केरल में सड़क हादसों में वृद्धि, 'नेक इंसान' योजना अब भी केवल कागजों पर
राखी अविनाश
- 11 Sep 2025, 07:05 PM
- Updated: 07:05 PM
कोच्चि, 11 सितंबर (भाषा) पिछले साल जनवरी से अब तक केरल में करीब 6,000 लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हो चुकी है और राज्य में हर साल 40,000 से अधिक ऐसे हादसे होते हैं।
इसके बावजूद, राज्य ने केंद्र सरकार की कोई ऐसी योजना शुरू नहीं की है जिसमें लोगों की जान बचाने के लिए आगे आने वाले आम नागरिकों को पुरस्कृत किया जाता है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 2021 में "नेक इंसान को पुरस्कार देने की योजना" शुरू की थी ताकि राहगीरों को दुर्घटना पीड़ितों को अस्पताल ले जाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
सूत्रों के अनुसार, केरल में ऐसी पहल की जरूरत साफ दिखाई देती है, जहां पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल 48,834 दुर्घटनाएं हुई, जिनमें 3,880 लोग मारे गए और 54,796 घायल हुए। इस साल के पहले सात महीनों में ही 28,724 दुर्घटनाओं में 2,107 लोगों की जान जा चुकी है और 32,569 लोग घायल हुए हैं।
यह योजना बाद में इस साल नकद इनाम बढ़ाने के बाद ‘राह-वीर’ के नाम से जानी जाने लगी।
वर्ष 2021 में मंत्रालय ने सभी राज्यों को इसे लागू करने का निर्देश दिया था और कहा था कि हादसे के बाद ‘‘स्वर्णिम समय’’ यानी शुरुआती 60 मिनट में पीड़ित को चिकित्सकीय मदद दिलाना बेहद जरूरी है।
शुरुआत में इस योजना के तहत 5,000 रुपये और एक प्रमाणपत्र देने का प्रावधान था। इस साल अप्रैल में केंद्र ने इनाम की रकम बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दिया और हर साल 10 ऐसे नेक इंसान को एक-एक लाख रुपये का राष्ट्रीय पुरस्कार देने की घोषणा की।
निर्देशों के अनुसार, सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को बचाने वाले व्यक्ति को पुलिस या अस्पताल की ओर से पावती दी जानी चाहिए। पावती की समीक्षा जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली जिला मूल्यांकन समिति द्वारा किया जाना चाहिए।
समिति की सिफारिश के आधार पर, परिवहन आयुक्त को पुरस्कार जारी करना चाहिए और प्रधान सचिव (गृह) के अधीन एक राज्य स्तरीय निगरानी समिति को कार्यान्वयन की देखरेख का जिम्मा सौंपा गया है।
हालांकि, इन सभी प्रावधानों के बावजूद पिछले पांच साल में केरल में किसी को भी इस योजना के तहत पुरस्कृत नहीं किया गया है। राज्य सरकार ने मार्च 2022 में एक निगरानी समिति का गठन किया था और इस साल 28 जुलाई को योजना का नाम बदलने के बाद इसे पुनर्गठित भी किया, लेकिन राज्य और जिला स्तरीय समितियां अब तक निष्क्रिय हैं।
केरल परिवहन आयुक्त नागराजु चाकिलम ने स्वीकार किया कि योजना अभी शुरू नहीं हो पाई है।
उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘यह एक बहुत अच्छी योजना है। दुर्भाग्य से हमें अब तक जिला स्तर से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। मुझे जानकारी नहीं है कि किसी को इसके तहत पुरस्कृत किया गया हो।’’
परिवहन आयुक्त ने बताया कि यह एक प्रतिपूर्ति योजना है, जिसमें राज्य सरकार शुरू में नकद पुरस्कार प्रदान करती है, जिसकी प्रतिपूर्ति बाद में केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
उन्होंने कहा, ‘‘शायद स्वास्थ्य विभाग और पुलिस में जमीनी स्तर पर लोगों को इस योजना की जानकारी नहीं है। अगर यह योजना लागू की जाती है तो यह निश्चित रूप से लोगों को दुर्घटना पीड़ितों को तुरंत अस्पताल पहुंचाने के लिए प्रोत्साहित करेगी।’’
एक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी ने बताया कि अस्पताल प्रशासन या पुलिस ने ऐसे किसी नेक इंसान की सूचना नहीं दी है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘जिला स्तरीय समितियां हैं, लेकिन उन्होंने अब तक कोई रिपोर्ट नहीं दी। हमें ऐसा कोई मामला नहीं मिला जिसमें पुलिस ने किसी नेक इंसान को पावती दी हो। केरल में लोग पीड़ितों को अस्पताल तो पहुंचाते हैं, लेकिन योजना की जानकारी के अभाव में वे पुलिस या अस्पताल से इसकी पावती नहीं मांगते।
भाषा राखी