मुन्नम्बम के नागरिकों ने वक्फ अधिनियम पर शीर्ष अदालत के फैसले पर राहत जताई
नननन वैभव मनीषा
- 15 Sep 2025, 05:15 PM
- Updated: 05:15 PM
कोच्चि, 15 सितंबर (भाषा) मुन्नम्बम भूमि संरक्षण परिषद ने सोमवार को राहत व्यक्त की कि वक्फ संशोधन अधिनियम पर उच्चतम न्यायालय द्वारा आंशिक रोक लगाने से उनके मामले पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
परिषद के सदस्यों ने संवाददाताओं को बताया कि चूँकि उच्चतम न्यायालय ने अधिनियम की धारा 2(ए) पर रोक नहीं लगाई है, इसलिए उनका भूमि विवाद वक्फ प्रावधानों के दायरे से बाहर है।
धारा 2(ए) स्पष्ट करती है कि संशोधित वक्फ अधिनियम, वक्फ जैसे उद्देश्यों के लिए किसी मुस्लिम द्वारा स्थापित ट्रस्टों पर लागू नहीं होता है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि फारूक कॉलेज, जो एक ट्रस्ट/सोसाइटी है, से खरीदी गई उनकी जमीन वक्फ अधिनियम से मुक्त है।
परिषद के सदस्य जोसेफ बेनी ने कहा, ‘‘हमें राहत है कि धारा 2(ए) पर रोक नहीं लगाई गई है। अब सरकार हमारे मुद्दों को सुलझाने के लिए आगे बढ़ सकती है।’’
परिषद ने प्रदर्शन का समय और बढ़ाने का फैसला किया ताकि सरकार इस मामले का जल्द से जल्द समाधान करे।
परिषद के सदस्यों ने कहा, ‘‘अब जबकि कानूनी अनिश्चितता का समाधान हो गया है, राज्य सरकार को अपनी प्रक्रियाओं में तेजी लानी चाहिए। इसके अतिरिक्त, न्यायमूर्ति सीएन रामचंद्रन नायर के नेतृत्व में सरकार द्वारा नियुक्त आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।’’
परिषद ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय के आदेश के प्रभावों का आकलन करने और आगे की कार्रवाई की योजना बनाने के लिए एक बैठक बुलाई।
न्यायालय ने सोमवार को वक्फ संशोधन अधिनियम की कुछ धाराओं पर रोक लगा दी।
एर्नाकुलम जिले के इस तटीय गांव के 600 से ज्यादा परिवार वक्फ अधिनियम से प्रभावित हैं। इस क्षेत्र की लगभग 404 एकड़ जमीन को वक्फ भूमि के रूप में विवादित माना जा रहा है।
पिछले साल से मुन्नम्बम में स्थानीय निवासी लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसे अब तक 300 से अधिक दिन हो चुके हैं।
हालांकि, राजनीतिक दलों और राज्य सरकार ने प्रदर्शनकारियों को अपना समर्थन दिया है, फिर भी यह मुद्दा अभी तक सुलझा नहीं है और वर्तमान में वक्फ न्यायाधिकरण में विचाराधीन है।
इस बीच, केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने सोमवार को वक्फ अधिनियम पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया और इसे केंद्र सरकार के लिए ‘झटका’ बताया।
एक आधिकारिक फेसबुक पोस्ट में, पार्टी ने कहा कि उसके राष्ट्रीय महासचिव पी के कुन्हालीकुट्टी, इस मामले में याचिकाकर्ताओं में शामिल थे।
पोस्ट में लिखा गया था, ‘‘वक्फ संशोधन अधिनियम के संबंध में उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को झटका दिया है।’’
आईयूएमएल नेता और पोन्नानी से सांसद ई टी मोहम्मद बशीर ने कहा कि हालांकि पूरे मुद्दे का समाधान नहीं हुआ है, फिर भी यह आदेश एक स्वागत योग्य कदम है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस संशोधन के जरिए केंद्र सरकार का इरादा करोड़ों रुपये की संपत्ति हड़पने का था। संबंधित समुदाय वक्फ संपत्ति का संरक्षक है।’’
बशीर ने यह भी बताया कि यह पहली बार है जब सर्वोच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में संसद द्वारा पारित किसी कानून के इतने सारे प्रावधानों पर रोक लगा दी है।
आईयूएमएल के प्रदेश अध्यक्ष सैय्यद सादिक अली शिहाब थंगल ने भी इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने वक्फ संशोधन अधिनियम पर मुस्लिम लीग और अन्य दलों द्वारा उठाई गई चिंताओं को स्वीकार किया है।
भाषा
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