दिल्ली उच्च न्यायालय व्यक्तित्व अधिकार की रक्षा संबंधी करण जौहर की याचिका पर देगा अंतरिम आदेश
राजकुमार माधव
- 17 Sep 2025, 08:22 PM
- Updated: 08:22 PM
(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 17 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को संकेत दिया कि अपने व्यक्तित्व एवं प्रचार अधिकारों की सुरक्षा का अनुरोध कर रहे फिल्म निर्माता करण जौहर के पक्ष में वह अंतरिम आदेश जारी करेगा।
अदालत ने जौहर के वाद पर कई ऑनलाइन मंचों और वेबसाइटों को समन जारी किया तथा सोशल मीडिया मध्यस्थों - मेटा प्लेटफॉर्म और अन्य - से ‘आईटी लॉग’ विवरण के साथ बेसिक सब्सक्राइबर सूचना (बीएसआई) प्रदान करने को कहा।
न्यायमूर्ति मनमीत पी एस अरोड़ा ने मौखिक रूप से संकेत दिया, ‘‘आईए (हस्तक्षेप याचिका) पर मैं एक विस्तृत आदेश पारित करूंगा। निषेधाज्ञा जारी की जायेगी।’’
अदालत ने कहा कि वह जौहर द्वारा उठाये गये कई मुद्दों पर अंतरिम आदेश जारी करेगी, जिनमें उनके नाम और छवि के साथ सामानों की अनधिकृत बिक्री, असमानता और अश्लीलता, डोमेन नाम, प्रतिरूपण और फर्जी प्रोफाइल शामिल हैं।
अपने व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों की सुरक्षा के अलावा, जौहर ने अदालत से यह भी अनुरोध किया था कि वह कुछ वेबसाइटों और मंचों को उनके नाम एवं छवि वाले मग और टी-शर्ट समेत विभिन्न सामानों की अवैध बिक्री न करने का निर्देश दें।
उन्होंने यह दावा करते हुए मुकदमा दायर किया कि विभिन्न निकाय आर्थिक लाभ के लिए उनकी सहमति के बिना ही उनके नाम, छवि, व्यक्तित्व और समानता का उपयोग कर रही हैं।
जौहर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने अपने मुवक्किल की ओर से पहले कहा था, ‘‘मुझे यह सुनिश्चित करने का अधिकार है कि कोई भी अनधिकृत रूप से मेरे व्यक्तित्व, चेहरे या आवाज़ का उपयोग न करे।’’
प्रचार का अधिकार व्यक्तित्व अधिकार के नाम से जाना जाता है। यह किसी की छवि, नाम या समानता की रक्षा, नियंत्रण और उससे लाभ कमाने का अधिकार है।
जौहर का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता निज़ाम पाशा और ‘डीएस लीगल लॉ’ कंपनी ने भी किया।
प्रतिवादियों में से एक - रेडबबल - के वकील ने कहा कि वह एक सप्ताह के भीतर शिकायत में सूचीबद्ध उल्लंघनकारी टिप्पणी को हटाने के लिए कदम उठाएंगे।
जौहर की याचिका से पहले उच्च न्यायालय ने अभिनेता दंपति ऐश्वर्या राय बच्चन और अभिषेक बच्चन की शिकायतों पर सुनवाई कर अंतरिम आदेश जारी किये थे जिसमें उनके व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों की सुरक्षा की मांग की गई है।
मेटा प्लेटफॉर्म्स (फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के मालिक) के वकील ने अदालत में कहा कि जौहर के मुकदमे में चिह्नित कई टिप्पणियां मानहानिकारक नहीं थीं और एक व्यापक निषेधाज्ञा पारित करने से मुकदमेबाजी के लिए द्वार खुल जाएंगे।
भाषा
राजकुमार