राजमार्ग परियोजनाओं के लिए अनुभवी ठेकेदार ही लगा सकेंगे बोली, निविदा दस्तावेज के प्रावधान हुए कड़े
रमण अजय
- 17 Sep 2025, 05:04 PM
- Updated: 05:04 PM
नयी दिल्ली, 17 सितंबर (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचए आई) ने बुधवार को राजमार्ग परियोजनाओं के लिए बोलीदाताओं की तलाश को लेकर अनुरोध प्रस्ताव (आरएफपी) के प्रावधानों को कड़ा कर दिया। इसका उद्देश्य परियोजनाओं के कार्यान्वयन में सुधार, देरी को कम करना और राजमार्ग विकास की लागत को कम करना है।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने आरएफपी प्रावधानों पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि अनुरोध प्रस्ताव के विभिन्न खंडों में कड़ी शर्तें यह सुनिश्चित करने में मदद करेंगी कि केवल तकनीकी रूप से सक्षम और अनुभवी ठेकेदार ही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए पात्र होंगे।
एजेंसी ने कहा, ‘‘प्रावधान का एक महत्वपूर्ण तत्व बोली योग्यता में ‘समान कार्य’ मानदंड का स्पष्टीकरण है। इसे अक्सर ठेकेदारों द्वारा बड़े पैमाने की राजमार्ग परियोजनाओं के लिए पात्रता प्राप्त करने के लिए गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है, जबकि उनके पास केवल छोटे कार्यों का अनुभव होता है जो पूर्ण राजमार्ग विकास की जटिलता और पैमाने को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं।’’
एनएचएआई ने स्पष्ट किया कि ‘समान कार्य’ केवल उन पूर्ण हो चुकी राजमार्ग परियोजनाओं के संदर्भ में होगा, जिनमें उस परियोजना के लिए आवश्यक सभी प्रमुख घटक शामिल हों जिसके लिए बोली आमंत्रित की गई है।
योग्यता मानदंडों को परिष्कृत करने के अलावा, आरएफपी के स्पष्टीकरण में एचएएम (हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल) और बीओटी (निर्माण, संचालन, हस्तांतरण) या टोल परियोजनाओं में ईपीसी (इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण) ठेकेदारों और ईपीसी परियोजनाओं में उप-ठेकेदारों की अनधिकृत नियुक्ति से जुड़े मामलों को भी निपटान करने का प्रयास किया गया है।
एनएचएआई ने कहा, ‘‘ऐसे उदाहरण देखे गए हैं जहां चयनित बोलीदाताओं ने प्राधिकरण की आवश्यक पूर्व स्वीकृति के बिना ठेकेदारों को नियुक्त किया है या स्वीकृत उप-ठेका सीमा को पार कर लिया है। ऐसी चीजें न केवल अनुबंध मानदंडों का उल्लंघन है, बल्कि गुणवत्ता आश्वासन, परियोजना समयसीमा और नियामक निगरानी के लिए भी जोखिम पैदा करती हैं।’’
प्राधिकरण ने कहा कि किसी भी अनधिकृत उप-ठेके और स्वीकृत सीमा से अधिक उप-ठेके को ‘अवांछनीय व्यवहार’ के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। इससे धोखाधड़ी वाले व्यवहारों के समान दंड लगाया जा सकेगा।
एनएचएआई ने कहा कि इस कदम से अनुबंध को पूरा करने में अनुशासन व्यवस्था को मजबूत बनाने और बेहतर कार्यान्वयन प्रक्रिया सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
प्राधिकरण ने कहा कि सुधार का एक अन्य प्रमुख घटक तीसरे पक्ष से प्राप्त ‘बोली और प्रदर्शन प्रतिभूतियों’ को प्रस्तुत करने पर रोक लगाना है।
एनएचएआई के अनुसार, ऐसी सूचना है कि कुछ चुनिंदा बोलीदाताओं ने तीसरे पक्ष द्वारा जारी वित्तीय गारंटी प्रस्तुत की हैं, जो जवाबदेही के सिद्धांत को कमजोर करती हैं और बोलीदाता के दायित्व के बारे में चिंताएं पैदा करती हैं।
प्राधिकरण ने कहा कि अब ऐसे तीसरे पक्ष द्वारा प्राप्त वित्तीय गारंटी को अस्वीकार किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि केवल बोलीदाता या उससे जुड़ी संस्थाओं द्वारा समर्थित गारंटी ही स्वीकार की जाएं।
एनएचएआई ने कहा कि इस कदम से वित्तीय पारदर्शिता बढ़ने और अनुबंध दायित्वों को पूरा करने में सुधार होने की उम्मीद है।
भाषा रमण