जीएसटी कारोबारी सुगमता के लिए लाया गया, लेकिन अधिकारी इस भावना के उलट काम कर रहे: अदालत
राजेंद्र अमित रमण
- 17 Sep 2025, 09:52 PM
- Updated: 09:52 PM
प्रयागराज, 17 सितंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि केंद्र ने जीएसटी व्यवस्था इस देश में कारोबारी सुगमता के लिए लाई, लेकिन राजस्व अधिकारी इस भावना के उलट काम कर रहे हैं।
मेसर्स सेफकॉन लाइफसाइंसेज की याचिका स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने कहा कि जब वस्तुओं का वास्तविक आवागमन, करदाता ने साबित कर दिया और अधिकारियों द्वारा इसका खंडन नहीं किया गया तो जीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 74 के तहत कार्यवाही अनुचित है।
धारा 74 के तहत कार्यवाही तभी की जा सकती है जब कर निर्धारिती (करदाता) ने जीएसटी का भुगतान ना किया हो या कम भुगतान किया हो या तथ्यों को जानबूझकर छिपाते हुए इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत लाभ लिया हो।
अदालत ने नौ सितंबर को दिए अपने निर्णय में कहा, जब सरकार द्वारा यह देखा गया कि धारा 74 की आड़ में विभिन्न डीलरों का उत्पीड़न किया जा रहा है, तो उसने 13 दिसंबर, 2023 को एक परिपत्र जारी किया। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि धारा 74 के तहत तभी कार्यवाही शुरू की जा सकती है जब कर भुगतान से बचने के लिए जानबूझकर तथ्यों को छिपाया गया हो।
सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता ने कहा कि ठाणे के भिवंडी स्थित मेसर्स यूनीमैक्स फार्मा के साथ कुछ निश्चित सौदा किया गया जिसके लिए चालान, ई-वे बिल और ट्रांसपोर्ट बिल्टी जारी की गई। ये सभी सौदे बैंकिंग माध्यम से किए गए और अन्य कंपनी द्वारा इन सौदों के बाबत कर रिटर्न दाखिल किए गए।
हालांकि, गलत ढंग से कर लाभ उठाने के लिए जीएसटी अधिनियम की धारा 74 के तहत याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया गया और कहा गया कि दूसरी फर्म का पंजीकरण निरस्त कर दिया गया था। इस पर याचिकाकर्ता द्वारा एक विस्तृत जवाब दाखिल किया गया जिसे अधिकारियों ने खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता की अपील भी खारिज कर दी गई।
याचिकाकर्ता की दलील थी कि आपूर्तिकर्ता के जीएसटीआर-3बी से स्पष्ट है कि उसने याचिकाकर्ता के साथ सौदे पर कर जमा किया था। इस सौदे के समर्थन में सभी दस्तावेज भी अधिकारियों और अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए गए थे।
अदालत ने कहा कि यद्यपि अधिकारियों के समक्ष सभी दस्तावेज प्रस्तुत किए गए और सभी तर्कों को अधिकारियों ने संज्ञान में लिया, लेकिन आदेश पारित करते समय इस पर ध्यान नहीं दिया गया।
अदालत ने कहा कि आपूर्तिकर्ता और याचिकाकर्ता के जीएसटीआर-3बी से स्पष्ट है कि ये सौदे हुए और इससे विभाग ने भी इनकार नहीं किया है। इन सौदों को लेकर कोई अनियमितता नहीं हुई।
भाषा राजेंद्र अमित