ट्रंप की कुछ आर्थिक नीतियां अमेरिका के लिए भी ‘आत्मघाती’: रंगराजन
नेत्रपाल अविनाश प्रेम
- 12 Sep 2025, 06:45 PM
- Updated: 06:45 PM
हैदराबाद, 12 सितंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कुछ आर्थिक नीतियों ने वैश्विक व्यापार प्रवृत्तियों को जहां ठप कर दिया है, वहीं वे अमेरिका के लिए भी आत्मघाती साबित हो रही हैं।
रंगराजन ने यहां ‘आईसीएफएआई फाउंडेशन फॉर हायर एजुकेशन’ के 15वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही।
उन्होंने ‘ब्रिक्स’ समूह का नाम लिए बगैर कहा कि अपेक्षाकृत अधिक स्वतंत्र व्यापार वाले अलग-अलग गुटों का उभरना अपरिहार्य है, लेकिन अंतिम लक्ष्य एक ऐसा विश्व होना चाहिए जिसमें व्यापार अधिक खुला हो।
उन्होंने कहा, ‘‘आज की दुनिया बदलाव के दौर से गुजर रही है। राष्ट्रपति ट्रंप की कुछ आर्थिक नीतियों के चलते वैश्विक व्यापार लगभग ठप हो गया है। उम्मीद है कि समझदारी से काम लिया जाएगा और अमेरिका के नीति निर्धारक यह समझेंगे कि वे जो नीतियां लागू करना चाहते हैं, वे आत्मघाती हैं। भारत इससे सबसे अधिक प्रभावित हुआ है।’’
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष रह चुके रंगराजन ने कहा कि भारत की वृद्धि असमान है क्योंकि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गुजरात एवं पश्चिम बंगाल का राष्ट्रीय आय में कुल 52 प्रतिशत योगदान है जबकि शेष राज्य 48 प्रतिशत योगदान करते हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि गोवा की प्रति व्यक्ति आय बिहार की तुलना में 10 गुना अधिक है।
रंगराजन ने कहा कि 18,000 अमेरिकी डॉलर की प्रति व्यक्ति आय तक पहुंचने के लिए विभिन्न राज्यों द्वारा जरूरी सांकेतिक वृद्धि दर (भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए) चौंकाने वाली है।
पूर्व आरबीआई प्रमुख ने कहा कि प्रमुख राज्यों में अपेक्षित सांकेतिक वृद्धि दर तमिलनाडु के लिए 8.71 प्रतिशत, गुजरात के लिए 9.63 प्रतिशत, कर्नाटक के लिए 8.77 प्रतिशत और महाराष्ट्र के लिए 9.53 प्रतिशत है। वहीं दूसरी ओर, बिहार के लिए अपेक्षित वृद्धि दर 17.4 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश के लिए 14.5 प्रतिशत है।
रंगराजन ने कहा कि विकसित भारत की परिकल्पना केवल एक सांख्यिकीय लक्ष्य न होकर एक व्यापक परिवर्तन की यात्रा है, जिसके लिए सरकार और समाज दोनों के सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।
उन्होंने कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पांच केंद्रित क्षेत्र आवश्यक हैं। इनमें निवेश दर में दो प्रतिशत की वृद्धि, नयी प्रौद्योगिकियों को अपनाना, अपेक्षाकृत श्रम-प्रधान क्षेत्रों पर ध्यान देना और स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे सामाजिक बुनियादी ढांचे का विस्तार करना शामिल है।
रंगराजन ने कहा कि हालांकि भारतीय उच्च शिक्षा की उपलब्धियों को कम करके आंकने की जरूरत नहीं है, लेकिन गुणवत्ता एवं प्रभावशीलता के मामले में इस क्षेत्र को मजबूत करने की बहुत जरूरत है।
भाषा नेत्रपाल अविनाश