हुर्रियत के पूर्व प्रमुख अब्दुल गनी भट का निधन
प्रीति माधव
- 17 Sep 2025, 10:21 PM
- Updated: 10:21 PM
श्रीनगर, 17 सितंबर (भाषा) हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के पूर्व अध्यक्ष अब्दुल गनी भट का बुधवार को सोपोर स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे।
भट अलगाववादी नेतृत्व के बीच एक उदारवादी नेता के रूप में उभरे थे।
हुर्रियत के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने बताया कि भट पिछले कुछ वर्षों से बीमार थे और बारामूला जिले के सोपोर स्थित अपने घर पर ही रहते थे।
उन्होंने बताया कि भट का आज शाम निधन हो गया।
मीरवाइज ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मुझे अभी-अभी भट साहब के बेटे का फोन आया, जिसमें उन्होंने वरिष्ठ नेता के निधन की दुखद खबर दी।’’
परिवार के करीबी सूत्रों ने बताया कि भट को सोपोर स्थित उनके पैतृक कब्रिस्तान में दफनाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यद्यपि उनकी राजनीतिक विचारधाराएं बिल्कुल अलग थीं, ‘‘लेकिन मैं उन्हें हमेशा एक बहुत ही सभ्य व्यक्ति के रूप में याद रखूंगा।”
अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मुझे वरिष्ठ कश्मीरी नेता और शिक्षाविद् प्रोफेसर अब्दुल गनी भट साहब के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब अधिकांश लोग मानते थे कि आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता हिंसा है तब उन्होंने संवाद का रास्ता अपनाने का साहस दिखाया। इसी कारण उनकी तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी जी और उपप्रधानमंत्री आडवाणी जी से मुलाकात हुई...’’
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि भले ही राजनीतिक विचार अलग थे, लेकिन उन्होंने कठिन समय में हमेशा उन्हें ही याद किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘…वह कश्मीर के उथल-पुथल भरे इतिहास के बीच संयम की आवाज थे। वह एक प्रतिष्ठित विद्वान, शिक्षक और बुद्धिजीवी थे जिनका राजनीतिक दृष्टिकोण व्यावहारिक था। कश्मीर समस्या के शांतिपूर्ण समाधान के कट्टर समर्थक थे, और उनका प्रभाव गहरा था।’’
मीरवाइज ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि भट का निधन उनके लिए बहुत बड़ी व्यक्तिगत क्षति है।
उन्होंने कहा, ‘‘अभी अभी बहुत दुखद खबर मिली कि मैंने अपने स्नेही बड़े, प्रिय मित्र और सहयोगी प्रोफेसर अब्दुल गनी भट साहिब को खो दिया। कुछ समय पहले उनका देहांत हो गया। इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैहि राजिऊन। यह एक बहुत बड़ा व्यक्तिगत नुकसान है! अल्लाह उन्हें जन्नत में सबसे ऊंचा स्थान दें। कश्मीर एक सच्चे और दूरदर्शी नेता से वंचित हो गया है।’’
कश्मीर में आतंकवाद के चरम समय पर, भट को सैयद अली शाह गिलानी और मसारत आलम जैसे अलगाववादी के बीच एक शांतिप्रिय व्यक्ति माना जाता था। वह (भट) कश्मीर समस्या के समाधान के लिए नई दिल्ली (सरकार) के साथ बातचीत करने का समर्थन करते थे।
भट ने अटल विहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार और बाद में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को केंद्र के साथ बातचीत में शामिल कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
भट अभिवाजित हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अंतिम अध्यक्ष थे क्योंकि केंद्र सरकार के साथ बातचीत करने के निर्णय के कारण बहुदलीय गठबंधन में विभाजन हो गया था।
हुर्रियत के पूर्व अध्यक्ष ने राजनीतिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए हथियार के इस्तेमाल पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी।।
उन्होंने कश्मीर में लगातार और लंबे समय तक बंद रहने को लेकर भी आवाज उठाई थी।
भट का वर्ष 1935 में जन्म हुआ था। उन्होंने श्रीनगर के श्री प्रताप कॉलेज से फारसी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने फारसी में स्नातकोत्तर और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से विधि की डिग्री प्राप्त की।
भट ने शुरुआत में सोपोर में वकालत की। उसके बाद 1963 में पूंछ के सरकारी कॉलेज में फारसी के प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हुए।
वह 1986 तक सरकारी सेवा में थे और इसी साल उन्हें सुरक्षा कारणों से सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
भट ने 1986 में राजनीति में प्रवेश किया और मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट (एमयूएफ) की सह-स्थापना की। यह जमात-ए-इस्लामी के नेतृत्व में एक दक्षिणपंथी दलों का एक गठबंधन था।
वर्ष 1987 के विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें कई महीनों तक जेल में रखा गया था, जिसमें एमयूएफ को हार का सामना करना पड़ा था जबकि एमयूएफ को चुनाव-प्रचार अभियान के दौरान जनता से अनुकूल प्रतिक्रिया मिली थी।
भाषा प्रीति