जम्मू में जमीन धंसने से लोग परेशान, सरकार से की स्थायी पुनर्वास की मांग
मनीषा रंजन
- 18 Sep 2025, 12:43 PM
- Updated: 12:43 PM
खारी (बनतालाब) 18 सितम्बर (भाषा) जम्मू-कश्मीर के खारी गांव में जमीन धंसने की वजह से कई परिवार बेघर हो गए हैं और तिरपाल के नीचे दिन गुजारते हुए प्रभावित लोगों ने सरकार से तत्काल राहत एवं स्थायी पुनर्वास की मांग की है।
मोहम्मद जावेद का दो मंजिला घर करीब डेढ़ वर्ष पहले बना था, लेकिन अब मिट्टी में समा चुका है। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “मैंने अपनी पूरी जिंदगी की कमाई से यह घर बनाया था। अब सब कुछ खत्म हो गया है। हम खेत में तिरपाल के नीचे सोते हैं।”
उन्होंने बताया कि तीन सितंबर के आसपास बारिश थमने के बाद गांव में जमीन में दरारें आनी शुरू हुईं, जो अब पांच फुट तक गहरी हो गई हैं। उनके अनुसार, अब तक 20 से 25 घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
जमीन धंसने की घटनाएं जम्मू क्षेत्र के रियासी, पुंछ, किश्तवाड़, रामबन और कठुआ जिलों के 19 स्थानों से सामने आई हैं। अगस्त के अंत में हुई भारी बारिश और बाढ़ के कारण राज्य में लगभग 2,500 से 3,000 लोग विस्थापित हुए हैं।
खारी गांव को जम्मू का “ग्रीन इंजन” कहा जाता है, लेकिन यह अब किसी भूकंप प्रभावित क्षेत्र जैसा प्रतीत होता है। कई मकान धरती में धंस गए हैं, छतें और दीवारें ढह गई हैं। सैकड़ों लोग अस्थायी तंबुओं में अपने सामान और मवेशियों के साथ रह रहे हैं।
स्थानीय निवासी गुलाम मोहम्मद (69) ने बताया कि उनका घर 5-6 फुट जमीन धंसने के कारण जमींदोज हो गया। “प्रशासन की ओर से तंबू और राशन मिला है, लेकिन यहां रहना बहुत जोखिम भरा है। हम सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वास की मांग करते हैं।”
एक अन्य पीड़िता, मेहरम बीबी ने बताया कि उनका घर छह सितंबर को चंद मिनटों में धरती में समा गया। उन्होंने कहा “सभी सामान दब गया, हमारे पास कुछ नहीं बचा। सिर्फ जान बच गई।’’
मुस्कान (35) ने बताया कि उनका घर निर्माणाधीन था और वे कुछ ही दिनों में उसमें रहने वाले थे। उन्होंने रोते हुए कहा“अब हम सड़कों पर हैं। मैंने अपने बच्चों को रिश्तेदारों के पास भेज दिया है।’’
जम्मू शहर के बाहरी इलाके में बनतालाब क्षेत्र की खारी और कांगेर पंचायतों, सिधड़ा-बाजलता पट्टी के बर्मिनी, गुरा, चाटा, ऊधें सरारी आदि इलाकों में लगातार जमीन धंसने के कारण 100 से अधिक घरों में दरारें आई हैं तथा कई मकान आंशिक या पूर्ण रूप से धरती में धंस चुके हैं।
प्रशासन ने सभी प्रभावित परिवारों को अस्थायी तंबुओं में स्थानांतरित कर दिया है और विशेषज्ञों की टीम द्वारा निरीक्षण की तैयारी की जा रही है। अधिकारियों का मानना है कि अत्यधिक बारिश के कारण जमीन में पानी का संतृप्तिकरण हुआ, जिससे यह समस्या उत्पन्न हुई।
बर्मिनी क्षेत्र में 50 से अधिक मकान प्रभावित हुए हैं। एक अधिकारी ने बताया, “800-900 कनाल क्षेत्र में फैले गांवों में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है ताकि लोग क्षतिग्रस्त घरों में वापस न जाएं।”
रजवी बीबी का भी मकान इसी तरह नष्ट हुआ। उन्होंने कहा, “बहुत मुश्किल से कुछ सामान बचा पाए हैं। अब खुले में मवेशियों के साथ रह रहे हैं।”
निचले बर्मिनी गांव के मकबूल ने बताया कि एक किलोमीटर के दायरे में 50 से अधिक मकान धरती में धंस चुके हैं।
अब्दुल्ला हमीद के मवेशियों का तबेला भी धंस गया जिसमें सभी मवेशी दब गए। उन्होंने कहा “हम किसी तरह जान बचाकर निकले हैं, लेकिन अब स्कूल में रह रहे हैं। हमारे मवेशियों के लिए भी जगह नहीं है। तत्काल पुनर्वास की जरूरत है।”
भाषा मनीषा