प्रधानमंत्री के दौरे से पहले बीकेएस का मप्र में प्रदर्शन, उज्जैन में भूमि अधिग्रहण का किया विरोध
अमित
- 15 Sep 2025, 11:31 PM
- Updated: 11:31 PM
भोपाल, 15 सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने सोमवार को पूरे मध्यप्रदेश में रैलियां निकालीं, प्रदर्शन किए, ज्ञापन सौंपे और किसानों की समस्याओं को रेखांकित करते हुए उनके समाधान की मांग की। साथ ही बीकेएस उज्जैन सिंहस्थ में किसानों की भूमि अधिग्रहित किए जाने के मुद्दे पर सरकार को चेतावनी भी दी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भाजपा शासित राज्य के दौरे से दो दिन पहले आयोजित इस धरना प्रदर्शन में महिलाओं सहित हजारों किसानों ने हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को धार जिले में देश के पहले पीएम मित्र पार्क का शिलान्यास करेंगे और अन्य कई कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे।
बीकेएस ने राज्य सरकार को सिंहस्थ 2028 के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए किसानों की भूमि को स्थायी रूप से लेने के खिलाफ चेतावनी दी है। मंदिरों के शहर उज्जैन में हर 12 साल में आयोजित होने वाला सिंहस्थ एक बड़ा हिंदू धार्मिक आयोजन है।
उज्जैन में आयोजित कुंभ मेले को सिंहस्थ कहा जाता है और इसमें भारत के सभी हिस्सों और विदेशों से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
बीकेएस की मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने फोन पर 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ''हमने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री (मोहन यादव) को संबोधित करते हुए अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर मांग की कि उज्जैन में किसानों की जमीन का अधिग्रहण (स्थायी संरचनाओं के निर्माण) को रोका जाए।"
बीकेएस का विरोध ऐसे समय में हुआ है जब उज्जैन के रहने वाले यादव ने अपने नेतृत्व में सिंहस्थ 2028 को मंदिरों के शहर में अब तक का सबसे बड़ा आयोजन बनाने की भव्य योजना तैयार की है।
आंजना ने कहा, "हमारे विरोध को पूरे मध्यप्रदेश में जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। आगर मालवा जिले में बड़ी संख्या में महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। हमने राज्य के 56 में से 52 जिलों में ज्ञापन सौंपे।"
उन्होंने कहा कि उज्जैन में 12,000 बीघा (1 बीघा यानी 0.111 हेक्टेयर) में फैले शहर के निर्माण के लिए लगभग 1,800 किसानों की जमीन स्थायी रूप से ली जा रही है।
आंजना ने कहा, "त्योहार (सिंहस्थ) को पारंपरिक तरीके और संस्कृति आधारित मनाया जाना चाहिए जैसा कि दशकों से किया जाता रहा है।"
उन्होंने कहा, "आस्था के कारण लोग सिंहस्थ में आते हैं और यह कार्यक्रम अस्थायी तंबू में आयोजित किया जाता है, जिसमें गोबर का फर्श होता है। अगर आप इसे इस तरह से (नई योजना के अनुसार) करना चाहते हैं, तो होटल किराए पर लें और साधुओं को वहां रहने दें। हमारी संस्कृति को खराब मत करो। सिंहस्थ का आयोजन करने वाले आप कौन होते हैं? क्या पूर्व में सरकार द्वारा सिंहस्थ का आयोजन किया गया था। फिर, अब आप इसे क्यों आयोजित करना चाहते हैं?"
इस बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध संगठन ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि किसान कई दिनों से तहसील स्तर पर अनियमित बिजली आपूर्ति, उर्वरकों की कमी, नकली कीटनाशकों और बीजों की बिक्री और राजस्व संबंधी समस्याओं के मुद्दों को उठा रहे हैं, लेकिन प्रशासन अब तक कार्रवाई करने में विफल रहा है।
संगठन ने कहा कि कई जिलों में फसल बीमा का भुगतान नहीं किया गया है, जबकि जिन जिलों में मुआवजा वितरित किया गया है, वहां कई अनियमितताएं पाई गईं।
बीकेएस ने ज्ञापन के माध्यम से उज्जैन में "लैंड पूलिंग एक्ट" का भी विरोध किया और सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि वह किसानों की जमीन नहीं छीने।
बीकेएस मध्य भारत प्रांत के प्रवक्ता राहुल धूत ने कहा कि संगठन की महासचिव मोहिनी मोहन मिश्रा मंगलवार को उज्जैन में होंगी, जहां किसानों की जमीन अधिग्रहण के विरोध में एक ट्रैक्टर रैली का आयोजन किया गया है।
उन्होंने कहा, 'वे किसानों की जमीन स्थायी रूप से क्यों लेना चाहते हैं? इसके पीछे आपकी क्या योजना है?'
धूत ने तर्क दिया, "अतीत में, किसानों की जमीन सरकार द्वारा सिंहस्थ (श्रद्धालुओं और संतों के लिए अस्थायी व्यवस्था करने के लिए) के लिए किराए पर ली गई थी और यह प्रथा 2028 और उसके बाद भी जारी रहनी चाहिए।
सत्रह अगस्त को, महिलाओं के साथ बड़ी संख्या में गुस्साए किसानों ने उज्जैन में विरोध प्रदर्शन और सड़क जाम किया और आरोप लगाया कि सरकार सिंहस्थ के लिए लगभग 2,400 हेक्टेयर में एक कंक्रीट 'कुंभ सिटी' बनाने के लिए उनकी जमीन का स्थायी अधिग्रहण कर रही है।"
भाषा सं ब्रजेन्द्र