथोलिक चर्च में स्वागत है, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें “यह लगभग असंभव लगता है” कि उनके यौन रुझानों के बारे में चर्च का मूल सिद्धांत जल्द बदल जाएगा।
उन्होंने कहा, “सभी आमंत्रित हैं, लेकिन मैं किसी व्यक्ति को इसलिए आमंत्रित नहीं करता क्योंकि उसकी कोई विशिष्ट पहचान है या नहीं। मैं किसी व्यक्ति को इसलिए आमंत्रित करता हूं क्योंकि वह ईश्वर का पुत्र या पुत्री है।”
चीन के साथ संबंधों पर लियो ने कहा कि उन्हें बिशप नामांकन पर बीजिंग के साथ वेटिकन के विवादास्पद 2018 समझौते में किसी भी अल्पकालिक बदलाव की उम्मीद नहीं है।
पोप फ्रांसिस के नेतृत्व में वेटिकन ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे यह आशा थी कि इससे चीन के अनुमानित 1.2 करोड़ कैथोलिकों को एकजुट करने में मदद मिलेगी, जो लंबे समय से एक आधिकारिक, राज्य-स्वीकृत चर्च और रोम के प्रति वफादार एक भूमिगत चर्च के बीच विभाजित थे।
लियो ने कहा, “मैं किसी भी तरह से उन सभी से ज्यादा समझदार या अनुभवी होने का दावा नहीं करता जो मुझसे पहले आए हैं।” उन्होंने जोड़ा कि वह इस मुद्दे का अध्ययन कर रहे हैं और इसके बारे में “दोनों पक्षों” के चीनी लोगों से बात कर रहे हैं।
यौन शोषण के मामलों पर लियो ने कहा कि यौन शोषण का संकट “एक वास्तविक संकट” है जिसका अभी तक समाधान नहीं हुआ है, और चर्च अभी तक पीड़ितों की मदद का कोई रास्ता नहीं खोज पाया है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि पादरियों के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “आंकड़े बताते हैं कि 90 प्रतिशत से ज्यादा लोग जो आगे आकर आरोप लगाते हैं, वे वास्तव में पीड़ित होते हैं। वे सच कह रहे होते हैं। वे यह सब गढ़ नहीं रहे हैं।”
पोप ने कहा, “लेकिन कुछ प्रकार के झूठे आरोपों के सिद्ध मामले भी सामने आए हैं। ऐसे पादरी भी हैं जिनका जीवन इस कारण नष्ट हो गया।”
पोप लियो ने ट्रंप और अमेरिकी राजनीति के बारे में भी अपनी राय रखी। लियो ने कहा कि वह विश्व मामलों पर अमेरिका के प्रभाव को पहचानते हैं तथा उन्होंने प्रवासन को कैथोलिक चर्च के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक बताया।
लियो ने स्पष्ट किया कि वह ट्रंप समर्थक नहीं हैं, तथा उन्होंने कहा कि वह और अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले उनके भाई लुइस प्रीवोस्ट, जो खुद को “एमएजीए-टाइप” बताते हैं, “अलग-अलग विचार” रखते हैं।
पोप ने चर्च में महिलाओं को नेतृत्व पदों पर नियुक्त करने का संकल्प लिया, लेकिन महिलाओं को ‘डिकन’ या पादरियों के रूप में नियुक्त किए जाने की किसी भी उम्मीद को ज्यादा हवा नहीं दी।
एपी प्रशांत