न्यायालय ने केरल में अयप्पा भक्तों के वैश्विक सम्मेलन के खिलाफ दायर याचिकाएं खारिज की
प्रीति अविनाश
- 17 Sep 2025, 10:16 PM
- Updated: 10:16 PM
नयी दिल्ली, 17 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने केरल उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड द्वारा 20 सितंबर को अयप्पा भक्तों का एक वैश्विक सम्मेलन आयोजित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज कर दी गई थीं।
ये याचिकाएं न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति ए. एस. चंदुरकर की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आईं, जिन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
केरल उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने 11 सितंबर को अपने आदेश में सबरीमला की पवित्रता और पंपा नदी के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने के व्यापक हित में कई निर्देश पारित किए थे।
इसमें कहा गया था, ‘‘हमें 20 सितंबर को पंपा नदी के तट पर आयोजित होने वाले वैश्विक अयप्पा संगमम के आयोजन पर रोक लगाने का कोई कारण नहीं नजर आता है।’’
उच्च न्यायालय ने कहा था कि वैश्विक अयप्पा संगम आयोजित किया जा सकता है, लेकिन बोर्ड को यह सुनिश्चित करना होगा कि पंपा नदी के तट पर कोई स्थायी या अस्थायी संरचना न बनाई जाए, जिससे इसकी पवित्रता पर असर पड़े।
अदालत ने अन्य निर्देशों के अलावा यह भी कहा था कि सम्मेलन के दिनों में तथा तैयारी संबंधी कार्यों के दौरान बोर्ड को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी अनुष्ठान, समारोह या संबंधित कार्य में बाधा न आए या श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो।
इसने कहा था कि यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं कि प्लास्टिक की बोतलें, कप या जैविक रूप से नष्ट न होने वाला कचरा उत्पन्न नहीं हो।
अदालत ने कहा था, ‘‘मुख्यमंत्रियों, पड़ोसी राज्यों के मंत्रियों और विदेशी गणमान्य व्यक्तियों सहित कई प्रतिष्ठित लोगों की संभावित उपस्थिति को देखते हुए आयोजकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे आमंत्रितों का आगमन किसी भी तरह से सामान्य तीर्थयात्रियों की सुविधाओं को प्रभावित न करे।’’
इसमें कहा गया था कि सभी प्रतिभागियों को भगवान अयप्पा का भक्त माना जाएगा तथा उन्हें मंदिर में आने या किसी भी संबंधित उद्देश्य के लिए कोई विशेष लाभ या प्राथमिकता नहीं दी जाएगी।
उच्च न्यायालय में दाखिल की गई याचिकाओं में दलील दी गई थी कि उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार, सम्मेलन का कथित उद्देश्य दिव्य कृपा, सांस्कृतिक विरासत और सामूहिक भक्ति के उत्सव में दुनिया भर के अयप्पा भक्तों को एक साथ लाना था।
याचिकाकर्ताओं का दावा था कि इस सम्मेलन को आयोजित करने का फैसला सरकारी स्तर पर लिया गया था और बोर्ड को इसमें सिर्फ इसलिए शामिल किया गया ताकि पूरी तरह से राजनीतिक कार्यक्रम को धार्मिक रूप दिया जा सके।
बोर्ड ने उच्च न्यायालय के समक्ष तर्क दिया था कि वैश्विक अयप्पा संगमम की परिकल्पना एक अद्वितीय आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और विकासात्मक सम्मेलन के रूप में की गई थी, जिसका आयोजन केरल सरकार के सहयोग और समर्थन से किया जाना है।
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